💀 डेथ वाला रोड 💀
मध्यप्रदेश के एक छोटे कस्बे रतलामपुर में एक रोड था, जिसे लोग “डेथ वाला रोड” कहते थे। कहते हैं कि वहाँ हर महीने कोई न कोई हादसा जरूर होता। गाँव के लोग उस सड़क से गुजरने से डरते थे।
उस रोड पर शाम ढलते ही अजीब-सी सिहरन महसूस होती। पेड़ों पर बैठे उल्लू, हवा में सरसराते पत्ते और सुनसान रास्ता – जैसे मौत का साया हमेशा मंडराता हो।
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🚲 राज का सफर
कहानी की शुरुआत होती है राज से, जो कस्बे का कॉलेज स्टूडेंट था। राज पढ़ाई में अच्छा था, लेकिन बेहद जिद्दी भी। लोग उसे “डेथ वाला रोड” से न जाने की सलाह देते, मगर राज कहता –
“अरे भूत-प्रेत जैसी कोई चीज़ नहीं होती। हादसे तो लापरवाही से होते हैं।”
एक दिन देर रात राज अपने दोस्त की बाइक लेकर उसी रोड से गुजर रहा था। हवा तेज़ थी, अंधेरा गहरा था और चाँद बादलों के पीछे छिपा हुआ था।
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🌑 रहस्यमयी औरत
जैसे ही राज बीच रोड पर पहुँचा, उसने देखा – एक सफेद साड़ी में औरत खड़ी है। उसके बाल बिखरे हुए और चेहरा अंधेरे में धुंधला था।
राज डर तो गया, लेकिन खुद को संभालते हुए बोला –
“आप कौन हैं? यहाँ क्यों खड़ी हैं?”
वो औरत कुछ नहीं बोली, बस धीमी आवाज़ में कहा –
“यहाँ मत रुक… यह मौत का रास्ता है।”
राज को लगा कोई मज़ाक कर रहा है। उसने बाइक स्टार्ट की और आगे बढ़ा। लेकिन अचानक बाइक अपने-आप बंद हो गई।
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💔 हादसे की कहानी
अचानक राज की आँखों के सामने एक फ़्लैशबैक आया। उसे दिखा कि इसी रोड पर कुछ साल पहले एक लड़की की बारात जाते समय ट्रक से टक्कर हो गई थी और पूरी बारात खत्म हो गई। वही लड़की सफेद साड़ी में आज भी इस रोड पर भटकती है।
राज के शरीर में सिहरन दौड़ गई। वो समझ गया कि ये कोई इंसान नहीं, बल्कि उस लड़की की आत्मा है।
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🚨 हादसा या चेतावनी?
उसी वक्त पीछे से तेज़ ट्रक आ रहा था। अगर राज बाइक स्टार्ट करके आगे बढ़ता तो सीधे ट्रक से टकरा जाता।
वो औरत फिर बोली –
“रुक जा… वरना तू भी मर जाएगा।”
राज डर से जड़ हो गया। ट्रक सर्रर्र से उसके पास से निकल गया। अगर वो आगे बढ़ जाता तो उसकी मौत तय थी।
धीरे-धीरे बाइक फिर अपने-आप स्टार्ट हो गई। राज पीछे मुड़ा तो वहाँ कोई औरत नहीं थी। बस सुनसान रोड और हवा की आवाज़ थी।
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🌸 सच सामने आया
अगले दिन राज ने गाँव के बुजुर्गों से बात की। उन्होंने बताया कि उस लड़की का नाम सुहानी था। उसकी शादी के दिन पूरी बारात हादसे में खत्म हो गई थी। तब से उसकी आत्मा उस रोड पर लोगों को चेतावनी देती है ताकि कोई और मौत का शिकार न बने।
राज ये सुनकर दंग रह गया। उसने तय किया कि अब वो लोगों को बताएगा कि ये रोड खतरनाक है, यहाँ ट्रक और गाड़ियाँ तेज़ रफ्तार से चलती हैं। हादसों की वजह भूत-प्रेत नहीं, बल्कि लापरवाही है।
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🕊️ बदलाव की शुरुआत
राज ने सोशल मीडिया पर “डेथ वाला रोड” का मुद्दा उठाया। प्रशासन तक उसकी आवाज़ पहुँची। कुछ महीनों बाद उस रोड पर स्ट्रीट लाइटें लगाई गईं, स्पीड ब्रेकर बनाए गए और पुलिस की गश्त शुरू हुई।
धीरे-धीरे उस रोड पर हादसे कम हो गए। लोग अब उसे डर के बजाय “चेतना वाला रोड” कहने लगे।
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✨ सीख
इस कहानी से हमें यही सीख मिलती है कि डर हमेशा अंधविश्वास से नहीं, बल्कि सचाई को न समझने से पैदा होता है। हादसे भूत-प्रेत से नहीं, इंसानों की गलतियों से होते हैं। अगर हम जागरूक हों, तो मौत का साया भी दूर हो सकता है।
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❤️ अंत में ❤️
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