जन्म का रहस्य
अंश अपने सपनो की दूनिया में चला जाता है तभी वो देखता है कि वो किसी मंदिर में आ गया है वो मंदिर किसी पहाड़ी पर था तेज आंधी से मंदिर की सारी घंटियां जोर से हिल रही थी मंदिर के पास से जानवरों के चिल्लाने की आवाजें आ रही थी,
अंश इन सबको महसूस कर दंग रह गया,
तभी उसको उस मंदिर में किसी के रोने की आवाज़ सुनाई देती है अंश उस आवाज को सुनकर आश्चर्य से भर जाता है और उस आवाज़ का अनुसरण कर उसके पास जाने लगता है वो देखता है कि कोई नवजात शिशु वहाँ मंदिर में शिवलिंग के पास रो रहा है, वो नवजात शिशु महज 1-2 माह का लग रहा था,
तभी वहाँ मंदिर का पुजारी आ जाता है और वो भी किसी बच्चे की रोने की आवाज सुनकर हैरान हो गया था वो देखता है कि कोई नवजात शिशु रो रहा है तो वो वहाँ उसके माँ-बाप को ढुंढने की कोशिश करने लग जाता वो पुजारी पूरे मंदिर मे ढु़ढ कर आता है लेकिन लेकिन उसे कोई नहीं मिलता वो मंदिर के आस पास भी देखता है लेकिन वहाँ कोई भी नहीं मिलता वो पुजारी फिर उस बच्चे के पास आ जाता है और उसको अपनी गोद में उठा लेता है वो पुजारी अपने आप से बात करते हुए कहता है अरे ये बच्चा किसका है यहाँ इसे कौन छोड़ कर चला गया, कितना रो रहा है क्या इसके माँ-बाप को इस बच्चे की कोई परवाह नहीं है,
ऐसे कौन होगा जो इतने प्यारे बच्चे को मंदिर में लावारिस छोड़ कर चला गया,
वो पुजारी अपने आप से ही कहता है नहीं मैं इसको रोते हुए नहीं देख सकता इतना बोलकर वो उस बच्चे को चुप कराते हुए अपने सीने से लगा लेता है जैसे ही वो बच्चा उस पुजारी की गोद में जाता तो वो वैसे ही रोना बंद हो जाता है और बिलकुल शांत हो जाता है,
वो पुजारी उस बच्चे को देखते हुए कहता है अरे कितना प्यारा बच्चा है वो उसके लाड़ करने लग जाता है तभी उसकी नज़र उस बच्चे के हाथ की कलाई पर पडती है जैसे ही वो पुजारी उस बच्चे की हाथ की कलाई देखता है वो दंग रह जाता है उसकी आँखें एकदम से बड़ी हो जाती है,
वो देखता है कि उस बच्चे के हाथ पर त्रिशूल का निशान बना हुआ था और वो सुनहरे रंग में चमक रहा था वो इसको देखकर अभी सोच ही रहा था कि उसका ध्यान उसके गले को देखकर फिर चौक जाता है उस बच्चे का गला बिलकुल निला था उसके गले में एक लॉकेट लटक रहा था जिस पर एक साँप की अकृति बनी हुई थी,
वो पुजारी अपने आप को शांत करते हुए कहता है हे भगवान! के कैसा असाधारण बच्चा है।
इतनी छोटी उम्र में इसका गला इतना ज्यादा निला कैसे हो गया क्या इसको किसी ने विष दिया है लेकिन इतने छोटे बच्चे को मारकर किसी को क्या ही मिलेगा।
वो पुजारी अभी अपने आप से ही सवाल कर रहा था तभी वो देखता की वो बच्चा उसकी गोद में उसे ही देखकर मुसकुराने लग जाता है जब वो पुजारी उस छोटे बच्चे को हंसते हुए देखता है तो उसको उसमें अपना बच्चा नज़र आने लगता है,
उस पुजारी उस बच्चे को खुश देखकर अपने सारे सवाल भूल जाता है और अपने आप से कहता है मैं इस बच्चे की परवरिश करूंगा क्या हुआ जो इसके माँ-बाप इसे अकेला छोड़ कर चले गये तो मैं आज से इसका बाप भी हुँ और इसकी माँ भी इसक़ बच्चे को कभी किसी चीज की परेशानी नहीं होने दुंगा,
जब वो पुजारी ये कहता है तो बहार ऊपर आसमान में बिजलियाँ तेज कडकने लग जाती हैं बादल गडगडाने लग जाते हैं और तेज बारिश शुरू हो जाती हैं मानो प्रकृति इस बात से जश्न मना रही हो और अपनी सहमति जता रही हो।
इस सबके बाद वो पुजारी उस बच्चे को अपने घर ले आता है उसका घर बहोत छोटा सा होता है उस पुजारी का नाम सोमनाथ शर्मा होता है पहले वो उस घर में अपनी पत्नी और बच्चे के साथ ही खुशी से रहता था उसका बच्चा भी 1-2 माह का ही था अचानक कुछ ऐसा हुआ कि उसकी सारी खुशियाँ उजड़ गयी,
किसी हादसे की वजह से उसकी पत्नी और उसके बच्चे की अचानक मौत हो गयी इसके बाद सोमनाथ बिलकुल टूट गया इसके बाद उसने अपना सारा जीवन भगवान को समर्पित कर दिया और मंदिर में पुजारी बनकर भगवान की निस्वार्थ भाव से सेवा करने लगा सोमनाथ को कुछ नहीं चाहिए था वो माँगता भी तो क्या और किसके लिए अब उसकी दूनिया तो भगवान के चरणो में ही थी लेकिन जब आज उसने उस बच्चे को देखा तो उसमे उसे अपने बच्चे की झलक दिखी वो ये देखकर वो भावुक हो गया और भगवान को बार बार धन्यवाद देने लगा यही वजह थी कि वो उस बच्चे को अपने साथ अपने घर ले आया।
वैसे तो सोमनाथ बहोत ही नेक और बिलकुल साधारण सा इंसान था लेकिन बहोत ही कम मौके पर सोमनाथ इतना भावुक हुआ था वो अपने आपको हमेशा हौंसला देता रहता था वो अपने आप से हमेशा यही कहता रहता भगवान जो भी करतें हैं अच्छे के लिए ही करते हैं हर किसी बात के पीछे कोई न कोई कारण छीपा होता है हमें हर किसी चीज के हमेशा दो पहलू देखने चाहिए उसका बुरा भी और अच्छा भी यही कारण था कि जब उसे अपनी पत्नी और बच्चे की मौत पता चला था तो उसने खुद को सभांल लिया उसकी पत्नी और बच्चे के अलावा उसका इस दुनिया में कोई नहीं था।
सोमनाथ आज उस बच्चे को देखकर इन सब बातों को याद करने लग जाता है और भावुक हो जाता है उसकी आँखो से आँसू आ जाते हैं तभी वो बच्चा रोने लग जाता है अचानक सोमनाथ का ध्यान उसकी और जाता है और कहता है अरे मैं भी कितना मुर्ख हुँ बच्चा भुखा होगा और मैं यहाँ पुरानी बातों को याद करने में लगा हुआ हुँ,
वो एकदम से उस बच्चे को हसतें हुए कहता है बेटा तुम बस थोड़ा सा इंतज़ार करो मैं झट से तुमको दूध गर्म करके पिलाता हुँ सोमनाथ ने अपने घर के पिछे उसने एक गाय रखी हुई थी वो जल्दी से गाँय का दूध निकालकर उसे गर्म करके हलके हलके चमच से अंश को पिलाने लग जाता है,
कुछ ही देर में वो बच्चा हंसने लग जाता है उस बच्चे की मुस्कान बहोत ही ज्यादा मनमोहन थी उसकी मुस्कान किसी को भी मोह सकती थी सोमनाथ जब उसको हंसते देखता है तो वो खुद भी बहोत खुश हो जाता है वो फिर उसको ध्यान से देखने लग जाता है अब उसको न तो उसका गला निला नजर आता है और न ही उसको उस बच्चे की कलाई चमकती दिखती है उसके गले का लॉकेट और कलाई निशान अभी तक वैसे ही थे,
सोमनाथ खुद से कहता है शायद मुझे उस वक्त कोई बहम हुआ होगा।।
तभी उसकी गाँय तेज आवाज करती है सोमनाथ तभी उसे देखने जाता है वो देखता है कि उसकी गाँय ने अभी अभी एक बहोत प्यारे बछड़े को जन्म दिया है।