📝 कहानी: मेरी धड़कन ❤️
प्रस्तावना:
कभी-कभी किसी की धड़कनों में अपनी धड़कनें सुनाई देने लगती हैं। वही रिश्ता होता है जिसे शब्दों की ज़रूरत नहीं होती — सिर्फ एहसास काफ़ी होता है। यही एहसास है इस कहानी का नाम — "मेरी धड़कन"।
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भाग 1 – पहली मुलाकात
रिया, एक सिंपल और शांत लड़की, जो मुंबई की भीड़ में भी खुद को अकेला महसूस करती थी। कॉलेज की पहली क्लास में उसकी नज़र एक लड़के पर पड़ी — अर्जुन। ऊँचा कद, हल्की मुस्कान और आँखों में अजीब सी गहराई। रिया की नज़रें बार-बार उसी की तरफ चली जाती थीं।
अर्जुन एक अलग ही दुनिया में मग्न रहने वाला लड़का था। पढ़ाई में होशियार, लेकिन दोस्तों में ज्यादा घुलने-मिलने वाला नहीं। पर उस दिन रिया से नज़र मिलते ही उसकी आँखों में कुछ ठहर गया।
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भाग 2 – दोस्ती की शुरुआत
कॉलेज के कुछ दिनों बाद एक ग्रुप प्रोजेक्ट ने उन्हें एक साथ ला खड़ा किया। पहली बार उन्होंने साथ बैठकर बातें की। रिया ने महसूस किया कि अर्जुन बाहर से सख्त जरूर दिखता है, लेकिन अंदर से बहुत कोमल और भावुक है। अर्जुन भी रिया की सादगी और मासूमियत से धीरे-धीरे आकर्षित होने लगा।
वे साथ पढ़ते, बातें करते, कभी-कभी कॉलेज के बाद चाय भी पीते। उनकी दोस्ती अब धीरे-धीरे एक अलग ही रंग ले रही थी। रिया को उसकी धड़कनें कुछ कहने लगी थीं, और अर्जुन भी खुद को रिया के बिना अधूरा महसूस करने लगा था।
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भाग 3 – दिल की बात
एक दिन कॉलेज की कैंटीन में अचानक रिया की तबियत खराब हो गई। अर्जुन उसे तुरंत हॉस्पिटल लेकर गया। उस दिन अर्जुन ने पहली बार खुद से कहा, "अगर इसे कुछ हो गया, तो मैं जी नहीं पाऊंगा। ये सिर्फ मेरी दोस्त नहीं है... ये मेरी धड़कन बन चुकी है।"
रिया को जब होश आया, तो उसने अर्जुन को अपने पास बैठे पाया — थका हुआ लेकिन आंखों में चिंता साफ़ झलक रही थी।
"क्यों इतना परेशान हो?" रिया ने धीमे से पूछा।
"क्योंकि मैं तुम्हें खोने का सोच भी नहीं सकता रिया," अर्जुन ने पहली बार अपनी फीलिंग्स ज़ाहिर कीं।
रिया की आँखों में आंसू आ गए, लेकिन ये आंसू खुशी के थे। उसने अपना हाथ अर्जुन के हाथ में रख दिया और बस इतना कहा — "मेरी धड़कन भी तुमसे ही चलती है।"
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भाग 4 – दूरियां और फिर से पास आना
कॉलेज खत्म हुआ, और अर्जुन को दिल्ली में जॉब मिल गई। रिया मुंबई में ही अपने करियर पर फोकस करने लगी। दूरियां बढ़ीं लेकिन दिल कभी अलग नहीं हुए। वीडियो कॉल, चैट्स और साल में एक बार मिलने की खुशी ही उनकी जिंदगी बन गई थी।
एक दिन अर्जुन ने कॉल पर कहा, "रिया, अब और नहीं। मैं चाहता हूं कि अब हम साथ रहें — हमेशा के लिए। क्या तुम मुझसे शादी करोगी?"
रिया की धड़कनें तेज़ हो गईं, और उसने बिना सोचे कहा, "हाँ अर्जुन! अब मेरी धड़कन को उसका हमेशा का घर मिल ही गया।"
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भाग 5 – नया सफर
दोनों की शादी सिंपल लेकिन बेहद खूबसूरत रही। अब वे हर सुबह एक-दूसरे की आँखों में अपनी दुनिया देखते हैं। उनकी कहानी ने साबित कर दिया कि सच्चा प्यार वक्त, दूरी और हालात से नहीं डगमगाता।
रिया अब अक्सर अर्जुन के सीने पर सिर रखकर कहती है — "तुम सिर्फ मेरे जीवन साथी नहीं, मेरी हर धड़कन हो।"
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💖 अंतिम पंक्तियाँ:
हर किसी की ज़िंदगी में कोई न कोई ऐसा आता है, जो शब्दों से नहीं बल्कि धड़कनों से बात करता है। और जब ऐसा कोई मिल जाए, तो समझ लेना कि प्यार सच्चा है — और सच्चा प्यार कभी खोता नहीं।