Cute Si Classmate
कक्षा में हमेशा की तरह हलचल थी। खिड़की से आती हल्की धूप, पंखे की धीमी आवाज़ और दोस्तों की फुसफुसाहट… सब कुछ रोज़ जैसा ही था। लेकिन मेरे लिए आज कुछ अलग था।
आज फिर वो सामने की बेंच पर बैठी थी — आशी।
गुलाबी रंग का सूट, बालों में हल्की-सी क्लिप, और आँखों में जैसे कोई अनकहा सा राज़। मैं कई हफ्तों से उसे देख रहा था, लेकिन आज नज़रें हटाना और भी मुश्किल हो रहा था।
पहली बार उसे मैंने इंग्लिश पीरियड में देखा था। मैम ने जब उसका नाम लिया — “आशी वर्मा” — तो जैसे नाम में भी कोई मिठास थी। वो मुस्कुरा कर “Yes, ma’am” बोली, और मुझे उस मुस्कान में कुछ ऐसा दिखा, जो मैंने पहले कभी महसूस नहीं किया था।
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पहली बात
उस दिन रीसस में, मैं लाइब्रेरी में किताब ढूंढ रहा था। तभी पीछे से किसी ने कहा,
“Excuse me… क्या ये Novel Section है?”
मुड़कर देखा — वही!
मेरे हाथ में जो किताब थी, उसने देख कर कहा — “ये तो मेरी फेवरिट बुक है, ‘You Are The Best Wife’… आपने पढ़ी है?”
मैंने हिचकिचाते हुए कहा, “हाँ… लेकिन आप जैसी फील से नहीं।”
वो हँस पड़ी — “फील से?”
उसकी हँसी सुनकर लगा जैसे किसी ने मेरे दिल में चाय की पहली घूंट डाल दी हो — गर्म, मीठी और सुकून देने वाली।
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धीरे-धीरे दोस्ती
हमारे बीच बातें बढ़ने लगीं। कभी क्लास नोट्स के बहाने, कभी प्रोजेक्ट वर्क के नाम पर।
मैंने जाना कि वो पेंटिंग में बहुत अच्छी है, और उसे rainy days बहुत पसंद हैं।
एक दिन मैंने मजाक में कहा — “तुम्हारी मुस्कान देख कर बारिश भी शर्मा जाए।”
वो हल्के से शरमा कर बोली — “फालतू बातें मत किया करो… कोई सुन लेगा।”
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वो खास दिन
फरवरी का महीना था, और कॉलेज में Cultural Fest चल रहा था।
मैंने सोचा, यही मौका है… मैं अपनी फीलिंग्स बता दूँ।
मैंने उसके लिए एक स्केच बनाया — उसका चेहरा, और नीचे लिखा —
“Your Smile is My Favourite Chapter.”
लेकिन… जैसे ही मैं देने गया, मैंने देखा कि वो किसी लड़के के साथ बातें कर रही थी, और हँस रही थी।
दिल में जैसे किसी ने ठंडा पानी डाल दिया। स्केच मैंने बैग में रख लिया।
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दूरी और खामोशी
अगले कुछ दिनों तक मैंने उससे कम बात की।
वो शायद समझ गई थी। एक दिन ब्रेक में उसने कहा —
“तुम मुझसे नाराज़ हो?”
मैंने मुस्कुराते हुए कहा — “नहीं, बस पढ़ाई में बिज़ी हूँ।”
लेकिन सच तो ये था कि मैं डर रहा था… कहीं वो मुझे सिर्फ classmate ही समझती हो।
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अचानक आई बारिश
एक शाम कॉलेज से घर जाते हुए बारिश शुरू हो गई। मैं छतरी लेकर गेट से बाहर निकल रहा था, तभी पीछे से उसकी आवाज़ आई —
“अरे… रुको!”
वो भीग चुकी थी, बालों से पानी टपक रहा था, आँखों में हल्की-सी घबराहट और होंठों पर वही प्यारी मुस्कान।
“मेरे पास छतरी नहीं है… चलो न, साथ चलते हैं।”
रास्ते में हम दोनों खामोश थे। बारिश की बूंदें, सड़क का कीचड़, और दिल की धड़कन… सब गड़बड़ हो रहा था।
अचानक उसने कहा — “तुम जानते हो, मुझे बारिश क्यों पसंद है?”
मैंने सिर हिलाया — “नहीं।”
वो मुस्कुराई — “क्योंकि इसमें किसी को अपने आँसू दिखाई नहीं देते।”
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सचाई
उसकी ये बात सुनकर मैं चौंक गया।
मैंने पूछा — “तुम ठीक हो न?”
वो थोड़ी देर चुप रही, फिर बोली — “दरअसल, जिस लड़के को तुमने उस दिन मेरे साथ देखा था… वो मेरा childhood friend है। मैं उससे सिर्फ कॉलेज प्रोजेक्ट के बारे में बात कर रही थी।”
मेरे अंदर जैसे कोई भारी पत्थर हट गया।
मैंने हिम्मत करके कहा — “आशी… मुझे तुम पसंद हो। बहुत।”
वो रुक गई। बारिश की बूंदें उसके चेहरे पर मोती की तरह चमक रही थीं।
धीरे से बोली — “मुझे भी… लेकिन कहने की हिम्मत नहीं थी।”
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एंडिंग
उस दिन के बाद से हमारी कहानी बदल गई।
क्लास में अब भी हलचल होती है, पंखा अब भी धीरे-धीरे घूमता है… लेकिन अब सामने की बेंच पर बैठी cute si classmate सिर्फ क्लासमेट नहीं रही।
अब वो मेरी कहानी का सबसे प्यारा चैप्टर है।