🚗 लॉन्ग ड्राइव – दिल से दिल तक का सफर ❤️
बारिश की हल्की-हल्की फुहारें, शाम का सुहाना मौसम और शहर के बाहर तक फैली लंबी सड़क...
अर्जुन की आँखों में आज एक अलग ही चमक थी। ऑफिस से छुट्टी लेकर उसने अपनी कार को साफ किया, फ्यूल टैंक फुल कराया और मोबाइल पर सिर्फ एक मैसेज भेजा —
"शाम को 6 बजे तैयार रहना, बस यूँ ही कहीं दूर चलते हैं।"
सामने से एक छोटा सा रिप्लाई आया —
"पागल हो? इतने अचानक?"
और फिर दिल बनाकर लिखा — "ठीक है।"
अर्जुन और कियारा की मुलाकात कॉलेज में हुई थी। वो दोनों सिर्फ क्लासमेट से बढ़कर अच्छे दोस्त बने, फिर दोस्ती धीरे-धीरे प्यार में बदल गई। पर पिछले कुछ महीनों से उनकी मुलाकातें कम हो गई थीं। काम, टेंशन और छोटी-छोटी नोकझोंक ने उनके रिश्ते में हल्का-सा दूरी का धुंधला पर्दा डाल दिया था।
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शाम 6 बजे...
कियारा नीले रंग की ड्रेस में नीचे आई, बाल खुले हुए और होंठों पर वही हल्की सी मुस्कान, जो अर्जुन को हमेशा पिघला देती थी।
"कहाँ जा रहे हैं?" उसने कार में बैठते ही पूछा।
"जहाँ सड़क ले जाए…" अर्जुन ने स्टीयरिंग घुमाते हुए कहा।
शहर की भीड़ से निकलते-निकलते, दोनों के बीच बस गाने और हल्की-फुल्की बातें ही हो रही थीं। कियारा खिड़की से बाहर बारिश की बूंदों को महसूस कर रही थी, और अर्जुन उसे देख रहा था — जैसे किसी खूबसूरत किताब के पन्ने पलट रहा हो।
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थोड़ी देर बाद…
सड़क दोनों तरफ हरे-भरे खेतों से घिर गई। आसमान में बादल और बीच-बीच में झलकता चाँद, माहौल को और भी रोमांटिक बना रहा था।
"तुम्हें पता है अर्जुन," कियारा ने धीरे से कहा, "हमने ऐसे कितने दिन मिस कर दिए… बिना टेंशन, बिना प्लानिंग के, बस साथ रहना।"
अर्जुन ने उसकी तरफ देखा, "तो आज का दिन बस तुम्हारा है, कोई बहस नहीं, कोई शिकायत नहीं।"
कियारा ने मुस्कुराकर उसकी हथेली पकड़ ली। कुछ पल के लिए दोनों चुप हो गए, जैसे सिर्फ एक-दूसरे की मौजूदगी को महसूस कर रहे हों।
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गाँव के पास की सड़क…
अर्जुन ने गाड़ी रोक दी। चारों तरफ सन्नाटा, दूर कहीं मेंढकों की आवाज और बारिश की खुशबू।
"चलो, थोड़ी देर पैदल चलते हैं," अर्जुन बोला।
दोनों सड़क के किनारे-किनारे चलने लगे।
कियारा ने बारिश की बूंदें हथेली पर कैद करते हुए कहा, "ये पल याद रहेंगे… शायद उम्रभर।"
अर्जुन ने उसे अपनी बाहों में खींचते हुए कहा, "याद नहीं, ये पल हमारी कहानी बनेंगे।"
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रात गहराने लगी…
वापस कार में बैठकर अर्जुन ने गाने ऑन किए — पुराने रोमांटिक गाने, जिन्हें सुनकर कॉलेज के दिन याद आ गए।
"तुम्हें याद है," कियारा हँसते हुए बोली, "तुमने पहली बार मुझे लॉन्ग ड्राइव पे ले जाने के लिए कैसे मना किया था?"
"हाँ," अर्जुन हँस पड़ा, "तुमने कहा था 'पापा को क्या बोलूँगी?' और मैंने कहा था 'सच बोलो, कि अर्जुन के साथ जा रही हो।'"
दोनों हँस पड़े, जैसे सारी थकान और गलतफहमियाँ उसी हँसी में घुल गई हों।
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मोड़ पर एक चाय की दुकान…
अर्जुन ने गाड़ी रोक दी।
"यहाँ की अदरक वाली चाय पी है कभी?"
"नहीं," कियारा ने सिर हिलाया।
बारिश में गरम-गरम चाय और पकौड़ों का स्वाद जैसे सफर को पूरा कर रहा था। दुकान वाला बूढ़ा अंकल मुस्कुराकर बोला, "बेटा, जिंदगी का मज़ा ऐसे ही लेना चाहिए, वक्त रहते… नहीं तो बस काम और चिंता में दिन गुजर जाते हैं।"
अर्जुन और कियारा ने एक-दूसरे की तरफ देखा — शायद वो बात उनके दिल में उतर गई।
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घर लौटते समय…
रात के 11 बज चुके थे। सड़कों पर बस स्ट्रीट लाइट्स की रोशनी थी और उनकी कार की हेडलाइट्स।
कियारा ने धीरे से कहा, "अर्जुन… थैंक यू, इस सफर के लिए।"
अर्जुन ने एक हाथ से उसका हाथ थाम लिया, "ये सफर सिर्फ गाड़ी का नहीं था, कियारा… ये हमारे दिलों का सफर था, जहाँ से हम फिर वहीं लौट आए — एक-दूसरे के पास।"
कियारा ने उसकी तरफ देखा, और बिना कुछ कहे बस मुस्कुरा दी।
कभी-कभी, शब्द ज़रूरी नहीं होते… साथ होना ही काफी होता है।
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और इस तरह, एक लॉन्ग ड्राइव ने उनके बीच की दूरी मिटाकर, फिर से प्यार को नई शुरुआत दे दी।
शायद जिंदगी में हर किसी को कभी-कभी ऐसी एक अनप्लान्ड लॉन्ग ड्राइव ज़रूर करनी चाहिए — जो न सिर्फ रास्तों को, बल्कि दिलों को भी जोड़ दे। ❤️
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