Meera Prem ka Arth - 12 in Hindi Women Focused by sunita maurya books and stories PDF | मीरा प्रेम का अर्थ - 12 - इत्तेफ़ाक या साजिश ?..

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मीरा प्रेम का अर्थ - 12 - इत्तेफ़ाक या साजिश ?..

तो क्या आपको सर्दी नहीं लगेगी.... सुधा ने सूरज की तरफ देखकर कहा और आगे चलने लगी... उसके पीछे चलते हुए सूरज ने कुछ नहीं कहा बस वो अपना सर नीचे करके मुस्कुराने लगा......कुछ देर यूहीं चलने के बाद सूरज ने सुधा से कहा... आप मुस्कुराती नहीं हैं क्या?... फिर अपनी बात को पलटते हुए कहा.... अरे मेरा मतलब है कि मैंने आपको बहुत कम हंसते हुए देखा है या यु कहे की आजतक तो नहीं देखा...

ये सुन सुधा चलती हुई अपनी जगह पर रुकी और बोली ......ऐसा तुम्हें क्यों लगता है कि हंसती नहीं। मैं हंसती हूं तो क्या तुम चाहते हो कि मैं अपने दांत निकाल हर समय हंसती रहु पगलो की तरह....सुधा की बात सुन सूरज ने हडबडाते हुए बोला....अरे नहीं मैंने ऐसा भी तो नहीं कहा .....लगता है आप गुस्सा हो गई .......

तभी सुधा ने सूरज को आगे बोलने से मना किया और बोली... आप यहीं रुकिए मैं ऊपर जाती हूं ...इतना बोलकर सुधा वहां से चली गई... सूरज वही खड़ा था ......कुछ देर बाद सुधा वापस आई, उसने अपने कपड़े बदल लिए लेकिन उसके बाल भी बहुत खुले और गीले थे .... सूरज ने सुधा को आते देखा तो सावधान की पोजिशन में खड़ा हो गया सुधा उसके पास आई उसको एक रेनकोट देकर बोली ......ये लो इसको पहन लो इसे ज्यादा मत भीगो वर्ना बीमार पड़ जाओगे ......वो एक सफेद ट्रांसपेरेन्ट रेनकोट था .जिसे देख सूरज मुस्कुराया और बोला...अरे इससे क्या होगा..इससे मोटा इस्तेमाल करते हैं हम लोग एकेडमी में.....सूरज का जवाब सूरज सुधा ने परेशान होकर देखा और बोली.... मैं तो बस ये तुम्हारी भलाई के लिए दे रही थी बस तुम्हें तो अपनी ही मुंह मिया मिट्ठू बनना है तो क्या कर सकती है .... ठीक है तो मत लो फिर.... ऐसा बोलकर वो उसके रेनकोट को खुद ही पहनने लगी....ये देख सूरज ने कुछ नहीं कहा और कन्फ्यूज होकर देखते हुए बस हल्के से मुस्कुरा दिया और बोला... तो क्या तुम गुस्सा हो मुझसे?...

सुधा ने कहा .... नहीं तो !......

फिर सूरज ने कहा... तो क्या तो हमेशा ऐसी ही रहती हो.... उसकी बात सुन सुधा ने ना में सर हिलाया बोली.... नहीं तो!....उसकी बात सुन सूरज ने कहा.. ..तो क्या तुम हर बात का जवाब भी ऐसी ही देती हो.......सुधा थोड़ी कन्फ्यूज होकर बोली....मतलब,कैसे?...

सूरज ने भी उसी के अंदाज़ में कहा। ....नहीं तो !.....ये देख सुधा ने सूरज को एक तेज नजर दी और वहां से आगे चलने लगी...... सूरज ये देख उसके पीछे चलने लगा... अरे अरे सुनो तो गुस्सा मत हो.... सुधा अपने तेज कदमों से एकेडमी की तरफ चलने लगी.... उसके पीछे सूरज भी चलने लगा..कुछ देर में वो एकेडमी में पहुंच गए....मीरा कमरे में आ गई थी लेकिन माधव को इस बात का जरा भी पता नहीं चला....

वो मीरा के पास आई और पास बैठे माधव से कहने लगी......माधव आप बाहर जाएंगे  मुझे मीरा के कपड़े बदलने हैं...सुधा की बात सुन उसने एक बार सुधा को देखा और फिर अपनी जगह पर खड़ा होकर मीरा को देखने लगा...फिर कुछ देर बाद वो बाहर आ गया .... आधी रात हो चुकी थी माधव कमरे के बाहर था लेकिन उसकी आंखों में जरा भी नींद नहीं थी... मेडिकल कैंप में ज्यादा हलचल नहीं थी अब... कि वहां सूरज आया और माधव के पास बैठ गया लेकिन कुछ बोला नहीं., कुछ देर बाद सूरज उठा और माधव से बोला.... माधव अगर तुझे आराम करना है तो तू कमरे में जाकर आराम कर ले मैं रुका जाता हू अब यहां...जब मीरा को होश आएगा मैं तुझे बता दूंगा....

माधव ने सूरज की बात से इंकार करते हुए कहा...नहीं मैं नहीं जाऊंगा तुम जा सकते हो वैसे भी सफर काफी लंबा था। और आज जो कुछ हुआ... इन सबके बीच किसी जो आराम करने का टाइम ही नहीं मिला तो तुम जाकर आराम कर लो ......

माधव की बात सूरज ने आगे कहा...मैं ठीक हू मैं एक बार अंदर देख लू उसके बाद मैं भी चला जाऊंगा...इतना कहके सूरज  मीरा के कमरे का गेट खोल कर अंदर आया और सामने लेटी मीरा पर उसकी नज़र गई ....मीरा को अभी भी होश नहीं आया था... फिर उसकी नजर पूरे कमरे में घूमने लगी... तभी वही कुर्सी पर बैठी सुधा पर उसकी नजर रुक गई... सुधा कुर्सी पर बैठी थी और अपने सर को छत की तरफ किया हुआ था उसकी आंखें बंद थी। सूरज धीरे से चलकर उसके पास गया.... उसने ध्यान से देखा तो सुधा काफी गहरी नींद में थी... जिसे देख वो मुस्कुराया। उसने देखा कि सुधा कान्प रही थी...सुधा को ऐसे देख सूरज ने आस-पास देखा वही पास में एक कंबल रखा था सूरज ने उस कम्बल को सुधा ओढ़ा दिया ....और फिर कुछ और देर तक सुधा को जी भर के देखता रहा... ये पहली बार था जब सूरज ने सुधा के इतने करीब से देख रहा था। वो उसको पसंद करता था लेकिन कभी कहा नहीं क्योंकि उसने सुधा को हमेशा गुस्सा करते देखा था इसलिए उसे सुधा से डर लगता था कुछ देर यहीं सुधा को सुखन से सोता देख सूरज कमरे से बाहर आ गया ....

सुबह हो गई थी लेकिन आज सूरज नहीं निकला था.. रात की बारिश के बाद ठंड भी बढ़ गई थी.... मीरा के कमरे में सुधा की आंखें धीरे-धीरे खुली। वो अपनी आधी खुली आँखों से आस पास  देखने लगी. उसको जब ये एहसास हुआ कि वो कहा है तो उसकी आंखे अचानक बड़ी हो गई और वो उछलकर अपनी सीट पर बैठ गई .....उसको ऐसे अचानक उठता देख, वहां बैठे सभी लोग डर गए और हेरानी से सुधा की तरफ देखने लगे ......तभी सूरज उसके पास आया और उससे पूछने लगा....अरे अरे क्या हुआ तुम ठीक तो हो ना फिर उसका मजाक उड़ाते हुए बोला...अरे कहीं तुमने सपने अपना गुस्से वाला चेहरा तो नहीं देखा...ये कहकर वो हंसने लगा .....और बाकी सारे भी हंसने लगे.... सुधा ने इरिटेट होके सूरज को तेज नजर से घूरा.. उसको ऐसे देख सूरज ने अपना मुंह बंद कर लिया ......फिर सुधा ने सूरज से नज़र हटाई और मीरा की तरफ देखने लगी...मीरा अपने बिस्तर पर बैठी थी...मीरा ने सुधा को देखा और एक मुस्कान दे दी जिसे देख सुधा उसके पास चलकर आई और उसको कस के गले लगा लिया.... फिर उसे अलग होते हुए बोली...

तुम ठीक हो तुम्हारी तबीयत ठीक है और तुम्हारा हाथ... ये कहते हुए उसने मीरा का हाथ अपने हाथ में लिया जिस पर पट्टीयां बंधी हुई थी.. और तुम्हारा हाथ इसमें ज्यादा दर्द तो नहीं हो रहा ना.. कुछ चाहिए तुम्हें बोल मैं ले आती हूं तेरे लिए .....सुधा को ऐसे जल्दी जल्दी बोलता देख मीरा ने उसको फिर से गले लगा लिया... अब सुधा की आंखों में आंसू आ गए और बोली... तुझे पता है मैं कितना डर गई थी तुझे आस पास न देख कर। मुझे  कितनी फिकर है तेरी पता है... फिर अपने आप से अलग करते हुए मीरा ने सुधा से अपनी ईशारो में कहा .......मैं ठीक हूं अब मेरी तबीयत भी ठीक है.. और तुम मेरे साथ हो मुझे और क्या चाहिए बोलो .....ये बोलकर मीरा ने सुधा के गालो पर अपना हाथ फेरा .....

मीरा और सुधा आपस में बात कर रही थी कि अचानक दोनों के कानों में आवाज आई... हा और हम तो पागल हैं ना जो इतनी बारिश में मीरा को ढूंढ रहे थे...ये विशाल था...

 माधव ने विशाल की बातों पर हामी भरते हुए कहा...हा तुमने तो कितनी आसानी से कह दिया सुधा को कि वो तुम्हारे साथ है तुम्हें और कुछ नहीं चाहिए और मेरा क्या हा जो अपनी जान की परवा किए बिना तुम्हें बचाने के लिए 4 फ्लोर ऊपर से छलांग लगा दिया,..जरा भी अंदाज़ा है. वाहा से अगर गिरते तो तुम्हारे साथ साथ मैं भी इस बिस्तर पर लेटा होता.अरे जरा मेरे  और बाकी सब के बारे में तो सोचो ........माधव मीरा की तरफ देखते हुए बोला...

तभी सूरज ने कहा.... लेकिन मीरा एक बात तो बताओ तुम क्यों गई थी वहा तो तुम्हारा कोई काम नहीं फिर तुम वहां क्यों और तुम कैसे फंस गई। क्या तुम्हारे अलावा वहा कोई  और भी था क्या .?.....सूरज की बात सुन कर सभी सोचने लगे और मीरा की तरफ देखने लगे...तबी सुधा ने भी मीरा से कहा.... हा मीरा तुम गई क्यू और ऐसी हालत में कैसे पहुंची ......

मीरा ने कुछ सोचा और फिर माधव की तरफ देखने लगी....तभी माधव ने अपना सर हिलाकर मीरा से पूछा....बताओ ना मीरा क्या हुआ अगर ये किसी का मजाक था तो मैं उसे छोड़ूंगा नहीं.बताओ मीरा  .....माधव सीरियस होते हुए बोला....

मीरा ने कुछ सोचा और इशारों में बोली....मैं प्रैक्टिक कर रही थी डांस की तभी मुझे ऐसा लगा कि कोई मुझे खिड़की से देख रहा है। जब वहा गई तो देखा कि वहा से कोई गया जिसने तुम्हारे यहां की आर्मी की ड्रेस पहनी थी ....जिसे देख मुझे लगा कि वो तुम हो इसलिए मैं उसके पीछे चलने लगी....चलते-चलते मैं यूनिवर्सिटी के पीछे पहुंच गई.  वहा पहुंचकर मैंने देखा कि तुम या फिर वो पता नहीं कोन था वो 6 फ्लोर पर है तो मैं उसके पीछे गई... जब मैं वहां पहुंच गइ तो वहां कोई नहीं था.. मैं चलकर बालकनी की तरफ आई और देखने को कोशिश कर रही थी कि वो कौन है  ..जैसे ही मैं आगे बढ़ने लगी वैसे ही मेरा पैर फिसला और मैं गिरने लगी। इससे पहले कि मैं गिरती मैने चौथे फ्लोर की रेलिंग पकड़ ली .....ये करीब 1 या 2 बजे के आसपास की बात है .....

माधव ने मीरा की बात सुनी और बोला... क्या है मेरे जैसा कोई लड़का था जिसके पिछे तुम गयी थी  पर ऐसा कैसे हो सकता है क्योंकि उस वक्त तक हम में से कोई भी वापस नहीं आया था ....और मैं आता भी तो ऐसा नहीं आता और ना ही तुम्हें खतरे में देखकर तुम्हें वहा छोड़ कर भागता .....तभी सुधा ने मीरा के कंधे पर अपना एक हाथ रखा और बोली...मीरा ध्यान से याद करो और बताओ सच में तुमने वहां ऐसा कोई इंसान देखा था जिसे जानती थी तुम ...मीरा ने फिर से माधव की तरफ देखा और बोली.... मैं झूठ नहीं बोल रही माधव मैंने देखा था.... 

तभी विशाल ने कहा....क्या तुम्हें उसका चेहरा याद है?......मीरा ने कुछ सोचा और अपने सर ना में हिलाते  हुए इशारे में बोली... नहीं मुझे उसका चेहरा दिखाइ नही दीया.मैंने उसको बस पीछे से ही देखा था लेकिन वो थोड़ा थोड़ा माधव से मिलता जुलता था ......और मुझे ज्यादा कुछ पता नहीं इसके बारे में .....तभी माधव बोला... अच्छा छोड़ो ये सब मीरा ठीक है बस यही काफी है हेना.और यह अच्छी बात है कि तुम मेरे पास हो ..... मीरा की तरफ से प्यार देखने लगा... उसके ऐसे देखने से मीरा की दिल धड़कने तेज हो गई और बाकी सारे अपना मुँह इधर उधर करके मुस्कुराने लगे ....तभी वहां सागर चाय और कुछ खाने के लिए आया....

चलो चलो बातें  हो गई हो तो कुछ पेट पूजा कर लो  .....आजाओ सागर ने जैसे ही ये कहा तो विशाल जल्दी से चलते हुए उस्की तरफ जाने लगा जहां चाय की टेबल थी ऐसे ही चलते हुए विशाल ने जानबूझ कर माधव को धक्का दिया लेकिन वो धक्का इतना जोर  का नहीं था कि जिससे उसको चोट लगती है। बस इसे हल्का सा झटका लगा जिसे माधव मीरा के ऊपर गिरने लगा.... माधव ने अपने आपको संभालते हुए अपने हाथों को बिस्तर के दोनों सिरहाने पर टीका दिया।  जिसे माधव का चेहरा मीरा के चेहरे के और भी करीब आ गया। दोनों एक दूसरी की आँखों में देख रहे थे...दोनों की धड़कने तेज़ हो गई...सुधा कुछ बोलती उसने पहले ही सूरज ने उसको रोक लिया और इशारों में कहा कि माधव और मीरा को यहीं छोड़ दे हम लोग बाहर चलते हैं ...सुधा ने एक बार मीरा और माधव को देखा फिर अपनी जगह से उठकर वो भी बाकी सब के साथ बाहर चली गई .....उन लोगो ने मीरा और माधव के साथ उसकी चाय और खाने की चीज़ वही छोड़ दी और खुद बाहर आ गय.....

बाहर सूरज ने सुधा को चाय का कप दिया....सुधा ने चाय का सिप लिया. तभी सूरज ने सुधा से कहा...वैसे तुम्हें क्या लगता है मीरा के साथ कल जो हुआ वो  ये सिर्फ एक हादसा है या ये सब जानबूझ के किया गया हैं ..सुधा ये सुन सूरज को हेरानी से देखने लगी .... 

इधर मीरा के वार्ड में माधव ने मीरा को चाय दी और खुद भी चाय पीने लगा। चाय पीते पीते उसकी नज़र बार बार मीरा पर जा रही थी.. ये बात मीरा ने नोटिस की और इशारे में बोली.... तुम्हें चाय अच्छी नहीं लग रही क्या?...

मीरा का सवाल सुन उसने अपनी चाय की तरफ देखा और बोला.... हा मुझे जरा भी अच्छी नहीं लग रही चाय पता नहीं क्यों आज की चाय बहुत कड़वी है...छी ये भी कोई चाय है.....

माधव के बात सुन मीरा ने कन्फ्यूज होके अपनी चाय की तरफ देखा और बोली... चाय कड़वी है?.. नहीं तो मेरी चाय तो कड़वी नहीं है. चाय तो अच्छी लग रही है...

मीरा की बात सुन माधव ने कन्फ्यूजन का एक्सप्रेशन दिया और आगे आते हुए मीरा से बोला... अच्छा जरा अपनी चाय देना मुझे... ये कहकर उसने मीरा की चाय एक घूंट लिया और बोला.... हां तुम्हारी चाय तो सही है लेकिन मेरी चाय कड़वी है। ......माधव की बात सुन मीरा ने माधव के हाथ से उसकी चाय ली और उसका सिप लिया और इशारों में बोली...अरे कहा कड़वी है तुम्हारी चाय सही ही तो है।.....मीरा की बात सुन उसने अपनी चाय के कप से चाय पी और बोला.... अरे ये कैसे हुआ ये तो मीठी हो गई... तुमने कुछ डाला क्या इसमें... ये बात सुन मीरा ने ना में सर हिला दिया। .. फिर माधव बोला.....तो फिर ये मीठी कैसी हो गई है चाय ... हम्म्म. लगता है ये तुम्हारे होठों का असर है जो इस कड़वी चाय में भी मिठास घोल दी। ऐसा जैसा मेरी बोरिंग सी जिंदगी में ......

मीरा ने माधव की बात सुनी और चेहरे पर झूठे गुस्से के एक्सप्रेशन लाते हुए बोली....ओह्ह फ्लर्ट कर रहे हो मेरे साथ .....

माधव ने जवाब दिया... अच्छा तुम्हें अब पता चला क्या मैं तो कब से कर रहा हूं ......ये बात सुन दोनो हंसने लगे ...,हंसते हंसते माधव मीरा की तरफ देखने लगा और शांत हो गया .उसको ऐसे शांत देख मीरा ने इशारों में ही माधव से पूछा ..... क्या हुआ ?...

माधव ने ना में सर हिलाया और बोला... कुछ नहीं.... फिर मीरा ने इशारों में पूछा.... तो फिर मेरी तरफ ऐसे क्यू देख रहे हो.... माधव ने जवाब दिया.... एसी ही बहुत दिनो बाद तुमको देख रहा हू ना इसलिए तुम्हारे चेहरे को देख रहा हूं कि कुछ बदलाव तो नहीं आया.....मीरा माधव की बात सुनी और मुस्कुराते हुए बेहद प्यार से इशारों में बोली। .... तो क्या दिखा कुछ बदलाव तुम्हें मेरे चेहरे में ?....

माधव अपना चेहरा मीरा के चेहरे के पास ले आया और धीमी और प्यार भरी आवाज में बोला.... हा ना बहुत सारा प्यार और सुकून।  इन कुछ दिनो की दुरियो ने मेरे प्यार को और भी ज्यादा मजबूत बना दिया ....और शायद तुम्हें भी ये एहसास हो गया तुम्हें   भी मुझसे....इतना कहकर माधव रुक गया और मीरा की तरफ देखने लगा। वो चाहता था कि आगे की बात मीरा कहे .मीरा का जवाब सुनने के इंतजार में माधव की साँसे बढ़ती जा रही थी ....तभी माधव को अपने हाथों पर ठंडे हाथों का स्पर्श हुआ उसने जब देखा तो वहा मीरा का हाथ था ..उसने वापस से मीरा की तरफ देखा ....मीरा ने माधव का अपने दोनों हाथों की हथेलियों के बीच में रख लिया .....और माधव की तरफ देखने लगी..उसके ऐसे करने से माधव की सांसे अभी बुलेट ट्रेन की रफ़्तार से भाग रही थी अब बिल्कुल धीमी पड़ गई थी..सांसे अटक गई थी और वो बस एकटक मीरा को  देखे जा रहा था. मीरा ने उसको इशारों में कहा....

मैंने भी तुम को बहुत याद किया। मैं हमेशा अपने कॉलेज के गेट पर देखती रहती थी कि तुम आ जाओ और अपने हॉस्टल के कमरे की खिड़की से देखती थी कि तुम कहीं आते-जाते दिख जाओ।  फ़िर  अपने हाथों को माधव के दिल के करीब लेकर उसकी तरफ देखने लगी फिर अचानक उसने अपनी आंख बंद कर ली और उसके आंखों से आंसू निकल के उसके गालों तक आ गय और लगातार बहने लगे.......जिसे देख माधव ने अपने हाथों को मीरा के गालों पर रखा और अपने अंगुठे से उसके आंसुओं को पोछनेलगा....मीरा ने अपनी आँखे खोली और माधव को देखने लगी....माधव हल्के से मुस्कुराया और बोला....  

बस बस!...इतना काफी है मेरे लिए समझाना कि तुम भी मुझसे प्यार करती हो.. हेना।....मीरा ने रोते हुए हा मैंने सर हिलाया जिसे देख माधव ने जोर से मीरा को गले लगा लिया ...माधव के मीरा के कमर के थोड़े ऊपर वो धीरे-धीरे उनको कस्ते हुए मीरा को अपनी तरफ खींचने लगा...मीरा के हाथ माधव की गर्दन से लिपटे हुए थे वो भी जैसे माधव के अंदर ही समा जाना चाहती थी ......कुछ देर तक दोनों ने अपनी आंखें बंद कर लीं, दोनों एक दूसरे में ही खोए हुए थे। तभी माधव ने आंखे खोली और धीरे से अपनी पकड़ को ढीला किया और बोला......

मैं कितना खुश था तुमसे मिलने के लिए..सोचा था तुमसे मिलूंगा तुमसे ढेर सारी बातें करूंगा। हम दोनो साथ घूमने जायेंगे वो भी तुम्हारी पसंदिदा जगह पर  लेकिन जिस हालत में मैंने तुम्हें देखा था मुझे मेरे सपने मेरी ही आँखो के सामने टूटे ते नज़र आने लगे ....मैं तो पूरा डर गया था कि कहीं आज मैं तुम्हें खो.... इतना कहकर माधव रुक गया .ये सुन मीरा ने उसको और जोर कस लिया....

इधर सुधा हेरानी से सूरज को देख रही थी... सूरज ने फिर से कहा... देखो घबराओ मत मैं तो बस ऐसी ही बोल रहा हूं। बस मुझे जो लगा मैंने बताया क्योंकि ये सिर्फ हादसा नहीं लग रहा था, जिस तरह से मीरा ने बताया और जिस हालत में वो मिली।  ये सब देख कर मुझे ऐसा लगा। इसलिए मेने तुम्हारी राय जानने की कोशिश की बस .....

सूरज की बात सुन सुधा कुछ सोच में पड़ गई और फिर उस अंजान इंसान के बारे में सोचने लगी जिसके पीछे मीरा गई थी। ये सोच उसको सूरज की बात सही लगने लगी कि मीरा की इस हालत के पिछे एस..ये कोई  इत्तेफाक नहीं हो सकता.. वो जितने ऊपर थी अगर वहां से गिरती तो शायद मीरा की जान तक चली जाती . ....ये सोच उसने मन ही मन सोच की वो इस बारे में मीरा से बात करेगी .....