Itihaas ke Panno se - 6 in Hindi Anything by S Sinha books and stories PDF | इतिहास के पन्नों से - 6

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इतिहास के पन्नों से - 6

                                                        इतिहास के पन्नों से   


भाग  6   


नोट -  वैसे तो इतिहास अनंत है .  ' इतिहास के पन्नों से ' लेख में इतिहास की कुछ घटनाओं के बारे में पहले प्रकाशित भागों में  उल्लेख है, अब आगे पढ़ें  … 


इतिहास के पन्नों से   


क्लियोपैट्रा और मोना लिसा - इतिहास में ये दो खूबसूरत महिलाओं के  नाम बहुचर्चित हैं -  क्लियोपेट्रा और मोनालिसा  . क्लियोपेट्रा की कहानी कुछ प्राचीन ईसा पूर्व की है जबकि मोनालिसा की कहानी लगभग 500 साल पुरानी है  . 

 

 क्लियोपैट्रा - क्लियोपैट्रा ईसा पूर्व 51 - 30 BC में मिश्र की रानी थीं पर वे इजिप्शियन  ( मिस्र ) नहीं थीं  . वे मूलतः ग्रीक मूल की अलेक्जेंडर द ग्रेट की मेसेडोनियन ( अब ग्रीक  ) जेनरल टॉलेमी की वंशज थीं   . क्लियोपेट्रा  ने अपने सगे  भाइयों के साथ शादी की थी  . पहली बार जब वे 18 साल की थीं तब उनकी शादी 10 साल के भाई टॉलेमी XIIl  ( Ptolemy ) के साथ हुई थी  .  दूसरी बार उनकी शादी दूसरे भाई टॉलेमी XIV से हुई थी  . उस समय टॉलेमी राजवंश की यही परंपरा थी  .   ऐसा इसलिए होता था ताकि प्राचीन शाही राजपरिवार की शुद्धता और शाही ब्लड लाइन बरक़रार रहे  . 323 BCE में सिकंदर की मौत के बाद टॉलेमी ही फैरो (  Pharaoh ) कहलाये  . क्लियोपैट्रा मिस्र की अंतिम फैरो शासक थीं  . 


उन्होंने अपनी चतुराई और लुभावनी सुंदरता को एक हथियार की तरह  राजनैतिक लाभ के लिए उपयोग किया था  . इसी कारण  दो शक्तिशाली रोमन शासकों जूलियस सीजर और मार्क  अँन्थोनी दोनों से उनका अफेयर रहा था  .मार्क और सीजर  से उनकी औपचारिक शादी संभव नहीं थी क्योंकि रोमन परंपरा के अनुसार रोमन  किसी विदेशी से शादी नहीं कर सकता था  .  दोनों से उन्हें बच्चे हुए थे  . सीजर से उन्हें एक पुत्र भी हुआ था जिसका नाम  क्लियोपेट्रा  ने सिजेरियन ( Caesarion )  जिसका अर्थ लिट्ल सीजर होता है , रखा  . सीजर की मृत्यु के बाद उनके भाई टॉलेमी XIV की  मौत ( कारण संदेह के घेरे में ) हो गयी थी  . सीजर की मृत्यु के बाद टॉलेमी XIV की भी मौत ( कारण संदेह के घेरे में ) हो गयी थी  . इसके बाद  क्लियोपेट्रा  ने  अपने पुत्र सिजेरियन को संयुक्त शासक टॉलेमी XV बना दिया  . 


39 वर्ष की आयु में 30 BC में क्लियोपेट्रा की मृत्यु हुई  हालांकि उनकी मृत्यु का कारण विवादों के घेरे में है  . कुछ का कहना है कि उन्होंने आत्महत्या ( विष या सर्पदंश ) की थी  . क्लियोपेट्रा  की मौत के बाद मिश्र रोमन साम्राज्य के अधीन हो गया  .  क्लियोपेट्रा का ऐतिहासिक  महत्व इस बात से भी समझा जा सकता है कि वे आज तक अनेक पुस्तकों  , नाटक कहानियों और फिल्मों का विषय बनी रही हैं  . कहा जाता है कि  क्लियोपेट्रा को प्राचीन इजिप्शियन के अतिरिक्त प्राचीन ग्रीक , प्राचीन ईरानियन , प्राचीन पार्थियन ( Parthian  लुप्तप्राय उत्तर पश्चिमी ईरानियन )  , सिरियेक , इथोपियन ,  ट्रोग्लोडिटै  (  Troglodytae ) , हिब्रू  ( Hebrew ) और अरेबिक भाषाओं का ज्ञान था  . 


मोना लिसा ( Lisa का सही उच्चारण लिजा ) - वास्तव में मोना लिसा कोई स्त्री नहीं थी  बल्कि मोना लिसा एक पेंटिंग थी  .  मोना लिसा एक अति सुंदर और आजतक की महानतम चित्रकारी थी जिसके पेंटर विश्व विख्यात पेंटर लिओनार्दो  दा  विंची थे  . गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में इस पेंटिंग की बीमा मूल्य 1962 में 100 मिलियन US डॉलर था जो आज की तिथि में 1 बिलियन डॉलर से भी ज्यादा  ( 1 बिलियन = 100 करोड़ ) होता  है  .यह विश्व की सर्वाधिक मूल्यवान , सर्वाधिक चर्चित और सर्वाधिक लोगों द्वारा देखी  और सराही गयी पेंटिंग है  . मोना लिसा की सुंदरता और मुस्कान विश्व में प्रसिद्ध है  . इस पेंटिंग को देख कर लगता था जैसे कि मोना लिसा पुनः जीवित हो उठी हो  . 


दरअसल लिसा दिल जियोकांडो ( Lisa  del Giocondo ) इटली की घेरार्दिनी ( Gherardini ) परिवार की कुलीन महिला ( noblewoman ) थी  . उसकी शादी फ्लोरेंस के एक सिल्क व्यापारी से हुई थी  . घेरार्दिनी परिवार चित्रकला का प्रेमी था और उसके पति ने  तत्कालीन विख्यात पेंटर   लिओनार्दो को लिसा की पेंटिंग बनाने के लिए कहा था  . पेंटर लिओनार्दो  ने  विशेष वाइट पॉप्लर पैनल ( white poplar panel ) पर ऑयल पेंट से एक बहुत ही खूबसूरत पेंटिंग “ मोना लिसा “ तैयार किया   . इटैलियन भाषा के  ‘ Madonna ‘ से मोना ( Mona ) शब्द लिया जिसका अर्थ माय लेडी होता है और Elizabeth या Elisabetta से लिसा ( Lisa जिसे Liza कहते हैं ) जिसका अर्थ नोबेल वुमन होता है लिया  . इस तरह पेंटिंग का नाम मोनालिसा रखा  . लिसा जब 24 वर्ष की थी तभी पेंटर ने पेंटिंग शुरू किया था  .  लिसा की मृत्यु  40 वर्ष की आयु में हुई थी , कहा जाता है कि तब तक यह पेंटिंग पूरी नहीं हुई थी  . पेंटर लिओनार्दो ने यह पेंटिंग 1503 - 06 के दौरान की थी पर 1517 , लिसा की मौत , तक चली थी  . शायद तब भी मोना लिसा अधूरी ही थी  .  लिओनार्दो ने इस पेंटिंग को   घेरार्दिनी परिवार को देने से इंकार कर दिया था  .1519 में पेंटर  विंची की मृत्यु के बाद फ्रांस के तत्कालीन राजा फ्रांसिस प्रथम ने मोनालिसा को अपने महल  में रख  लिया था  . 


1797 से मोना लिसा फ्रांस के म्यूजियम लौवर ( Louvre ) में  सुरक्षित रखा हुआ है   . 1911 में मोना लिसा को किसी इटालियन ने देश प्रेमवश  चुरा लिया था  . 1914 में यह पेंटिंग दोबारा मिली , तब से आजतक यह फ्रांस के म्यूजियम लौवर ( Louvre ) में सुरक्षित रखा हुआ  है  . 


Trivia - विश्व में लौटरी ( lottery ) की   शुरुआत का सर्वाधिक प्राचीनतम  प्रमाण चीन में ईसा पूर्व 200 BC में मिला था  .  ऑस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्थ में सिडनी स्थित संस्था गैंबल अवेयर NSW का कहना है  . यह संस्था ज़ीरो गैंबलिंग की डिश में काम करती है  . 


क्रमशः