Narendra Modi Biography - 7 in Hindi Biography by mood Writer books and stories PDF | Narendra Modi Biography - 7

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Narendra Modi Biography - 7


भाग 7 – प्रधानमंत्री पद की यात्रा और 2014 का ऐतिहासिक चुनाव


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प्रस्तावना

2013–14 का दौर भारतीय राजनीति के लिए ऐतिहासिक था। एक तरफ कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार भ्रष्टाचार, महँगाई और नीतिगत पंगुता (Policy Paralysis) के कारण जनता के आक्रोश का सामना कर रही थी, वहीं दूसरी ओर भाजपा को एक ऐसे करिश्माई नेता की तलाश थी जो देशभर में पार्टी को मजबूत कर सके। नरेंद्र मोदी का “गुजरात मॉडल” और उनकी व्यक्तिगत लोकप्रियता ने उन्हें राष्ट्रीय राजनीति के केंद्र में ला खड़ा किया।


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राष्ट्रीय राजनीति में उभरना

गुजरात में लगातार तीन बार चुनाव जीतने के बाद मोदी सिर्फ एक राज्य के नेता नहीं रहे थे, बल्कि वे राष्ट्रीय स्तर पर चर्चाओं का हिस्सा बन चुके थे।

मीडिया उन्हें विकासपुरुष और निर्णायक प्रशासक के रूप में पेश करने लगी।

व्यापार जगत उन्हें निवेश-हितैषी नेता मानने लगा।

युवा वर्ग उन्हें एक ऐसे नेता के रूप में देखने लगा, जो नई सोच और ऊर्जा के साथ देश को आगे बढ़ा सकता था।


2010 के बाद से मोदी देशभर में कार्यक्रमों में बुलाए जाने लगे। सोशल मीडिया पर उनकी पकड़ मजबूत होती गई।


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2013: भाजपा की रणनीति और मोदी का उदय

2013 भाजपा के लिए निर्णायक साल था।

यूपीए सरकार पर 2G, कोयला घोटाला, CWG जैसे भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप थे।

महँगाई, बेरोजगारी और आर्थिक गिरावट से जनता परेशान थी।

भाजपा को ऐसा चेहरा चाहिए था जो कांग्रेस और खासकर राहुल गांधी के सामने मज़बूत विकल्प बन सके।


इस समय तक नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता पार्टी के अन्य नेताओं से कहीं अधिक हो चुकी थी। जून 2013 में भाजपा ने उन्हें 2014 लोकसभा चुनाव के लिए अभियान समिति का अध्यक्ष बनाया।

यहीं से स्पष्ट हो गया कि मोदी ही पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार होंगे।


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प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार घोषित

सितंबर 2013 में भाजपा ने आधिकारिक रूप से नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया। यह निर्णय आसान नहीं था, क्योंकि पार्टी के अंदर वरिष्ठ नेताओं की अपनी-अपनी महत्वाकांक्षाएँ थीं। लेकिन जनता का दबाव, कार्यकर्ताओं का उत्साह और मोदी की लोकप्रियता इतनी अधिक थी कि पार्टी को यही कदम उठाना पड़ा।


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चुनावी अभियान की शुरुआत

मोदी ने जैसे ही प्रचार की कमान संभाली, चुनाव का पूरा परिदृश्य बदल गया।

1. चाय पर चर्चा – मोदी ने देशभर में आम जनता से संवाद करने का नया तरीका निकाला। छोटे-छोटे चौपालों में बैठकर लोगों से सीधे संवाद किया।


2. सोशल मीडिया का प्रयोग – मोदी ट्विटर, फेसबुक और यूट्यूब का इस्तेमाल करने वाले पहले बड़े भारतीय नेता बने। युवाओं से उनकी सीधी कनेक्टिविटी हो गई।


3. विकास का एजेंडा – मोदी ने "गुजरात मॉडल" को राष्ट्रीय मंच पर रखा और नारा दिया – “सबका साथ, सबका विकास।”


4. प्रचंड रैलियाँ – उन्होंने 400 से अधिक चुनावी रैलियाँ कीं, जिनमें लाखों लोग जुटे।


5. नारा और प्रतीकवाद – “अच्छे दिन आने वाले हैं” और “अबकी बार मोदी सरकार” जैसे नारे पूरे देश में गूँजने लगे।




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कांग्रेस और यूपीए की कमजोरियाँ

उस समय कांग्रेस नेतृत्व कमजोर दिखाई दे रहा था।

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को “निर्णय लेने में असमर्थ” कहा जाने लगा।

राहुल गांधी युवाओं को आकर्षित करने में असफल रहे।

लगातार घोटालों ने कांग्रेस की छवि खराब कर दी।

महँगाई और बेरोजगारी ने जनता का विश्वास हिला दिया।


इस माहौल में मोदी एक मजबूत विकल्प बन गए।


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2014 लोकसभा चुनाव

भारत का इतिहास बताता है कि इतने बड़े पैमाने पर संगठित और ऊर्जावान चुनाव प्रचार पहले कभी नहीं देखा गया था।

भाजपा ने मोदी को केंद्र में रखकर हर राज्य में प्रचार किया।

मोदी ने 3D रैलियाँ (होलोग्राम तकनीक से एक साथ कई जगह भाषण) कीं, जिसने लोगों को प्रभावित किया।

हर वर्ग – युवा, महिला, व्यापारी, किसान – तक पहुँचने के लिए विशेष अभियान चलाए गए।

मोदी ने खुद को “चायवाला” कहकर आम जनता से जुड़ाव और बढ़ाया।



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चुनाव परिणाम

16 मई 2014 को लोकसभा चुनाव परिणाम आए।

भाजपा ने अकेले 282 सीटें जीतीं।

एनडीए गठबंधन को कुल 336 सीटें मिलीं।

कांग्रेस केवल 44 सीटों पर सिमट गई।


यह आज़ादी के बाद पहली बार था जब कोई गैर-कांग्रेसी पार्टी पूर्ण बहुमत से सत्ता में आई।


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मोदी की शपथ और जनता की उम्मीदें

26 मई 2014 को नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली।

समारोह में दक्षिण एशियाई देशों के नेताओं को आमंत्रित किया गया, जिसने भारत की विदेश नीति का नया अध्याय खोला।

जनता ने उनसे भ्रष्टाचार-मुक्त, पारदर्शी और विकास-उन्मुख शासन की उम्मीदें लगाई।



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2014 की जीत का महत्व

1. यह सिर्फ भाजपा की जीत नहीं थी, बल्कि जनता की उस उम्मीद का प्रतीक थी कि मोदी देश को नई दिशा देंगे।


2. इस जीत ने भारतीय राजनीति की तस्वीर बदल दी – गठबंधन युग की राजनीति से निकलकर बहुमत की स्थिर सरकार आई।


3. मोदी का करिश्मा राष्ट्रीय राजनीति से निकलकर अंतरराष्ट्रीय मंचों तक पहुँच गया।