।नागमणि – भाग 12✍️ लेखक – विजय शर्मा ए़री1. नया तूफ़ानराधा ने नागमणि मंदिर में स्थापित कर दी थी। गाँव में सुख-शांति लौट आई थी। लेकिन शांति कभी स्थायी नहीं रहती।दूर हिमालय की पहाड़ियों में एक और तांत्रिक ‘कालभैरव’ तपस्या कर रहा था। जब उसे भैरवनाथ की हार और नागमणि की रक्षा का समाचार मिला तो उसकी आँखों में जलन और लालच दोनों तैर गए।वह हँसा –“भैरवनाथ तो बच्चा था। नागमणि मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है। अब धरती काँपेगी और नागराज भी मेरे सामने झुकेगा।”2. गाँव में अशुभ संकेतएक रात गाँव के ऊपर काले बादल छा गए। बिना बारिश के बिजली कड़कने लगी। पेड़-पौधे सूखने लगे। लोग घबराकर चौपाल पर इकट्ठा हुए।बुज़ुर्ग ने कहा –“यह कोई साधारण तूफ़ान नहीं। यह किसी नई बुरी शक्ति का संकेत है।”अर्जुन ने निश्चय किया –“मैं नागराज से मिलकर सच जानूँगा।”3. नागलोक की यात्राअर्जुन और राधा मंदिर गए। राधा ने दीप जलाए और मन से प्रार्थना की। अचानक धरती काँपी और मंदिर के गर्भगृह से एक गुप्त द्वार खुला।नागराज की आवाज़ आई –“अर्जुन, राधा, तुम्हें नागलोक आना होगा। केवल वहीं सच्चाई सामने आएगी।”दोनों साहस करके उस गुप्त मार्ग में उतर गए। वह मार्ग अँधेरा था, दीवारों पर सर्पों की आकृतियाँ बनी थीं। अंततः वे नागलोक पहुँचे। वहाँ चमकते महल, जलती मशालें और हजारों सर्प प्रहरी मौजूद थे।4. नागराज का रहस्योद्घाटननागराज ने दोनों का स्वागत किया और कहा –“तुम्हारे गाँव पर अब नया खतरा मंडरा रहा है। कालभैरव तांत्रिक हिमालय से चला है। उसकी शक्ति भैरवनाथ से कई गुना अधिक है। वह नागमणि को पाने के लिए प्रेतों और दुष्ट आत्माओं की मदद ले रहा है।”राधा ने डरते हुए पूछा –“तो क्या नागमणि फिर संकट में है?”नागराज ने गंभीर स्वर में कहा –“हाँ। लेकिन इस बार केवल तुम्हारे साहस से काम नहीं चलेगा। तुम्हें नागलोक की परीक्षा देनी होगी। तभी तुम्हें वह शक्ति मिलेगी जिससे गाँव और नागमणि की रक्षा हो सके।”5. नागलोक की परीक्षाअर्जुन और राधा को तीन परीक्षाएँ दी गईं –साहस की परीक्षा – एक गुफा में उन्हें अंधेरे और विषैले साँपों के बीच बिना डरे चलना था।सत्य की परीक्षा – एक दर्पण में उनके दिल के विचार दिखाए गए। अगर मन में झूठ या लोभ होता तो वे वहीं नष्ट हो जाते।बलिदान की परीक्षा – दोनों को यह शपथ लेनी थी कि वे नागमणि के लिए अपने प्राण भी दे सकते हैं।दोनों ने सभी परीक्षाएँ पार कर लीं। नागराज प्रसन्न हुआ और बोला –“अब तुम नागलोक के रक्षक कहलाओगे। तुम्हें मेरी आशीर्वाद शक्ति मिलती है।”6. कालभैरव का आगमनउधर गाँव के बाहर कब्रिस्तान में कालभैरव ने यज्ञ किया। उसके चारों ओर प्रेत घूम रहे थे। उसने मंत्र पढ़ा –“हे दुष्ट आत्माओं, नागमणि मेरे लिए लाओ।”काले धुएँ का तूफ़ान उठ खड़ा हुआ। गाँव के घर काँपने लगे।लोग डरकर मंदिर की ओर भागे।7. निर्णायक टकरावनागलोक से लौटे अर्जुन और राधा अब नई शक्ति से भर चुके थे। नागराज भी प्रकट हुआ।कालभैरव गरजा –“नागराज, तेरे दिन लद गए। आज नागमणि मेरी होगी।”नागराज बोला –“लोभी कभी विजयी नहीं होता।”युद्ध छिड़ गया। प्रेत और सर्प आमने-सामने आ गए। गाँववाले भी हिम्मत जुटाकर मशालें लेकर युद्ध में उतर पड़े।8. राधा का बलिदानकालभैरव ने अचानक नागमणि की ओर छलाँग लगाई। राधा ने उसे रोकने के लिए सामने कदम बढ़ाया। उसने पूरी शक्ति से मंत्र का सामना किया और स्वयं घायल हो गई।अर्जुन चिल्लाया –“राधा…!”नागराज ने उसकी रक्षा की लेकिन राधा का शरीर लहूलुहान हो चुका था।राधा ने मुस्कराकर कहा –“अगर मेरे बलिदान से गाँव और नागमणि सुरक्षित रहती है तो यह मौत भी पवित्र है।”9. कालभैरव का अंतराधा की निडरता देखकर नागमणि प्रचंड रूप से चमक उठी। उसकी किरणें सीधे कालभैरव पर पड़ीं।वह चीखा –“नहीं… यह संभव नहीं!”और पलभर में राख बनकर हवा में उड़ गया। उसके सारे प्रेत भी विलीन हो गए।10. नई सुबह, नया संदेशसुबह गाँव फिर से उजाला और शांति में डूब गया। राधा घायल थी लेकिन जीवित बच गई। नागराज ने उसे जीवनदायिनी शक्ति दी।गाँववाले झूमकर बोले –“जय नागराज! जय राधा!”नागराज ने कहा –“याद रखो, नागमणि शक्ति है लेकिन केवल उसी के लिए जो सच्चाई और बलिदान को स्वीकार करता है। अगर तुम सब मिलकर लोभ त्यागोगे तो यह मणि सदा तुम्हारी रक्षा करेगी।”प्रमाणपत्रमैं, विजय शर्मा ए़री, अजनाला, अमृतसर, पंजाब – 143102, यह घोषणा करता हूँ कि “नागमणि भाग 12” मेरी मौलिक रचना है। इसमें कोई भी अंश कहीं से नकल नहीं किया गया है। पाठक इसे स्वतंत्र रूप से पढ़, गा या मंचित कर सकते हैं।✍️ लेखक – विजय शर्मा ए़री