🌸 मोहल्ले का प्यार – एक अनकही दास्तां 🌸
छोटे से कस्बे का वो पुराना मोहल्ला, जहां हर गली एक कहानी कहती थी और हर घर के आंगन में रिश्तों की महक बसी थी। उसी मोहल्ले में रहते थे आरव और सना।
आरव एक सीधा-सादा लड़का, जो अपने पापा की परचून की दुकान में हाथ बंटाता था। और सना? मोहल्ले की सबसे चुलबुली, हँसमुख और पढ़ाई में तेज़ लड़की। दोनों के घर आमने-सामने थे, और दिल भी एक-दूसरे की ओर धीरे-धीरे खिंचते जा रहे थे — बिना किसी को बताए।
💕 पहली नजर का जादू
सना को पहली बार आरव ने देखा था जब वो नये-नये मोहल्ले में शिफ्ट हुए थे। सफेद सूट में, माथे पर हल्की बिंदी और आंखों में शरारत भरी चमक। आरव की दुनिया वहीं ठहर गई थी।
सना भी अक्सर आरव की दुकान पर आती, कभी टॉफी के बहाने, तो कभी माँ के भेजे सामान की लिस्ट लेकर। हर बार एक प्यारी मुस्कान छोड़ जाती और आरव का दिन बन जाता।
🌼 मोहल्ले की छतों से दिलों की बातें
छत पर कपड़े सुखाना सना का सबसे पसंदीदा काम था — क्योंकि वहीं से आरव की छत दिखाई देती थी। और आरव? वो तो कब से शाम के समय "कबूतर उड़ाने" का बहाना बना चुका था। दोनों की आंखें अक्सर टकरातीं, और फिर झुक जातीं... लेकिन दिल में कुछ खिल जाता।
धीरे-धीरे वो दोस्त बन गए। कभी मंदिर में दिख जाना, कभी मोहल्ले की भागती-सी बिजली में मोमबत्ती पकड़ कर साथ बैठ जाना — और कभी मोहल्ले के किसी फंक्शन में साथ नाचते हुए मुस्कराना।
💌 मोहब्बत कब इज़हार बनी
एक दिन, बरसात की शाम थी। बिजली चली गई थी और पूरा मोहल्ला अंधेरे में डूबा हुआ था। सना छत पर आई तो आरव पहले से वहीं बैठा था। वो चुपचाप बैठ गई।
कुछ देर बाद आरव बोला,
"तुम्हें देखकर दिल को चैन मिलता है। शायद... शायद मैं तुमसे प्यार करने लगा हूँ।"
सना कुछ नहीं बोली, बस मुस्कुरा दी। और उस मुस्कान में हर जवाब छुपा था।
🌧️ प्यार के रास्ते आसान नहीं होते
सब कुछ अच्छा चल रहा था, लेकिन मोहल्ले की दीवारों में आंखें और ज़ुबानें बहुत थीं। एक दिन किसी ने आरव और सना को छत पर बातें करते देख लिया। बात आग की तरह फैली।
सना के पापा बहुत गुस्सा हुए। उन्होंने घर बदलने का फैसला कर लिया।
"इज़्जत का सवाल है, अब इस मोहल्ले में नहीं रह सकते," उन्होंने कहा।
सना रोई, गिड़गिड़ाई, लेकिन कोई असर नहीं हुआ।
💔 जुदाई की घड़ियाँ
शिफ्टिंग वाले दिन आरव छत पर खड़ा था, और सना ने जाते-जाते एक आख़िरी बार पलट कर देखा। आंखों में आंसू थे, लेकिन होठों पर वही प्यारी मुस्कान — जैसे कह रही हो, "हम फिर मिलेंगे।"
आरव टूट गया, लेकिन उसने खुद से वादा किया कि वो सना से फिर मिलेगा — अपने दम पर।
🕰️ सालों बाद...
पांच साल बीत गए।
आरव अब एक सफल बिजनेसमैन बन चुका था। उसने मोहल्ले की दुकान को एक मिनी सुपरमार्केट में बदल दिया था। सब उसे इज्ज़त से देखते थे।
एक दिन दुकान पर एक लड़की आई — वही मुस्कान, वही आंखें... सना थी।
"पापा का तबादला फिर से यहीं हो गया है," वो बोली।
आरव मुस्कराया, और बोला,
"तुम्हारे बिना ये मोहल्ला अधूरा था। अब फिर से सब पूरा लग रहा है।"
💍 मोहल्ले का पहला लव मैरिज
इस बार कोई ज़ुबान नहीं चली, कोई दीवार नहीं बनी। मोहल्ला खुद उनकी मोहब्बत का गवाह बना। और कुछ ही महीनों में पूरे मोहल्ले की दुआओं के साथ, आरव और सना शादी के बंधन में बंध गए।
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🥹 अंतिम पंक्तियाँ
आरव और सना की मोहब्बत ने ये साबित कर दिया कि मोहल्ले की गलियों में पनपी प्रेम कहानियाँ भी अमर होती हैं। जब इरादे सच्चे हों, तो वक्त भी साथ देता है और दुनिया भी। मोहब्बत अगर सच्ची हो, तो दूरी भी सिर्फ वक़्त भर की मेहमान होती है।