(छाया को अचानक कुछ लोग नित्या समझकर अगवा कर लेते हैं। वह नित्या और काशी को बचाने के लिए खुद को नित्या बताती है और चुपचाप कार में बैठ जाती है। नित्या और काशी घर पहुँचकर सबको घटना बताती हैं, केशव पुलिस को सूचना देता है, नम्रता बेहोश हो जाती हैं। इस बीच विशाल, जिसे छाया पसंद आने लगी है, गिफ्ट और फूल लेकर उससे अपने दिल की बात कहने की तैयारी करता है। उधर छाया आंख-मुंह पर पट्टी और हाथ-पैर बंधे हालत में बंद जगह में है। पट्टी हटने पर सामने जो दिखता है, उसे देखकर वह डर और हैरानी से सिहर उठती है। अब आगे)
छाया की बहादुरी
जतिन के घर के आगे पुलिस और लोगों की भीड़ थी। कुछ पुलिस वाले मौके का मुआयना कर रहे थे, तो कुछ बयान ले रहे थे। नम्रता और नित्या की हालत बिगड़ती जा रही थी। दो दिन पहले ही छाया के साथ बदसलूकी और अब उसकी किडनैपिंग—सदमा गहरा था।
इंस्पेक्टर ने शक जताया—"संभव है ये वही लोग हों…" लेकिन नित्या अचानक चीख पड़ी—
"वो मुझे लेने आए थे! छाया मुझे बचाने के लिए गई… मेरी बहन को बचा लो!"
उसके आंसू रुक नहीं रहे थे। महिला कांस्टेबल ने कंधा थपथपाकर कहा—"कुछ भी याद हो, छोटी सी बात भी… हमें आपकी बहन तक ले जा सकती है।"
उधर कॉलेज में विशाल छाया को ढूंढता रहा—क्लास, लाइब्रेरी, प्लेग्राउंड… पर कहीं नहीं मिली। तभी उसके फोन पर अनजान नंबर से कॉल आई।
"हैलो, मैं इंस्पेक्टर ठाकुर बोल रहा हूं। छाया गुप्ता को जानते हैं? उसका किडनैप हुआ है।"
विशाल का दिल धक से रह गया—"कहां आना है?"
पुलिस स्टेशन पहुंचने पर उसने जतिन और केशव को देखा, नम्रता और बाकी रो रहे थे। इंस्पेक्टर ने सीधे पूछा—"छाया के गायब होने पर आपको किस पर शक है?" विशाल ने तुरंत डैनी का नाम लिया।
पुलिस डैनी के घर पहुंची—एक शानो-शौकत भरी हवेली। उसके पिता ने ताने मारे, लेकिन इंस्पेक्टर ने दो टूक कहा—"अपने बेटे को सुधारा नहीं, तो हमें करना पड़ेगा।" विशाल ने डैनी को पहचानते ही इशारा किया—"वो रहा!"
डैनी भागा, लेकिन केशव ने धर दबोचा और मारना शुरू कर दिया—"मेरी बहन कहां है?" माहौल बिगड़ता देख इंस्पेक्टर ने हवा में फायर किया—"कानून को हाथ में मत लो!" डैनी को गिरफ्तार कर लिया गया।
पुलिस स्टेशन में डैनी ने कबूल किया कि संडे को उसने ही छाया के पार्ट-टाइम जॉब में फंसाने की साजिश रची थी। लेकिन छाया कहां है, ये वह जानने से इनकार करता रहा।
इंस्पेक्टर की नजर नित्या पर पड़ी—"तुम्हारी जगह छाया क्यों?"
नित्या ने बताया कि छाया ने खुद को नित्या बताया था। आगे पूछताछ में काशी ने खुलासा किया—"नित्या दीदी की शादी टूटी थी, लड़के वाले दहेज मांगते थे। हमने उन्हें जेल भेजा था।"
इंस्पेक्टर ने फिर पूछा "नाम क्या है उसका?''
एक ही सांस में केशव बोला—"प्रमोद!"
इंस्पेक्टर ने डैनी को सलाखों में फेंकते हुए गुर्राया—"एक लड़की की इज्जत से खेला है, अगर मेरा बस चलता तो…" डैनी रहम की भीख मांगने लगा, लेकिन उसकी चीखें जेल की दीवारों में गूंजती रह गईं।
यहाँ आपका दिया हुआ हिस्सा थोड़ा और टाइट, साफ़ और सस्पेंस बनाए रखते हुए मोडिफाइड किया है—इंस्पेक्टर के कहने पर विशाल, नम्रता, नित्या और काशी को घर छोड़ आया। दरवाज़े पर विपिन और गौरी बेचैनी से खड़े थे। नित्या भागकर मां के गले लग गई। विपिन ने गहरी सांस लेकर कहा –
"घबराओ मत… हमारी बेटी को कुछ नहीं होगा। यह परिवार भी कमाल का है—पहले सबने मिलकर नित्या को दहेज के लालची ससुराल वालों से बचाया, और अब छाया ने गुंडों से।"
विशाल को छाया के परिवार पर दया भी आई और गर्व भी—क्योंकि मुसीबत में ये सब एक हो जाते थे। तभी काशी के माता-पिता भी खाने का डब्बा लेकर आ गए। किसी का खाने का मन नहीं था, मगर गौरी ने सबको समझा-बुझाकर कुछ कौर खिलाए। सबकी आंखें रो-रोकर लाल हो चुकी थीं। खाना खत्म होते ही विशाल वापस पुलिस स्टेशन लौट गया।
....
उधर, छाया एक अंधेरे कमरे में बंधी बैठी थी। आंखों की पट्टी हटते ही उसने देखा—सामने एक 13-14 साल की लड़की खड़ी थी। लड़की ने मासूमियत से कहा, "दीदी, आप मेरी होने वाली नित्या भाभी हो ना?"
छाया ने चौंककर सिर हां में हिलाया और पूछा "तुम्हारे भैया कौन हैं?"
इतना सुनते ही लड़की घबराकर बाहर भाग गई। छाया के हाथों पर बंधी रस्सी ढीली थी—थोड़ा जोर लगाया और खुल गई। उसने खिड़की से बाहर झांका—बाहर एक छोटे से मंडप में शादी की तैयारी हो रही थी। पंडित मंत्र पढ़ रहा था, कुछ आदमी मंडप के आस-पास थे—यही लोग उसे यहां लाए थे।छाया के दिमाग में सवाल घूमने लगे—कौन है जो उसे किडनैप करके शादी करना चाहता है? तभी एक खतरनाक-सी दिखने वाली औरत अंदर आई और शादी का जोड़ा फेंकते हुए बोली—"पहन लो।"
छाया ने अजीब-सी मुस्कान के साथ कहा—"ठीक है।"
औरत को हैरानी हुई—उसे लगा छाया जिद करेगी। उसने बंधन खोल दिए और बाहर जाने लगी।मौका देखते ही छाया ने खिड़की से फिर मंडप की तरफ देखा—अब दूल्हा भी आ चुका था, मगर उसकी पीठ थी। शक हुआ—कहीं यह गौरव तो नहीं?तभी वही औरत वापस आई—"अभी तक कपड़े नहीं बदले?"
छाया ने धीरे से कहा—"बहुत भारी है।"
औरत पास झुकी ही थी कि छाया ने उसका सिर दीवार से दे मारा। औरत बेहोश! छाया ने जल्दी से उसे चुन्नी से कुर्सी पर बांध दिया, दरवाजा खोला तो बाहर खटखटाने वाले चार-पांच लोग अंदर गिर पड़े। छाया ने बाहर से कुंडी चढ़ाई और सीधे मंडप की तरफ दौड़ी।दूल्हा उसे देखकर खड़ा हो गया—"छाया! तुम…!"
आवाज़ पहचानते ही छाया का चेहरा सख्त हो गया—"प्रमोद!"
सबके चेहरे उतर गए। प्रमोद हैरानी से बोला—"पर मैंने तो नित्या को बुलाया था!"
पास खड़े एक आदमी ने डरते-डरते कहा—"साहब… फोटो खो गई थी, बताने की हिम्मत नहीं हुई।"
छाया ठहाका मारकर हंस दी—"अरे नहीं होने वाले जीजू! पहले दहेज के लालच में दीदी को ठुकराया, अब बीवी के लालच में अपनी इज्जत दांव पर लगा दी। दुनिया से क्या कहोगे? कि प्रमोद जैसे ‘सर्वगुण संपन्न’ को लड़की पाने के लिए किडनैप करना पड़ा?"
इतना सुनते ही एक आदमी ने पीछे से छाया को पकड़ने की कोशिश की, लेकिन छाया ने झटपट हवन की जलती लकड़ी उठाकर उसके सिर पर दे मारी—आदमी दर्द से चीख उठा, उसका चेहरा झुलस गया। प्रमोद डरकर पीछे हटने लगा।
छाया ने ठंडे स्वर में कहा—"चिंता मत करो, आपके साथ कुछ नहीं करूंगी…"
और यह कहकर वह दरवाजे की ओर बढ़ गई। वहां मौजूद किसी में भी हिम्मत नहीं थी कि उसके रास्ते में आए।
.....
1. क्या छाया बिना पकड़े वहाँ से भाग पाएगी, या प्रमोद के लोग उसे फिर से पकड़ लेंगे?
2. विशाल और पुलिस समय पर पहुँचकर छाया को बचा पाएंगे या नहीं?
3. प्रमोद की इस हरकत का सच सामने आने पर उसके और उसके परिवार का क्या हश्र होगा?
आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए" छाया प्यार की"।