Believing is Deeper Than Knowing in Hindi Spiritual Stories by Vishal Saini books and stories PDF | Believing is Deeper Than Knowing

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Believing is Deeper Than Knowing

क्या आपने कभी भगवान को देखा है? शायद नहीं। मैंने भी कभी नहीं देखा।

तो फिर सवाल उठता है कि हम भगवान पर विश्वास कैसे करें?

कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो आँखों से देखने और प्रत्यक्ष प्रमाण मिलने के बाद ही किसी चीज़ पर विश्वास करते हैं इसलिए वे नास्तिक बन गए हैं, क्योंकि भगवान दिखाई नहीं देते।

कुछ लोग निश्चित रूप से आस्तिक हैं, लेकिन उनके मन में हमेशा भगवान को देखने और उनके होने या न होने को लेकर प्रश्न बने रहते हैं।

"बहुत बार ऐसा भी होता है कि आँखों देखी चीज़ें भी झूठ साबित हो जाती हैं।"

इसीलिए असली सवाल यह नहीं है कि क्या हमने भगवान को देखा है, बल्कि यह है कि क्या हमने भगवान को जाना है। और सच कहुँ तो भगवान को जानना भी जरूरी नहीं है, क्योंकि भगवान का स्वरूप इतना विराट है कि उन्हें जान पाना हमारी छोटी-सी बुद्धि वाले मनुष्य के बस की बात नहीं है।

भगवान को सिर्फ़ मानना ही काफी है।

जानना और मानना दो अलग अवस्थाएँ हैं।
जानना का अर्थ है किसी तथ्य को सत्य को कसौटी पर परखना और अनुभव, तर्क, प्रमाण और प्रत्यक्ष साक्ष्य के आधार पर उसके अस्तित्व को स्वीकार करना ही जानना कहलाता है।

इसके विपरीत, मानना का अर्थ है बिना तर्क, बिना प्रमाण और बिना प्रत्यक्ष साक्ष्य के केवल विश्वास के आधार पर किसी तथ्य को स्वीकार करना। यह मनुष्य की आस्था और भरोसे पर टिका हुआ होता है। यहाँ विवेक और परीक्षण की आवश्यकता नहीं होती, बल्कि आत्मिक श्रद्धा ही मुख्य भूमिका निभाती है।

असल में जानना हमें खुद को है। हमें अपने अस्तित्व को जानना है। हमें अपने आत्म-साक्षात्कार की ओर बढ़ना है। भगवान को मानना ही पर्याप्त है क्योंकि विश्वास ही सबसे बड़ी शक्ति है। भगवान का होना या न होना उतना मायने नहीं रखता जितना मायने रखता है हमारा उनके प्रति विश्वास। इंसान का विश्वास जब अडिग होता है तो वह असंभव को भी संभव बना देता है।

आपने The Secret और The Power of Subconscious Mind जैसी किताबें पढ़ी या सुनी होंगी। इन किताबों की नींव ही विश्वास है। हमारा अवचेतन मन हमारी पूरी ज़िंदगी को नियंत्रित करता है, विश्वास ही उसका आधार है। हमें केवल भगवान पर विश्वास करना है और अपने अवचेतन मन को सकारात्मकता तथा शांति से भरना है तक हमें सकरात्मक परिणाम मिले।

सोचिए, जब हम अंधेरे में किसी झाड़ी को इंसान या भूत समझ लेते हैं तो केवल इस विश्वास के कारण हमारे शरीर पर कितना असर होता है।

हमारे मस्तिष्क से कोर्टिसोल और एड्रेनालिन जैसे हार्मोन निकलने लगते हैं। दिल की धड़कन अचानक तेज़ हो जाती है। आँखों की पुतलियाँ फैल जाती हैं। पसीना आने लगता है और रक्त का प्रवाह मस्तिष्क की ओर बढ़ जाता है। यह सब केवल हमारे झूठे विश्वास के कारण होता है।

अब जरा रुक कर सोचिए, जब एक झूठा विश्वास हमारे शरीर और दिमाग़ पर इतना गहरा असर डाल सकता है तो अगर हम विश्वास से मान लें कि भगवान है जो कि सच भी है, तो उसका प्रभाव कितना अद्भुत होगा। निश्चय ही होगा, और 100% होगा।

वैसे आप इस बात को सोचिए कि क्या भगवान के होने के लिए हमें प्रमाण और प्रत्यक्ष साक्ष्य की आवश्यकता है?

जब हमारे चारों ओर इतनी सुंदर भौतिक रचना विद्यमान है, तो क्या यह अपने आप में भगवान के अस्तित्व का प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं है? यह विशाल ब्रह्मांड, प्रकृति की अद्भुत व्यवस्था, जीवन की जटिलता और प्रत्येक वस्तु की सटीकता सब कुछ उसी अदृश्य शक्ति की गवाही देते हैं।

हमें भगवान के होने का प्रमाण खोजने की ज़रूरत नहीं, क्योंकि उसकी रचना स्वयं उसके अस्तित्व का सबसे बड़ा प्रमाण है।

जब हम यह मान लेते हैं कि भगवान है, तब हमारे शरीर में डोपामिन और सेरोटोनिन जैसे हैप्पी हार्मोन का स्तर बढ़ने लगता है। हमें जीवन को सहारा और संबल मिलता है। अकेलेपन की भावना कम होती है। हमें अपने अस्तित्व का अर्थ और जीवन का उद्देश्य महसूस होने लगता है। और जब हम भगवान पर गहन एवं दृढ़ विश्वास कर लेते हैं, तो उनके होने के प्रत्यक्ष प्रमाण भी हमें अनुभव होने लगते हैं। यही एहसास हमें शांति और संतोष प्रदान करता है।

जैस हर भौतिक वस्तु का कोई न कोई निर्माता होता है वैसे ही हमारा भी कोई निर्माता है।

हर चीज़ का कोई न कोई नियंता होता है। यह पूरी सृष्टि अपने आप नहीं बन सकती। मेर विश्वास कीजिये यह मान लेना ही पर्याप्त है कि हमें बनाने वाला कोई है, कोई ऐसी शक्ति है जो हर चीज़ को नियंत्रित कर रही है।

अगर कोई नास्तिक इंसान कभी आपसे बहस करे कि भगवान नहीं है, तो अपने विश्वास को कभी मत तोड़ना। क्योंकि भगवान का होना या न होना एक अलग विषय है, सबसे ज़रूरी यह है कि आप अपने विश्वास को मज़बूत रखें क्योकि यही विश्वास आपके अवचेतन मन की शक्ति को जाग्रत करेगा।

भगवान को देखने की ज़रूरत नहीं है। भगवान को जानने की भी ज़रूरत नहीं है। भगवान को मान लेना ही पर्याप्त है। और जब हम मान लेते हैं, तो वही विश्वास हमारी सबसे बड़ी शक्ति बन जाता है।
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Vishal Saini