Tere Mere Darmiyaan - 14 in Hindi Love Stories by Neetu Suthar books and stories PDF | तेरे मेरे दरमियाँ - 14

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तेरे मेरे दरमियाँ - 14



💍 तेरे मेरे दरमियाँ – एपिसोड 14

“जब सात फेरे सिर्फ रस्म नहीं, एक वादा बन जाए…”



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“शादी सिर्फ दो लोगों का मिलन नहीं,
बल्कि दो कहानियों का संगम होती है —
जिसमें हर रिश्ता एक नया नाम पा जाता है।”


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🌅 सीन 1: सुबह की शुरुआत – शादी का दिन

सूरज की पहली किरण जब खिड़की से अंदर आई,
संजना की आँखें हल्की सी रोशनी में खुलीं।
आज का दिन… वो दिन था,
जिसका सपना उसने बचपन से देखा था।

कपड़े, मेहंदी, फूल, हलचल —
पर सबसे ज़्यादा उसके दिल में था आरव का नाम।

उसने हाथ फैलाकर अपनी हथेलियों को देखा —
अब भी उस पर लिखा था —
“Aarav”
गाढ़े रंग में, गहरे यक़ीन के साथ।


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👰 सीन 2: तैयार होने की घड़ी – संजना का कमरा

ड्रेसिंग टेबल पर बैठी संजना के बाल संवार रही थी रूही।

"तू रो तो नहीं रही?"

"नहीं… बस दिल थम सा गया है।
जैसे अब कोई पल बचा ही नहीं…"

"और आरव?"

"पता नहीं… उसने आज सुबह कॉल नहीं किया।
शायद बहुत बिज़ी होगा…"

रूही ने मुस्कुरा कर उसके कानों में झुमके पहनाते हुए कहा —
"वो बिज़ी नहीं, बेसब्र है।
तुझे दुल्हन के रूप में देखने का इंतज़ार है उसे।"


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🤵 सीन 3: बारात की तैयारी – आरव का घर

आरव ने सेहरा पहन लिया था।
आइने में खुद को देखकर एक हल्की मुस्कान आई —
"अब मैं उसका हो रहा हूँ… हमेशा के लिए।"

उसकी माँ उसके पास आईं,
सर पर हाथ रखा और कहा —

"मेरे बेटे से आज किसी की दुनिया बसने वाली है…"

"और आपकी दुआओं से उसकी दुनिया हमेशा महकती रहेगी माँ।"


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🎉 सीन 4: बारात का जुलूस – संगीत, नाच और बारिश

बैंड बाजा, ढोल और दोस्त —
सभी नाचते हुए बारात लेकर संजना के घर पहुंचे।

संजना खिड़की से देख रही थी —
आरव घोड़ी से उतरा, उसका चेहरा सेहरे में छुपा था
लेकिन उसकी आँखें…
जैसे उसके दिल की गहराई में उतर रही थीं।

ठीक उसी वक्त,
आसमान से हल्की बूंदें गिरने लगीं —
"बारिश…"

"शुभ संकेत है!"
किसी रिश्तेदार ने कहा।

पर संजना का दिल धड़कने लगा —
"क्या ये सिर्फ बरसात है, या कोई इशारा…?"


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🪔 सीन 5: जयमाल का सीन – पहली झलक

मंडप पर खड़े आरव और संजना —
एक-दूसरे को देखकर जैसे वक़्त थम गया।

फूलों की माला लिए दोनों मुस्कुराए,
एक-दूसरे की आँखों में झाँका,
और एक साथ माला पहनाई।

तालियाँ बजीं, शंख बजा,
और हर दिल ने एक ही बात महसूस की —
“ये मिलन सिर्फ आज का नहीं…
ये रिश्ता जन्मों का है।”


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🔥 सीन 6: फेरे – वचन, आँसू और बारिश की बूंदें

पंडित ने मंत्र पढ़ना शुरू किया।
पहला फेरा —
धर्म का साथ
दूसरा —
सत्य की राह

तीसरा —
आर्थिक सहारा
चौथा —
पारिवारिक समर्पण

जब पाँचवां फेरा आया —
संतान का वादा
संजना का हाथ काँप गया।

आरव ने धीरे से उसका हाथ थामा —
"डर नहीं… ये सिर्फ रस्में नहीं,
हमारी ज़िंदगी के हिस्से हैं।"

छठा और सातवां फेरा
— सात वचन और जन्मों का साथ।

जैसे ही फेरे पूरे हुए,
हल्की बारिश फिर से शुरू हो गई।

पंडित ने कहा —
“ये देवी की कृपा है… ये शादी अब स्वर्गिक हो गई।”


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🧎‍♂️ सीन 7: विदाई का पल – सबसे कठिन क्षण

घर का आँगन फूलों से भरा था,
लेकिन दिल भारी था।

संजना अपने पापा के गले लगी —
"आपसे दूर नहीं जाऊँगी…
बस थोड़ी ज़िंदगी साथ ले जा रही हूँ।"

माँ के आँसू थम नहीं रहे थे।
रूही पीछे से चुपचाप खड़ी थी,
उसकी आँखों में भी वही आर्द्रता थी जो दोस्ती के टूटते पल में होती है।

आरव ने चुपचाप संजना का हाथ थामा और बोला —
"अब ये आँसू भी मेरे हिस्से हैं।
तुम्हें हँसाने की जिम्मेदारी अब मेरी है।"


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🏠 सीन 8: पहली बार ससुराल – गृह प्रवेश

आरव की माँ ने दरवाज़े पर आरती की थाली ली।
संजना के पाँवों में लाल रंग की अलता थी।
जैसे ही उसने दरवाज़े पर कदम रखा —
किसी नए संसार का आरंभ हो गया।

आरव उसे अंदर ले गया।
कमरे में पहुँचते ही संजना ने कहा —

"सब कुछ नया लग रहा है…"

"तो मैं थोड़ा पुराना बन जाऊँ?
ताकि तुम मुझे हमेशा के लिए अपनाने में देर न लगाओ।"


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🌙 सीन 9: पहली रात – सच, सुकून और सफर

कमरे की सजावट गुलाबों से भरी थी।
मंद रोशनी, धीमा संगीत… और दो दिल।

आरव संजना के पास आया।
उसने संजना की माथे की बिंदिया को देखा और कहा —

"ये जो आज तुमने पहन रखा है न…
इसमें मेरी सारी दुनिया समाई है।"

"मुझे डर लग रहा था…"

"अब नहीं लगेगा,
क्योंकि अब हम साथ हैं —
सिर्फ एक कमरे में नहीं,
हर मुश्किल में, हर सफर में।"


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📖 सीन 10: संजना की डायरी – सुहागरात की रात

> "*आज मैं उसकी पत्नी कहलाने लगी हूँ,
पर मुझे उससे अब भी वही मासूम मोहब्बत चाहिए —
जो पहली बार कॉफी में उसकी आँखों में देखी थी।

और जब उसने मेरे माथे पर हाथ रखा,
मुझे लगा — अब कोई डर, कोई दूरी, कोई शक…
हमारे दरमियाँ नहीं रहेगा।*"




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✨ सीन 11: अगली सुबह – शादी के बाद पहला दिन

आरव और संजना बगीचे में बैठे थे, चाय पीते हुए।

"आज पहली बार कुछ अलग महसूस हो रहा है…"

"क्यों?"

"क्योंकि अब तुम सिर्फ मेरी मंगेतर नहीं —
मेरी ज़िम्मेदारी, मेरी ज़िंदगी, मेरी रूह हो।"

"तो अब क्या?"

"अब हम साथ जिएंगे…
सिर्फ शादीशुदा नहीं, मोहब्बतशुदा होकर।"


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🔚 एपिसोड 14 समाप्त


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🔔 एपिसोड 15 में:

💌 एक नई सुबह
💼 करियर और सपनों की जंग
👩‍❤️‍👨 और शादी के बाद पहला इम्तिहान —
जब मोहब्बत को वक़्त की कसौटी से गुजरना पड़ेगा…


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