भाग 6 – गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में कार्यकाल (2001–2014)
प्रस्तावना
2001 तक नरेंद्र मोदी पर्दे के पीछे के संगठनकर्ता और रणनीतिकार के रूप में भाजपा की पहचान बन चुके थे। लेकिन उनकी असली राजनीतिक यात्रा, जनता के बीच लोकप्रिय चेहरा बनने की शुरुआत अक्टूबर 2001 से हुई, जब पार्टी नेतृत्व ने उन्हें गुजरात का मुख्यमंत्री नियुक्त किया। यह वह दौर था जिसने मोदी को एक साधारण संगठन मंत्री से राष्ट्रीय नेता और आगे चलकर प्रधानमंत्री तक पहुँचाया।
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मुख्यमंत्री बनने की पृष्ठभूमि
2001 में गुजरात भयंकर भुज भूकंप से तबाह हो गया था।
हज़ारों लोग मारे गए।
लाखों बेघर हो गए।
पुनर्वास की जिम्मेदारी भारी थी।
उस समय मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल थे, लेकिन उनकी सरकार जनता की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर रही थी। पार्टी नेतृत्व को नया और ऊर्जावान चेहरा चाहिए था। इसी समय नरेंद्र मोदी का नाम सामने आया।
भाजपा ने उन्हें अक्टूबर 2001 में गुजरात का मुख्यमंत्री नियुक्त किया। यह पहली बार था जब मोदी किसी निर्वाचित पद पर पहुँचे।
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शुरुआती चुनौतियाँ
मुख्यमंत्री बनने के तुरंत बाद ही मोदी के सामने कई चुनौतियाँ थीं:
1. भूकंप प्रभावित क्षेत्रों का पुनर्निर्माण।
2. पार्टी के भीतर असंतोष।
3. जनता का सरकार पर अविश्वास।
मोदी ने इन चुनौतियों को अवसर में बदल दिया।
उन्होंने भूकंप पुनर्वास को तेज गति दी।
आधुनिक योजनाएँ बनाईं।
पारदर्शिता और त्वरित कार्रवाई पर जोर दिया।
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2002 गुजरात दंगे
फरवरी 2002 में गोधरा कांड हुआ, जिसमें साबरमती एक्सप्रेस की एक बोगी में आग लगने से 59 कारसेवक मारे गए। इसके बाद पूरे गुजरात में भयानक दंगे भड़क उठे।
हजारों लोग मारे गए, जिनमें अधिकतर अल्पसंख्यक थे।
नरेंद्र मोदी की सरकार पर आरोप लगे कि उन्होंने हिंसा रोकने में देरी की।
राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनकी आलोचना हुई।
हालाँकि, मोदी ने इन आरोपों को नकारा और कहा कि उन्होंने पूरी कोशिश की। बाद में उन्हें न्यायालयों द्वारा किसी भी षड्यंत्र से मुक्त कर दिया गया।
यह घटना उनके राजनीतिक जीवन का सबसे विवादित अध्याय रही। लेकिन साथ ही, इसने उन्हें "कठोर नेता" और "निर्णय लेने वाला प्रशासक" की छवि भी दी।
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2002 का चुनाव – पहली बड़ी परीक्षा
दंगों के बाद दिसंबर 2002 में गुजरात विधानसभा चुनाव हुए।
मोदी ने चुनाव को विकास और सुरक्षा के मुद्दे पर लड़ा।
उन्होंने जनता से सीधे संवाद किया।
परिणामस्वरूप भाजपा ने प्रचंड बहुमत हासिल किया।
इस जीत ने मोदी की स्थिति को मजबूत कर दिया। वे अब केवल संगठन मंत्री नहीं रहे, बल्कि जनता के बीच लोकप्रिय मुख्यमंत्री बन चुके थे।
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गुजरात का विकास मॉडल
2002 से 2014 तक नरेंद्र मोदी ने अपने शासन को "विकास" पर केंद्रित किया।
1. सड़क और इंफ्रास्ट्रक्चर – गुजरात में चौड़ी सड़कें, बेहतर परिवहन और औद्योगिक कॉरिडोर का निर्माण हुआ।
2. ऊर्जा क्षेत्र – बिजली उत्पादन में आत्मनिर्भरता। ग्रामीण क्षेत्रों में भी 24 घंटे बिजली उपलब्ध कराई गई।
3. कृषि क्षेत्र – "जल क्रांति" और "कृषि महोत्सव" जैसे कार्यक्रम शुरू किए। ड्रिप इरिगेशन को बढ़ावा दिया।
4. उद्योग – वाइब्रेंट गुजरात समिट के जरिए बड़े उद्योगपतियों को निवेश के लिए आकर्षित किया।
5. शासन व्यवस्था – ई-गवर्नेंस और प्रशासन में तकनीक का उपयोग बढ़ाया।
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वाइब्रेंट गुजरात समिट
2003 से नरेंद्र मोदी ने "वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट" की शुरुआत की।
इसका मकसद था राज्य में बड़े पैमाने पर निवेश लाना।
रिलायंस, टाटा, अडानी, फोर्ड जैसी बड़ी कंपनियों ने निवेश किया।
गुजरात को औद्योगिक हब के रूप में पहचान मिली।
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कृषि में सुधार
हालाँकि गुजरात उद्योगों के लिए जाना जाता है, लेकिन मोदी ने कृषि को भी प्राथमिकता दी।
"कृषि महोत्सव" आयोजित करके किसानों से सीधे संवाद किया।
सिंचाई परियोजनाओं के जरिए पानी की उपलब्धता बढ़ाई।
वैज्ञानिक तरीकों और बीज सुधार पर जोर दिया।
इससे गुजरात की कृषि वृद्धि दर राष्ट्रीय औसत से कहीं अधिक हो गई।
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जनता से संवाद का नया तरीका
मोदी ने जनता से जुड़ने के लिए अनोखे तरीके अपनाए:
"मन की बात" जैसे संवाद का मॉडल पहले गुजरात में "चाय पर चर्चा" के रूप में शुरू किया।
सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने वाले पहले मुख्यमंत्री बने।
कार्यकर्ताओं और जनता से सीधे संपर्क बनाए रखा।
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लगातार चुनावी जीतें
2002 – पहली बार मुख्यमंत्री चुने गए।
2007 – दूसरी बार भाजपा को बहुमत दिलाया।
2012 – तीसरी बार जीत हासिल की।
हर बार उनकी जीत बड़ी होती गई और उनका कद राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ता गया।
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विवाद और आलोचना
जहाँ मोदी की प्रशंसा हुई, वहीं उनकी आलोचना भी हुई।
2002 के दंगों के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराया गया।
अल्पसंख्यकों की स्थिति पर सवाल उठाए गए।
बड़े उद्योगपतियों से नजदीकी के आरोप लगे।
लेकिन मोदी ने हमेशा अपने कामकाज को "विकास" की राजनीति कहकर पेश किया।
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राष्ट्रीय नेता बनने की राह
2010 के बाद मोदी का कद राष्ट्रीय स्तर पर तेजी से बढ़ा।
भाजपा के अंदर वे सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री माने गए।
"गुजरात मॉडल" को पार्टी ने अन्य राज्यों में भी प्रचारित किया।
मीडिया और जनता में उनकी छवि "विकासपुरुष" की बनने लगी।
2013 में उन्हें भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया गया।