इतिहास के पन्नों से
भाग -5
नोट - वैसे तो इतिहास अनंत है . ' इतिहास के पन्नों से ' लेख में इतिहास की कुछ घटनाओं के बारे में पहले प्रकाशित भागों में उल्लेख है, अब आगे पढ़ें ….
भारत की महिला स्वतंत्रता सेनानी - अंग्रेजों के विरुद्ध स्वतंत्रता संग्राम में अनेक वीरांगनाओं ने भाग लिया है . उनमें कुछ की चर्चा यहाँ करते हैं .
1 . रानी कित्तूर चेन्नम्मा - रानी कित्तूर चेन्नम्मा तत्कालीन ब्रिटिश शासकों के विरुद्ध सशस्त्र विद्रोह करने वाली सर्वप्रथम वीरांगनाओं में एक हैं . कर्नाटक राज्य में एक राष्ट्रीय हीरो के रूप में उनका सम्मान किया जाता है .
उनकी वीरगाथा से प्रत्येक देशवासी को राष्ट्र प्रेम की प्रेरणा मिलती है .कित्तूर के राजा मल्ला सरजा से उनका विवाह हुआ था . पति की मृत्यु के बाद रानी ने बहुत बुद्धिमता से शासन की बागडोर संभाली थी . 1824 में जब अंग्रेजों ने उनका राज्य हड़पने का प्रयत्न किया था तब रानी चेनम्मा ने अंग्रेजों के विरुद्ध अपनी सेना का नेतृत्व किया था . उन्होंने असीम शौर्य का परिचय देते हुए अंग्रेजों का सामना किया था हालांकि युद्ध में उन्हें वीरगति मिली थी . उनकी वीरता ने देश में अन्यत्र भी स्वतंत्रता के लिए एकजुट होकर अंग्रेजों के विरुद्ध लड़ने के लिए लोगों की प्रेरणा दी थी .
2 . महारानी लक्ष्मी बाई - अंग्रेजों के विरुद्ध स्वतंत्रता संग्राम में वीरांगनाओं में महारानी लक्ष्मी बाई का नाम सर्वाधिक प्रसिद्ध है . महारानी लक्ष्मी बाई को झाँसी की रानी के नाम से भी देश का बच्चा बच्चा जानता है - खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी . ब्रिटिश शासन ( ईस्ट इंडिया कम्पनी ) के विरुद्ध 1857 में हुए विद्रोह में रानी लक्ष्मी बाई का नाम प्रमुख नेताओं में आता है . मात्र आठ वर्ष की आयु में उनकी शादी तत्कालीन झांसी के राजा गंगाधर राव नेवालकर से हुई थी . दुर्भाग्यवश राजा की मृत्यु 1823 में हो गयी थी रानी मात्र 25 वर्ष की थी . रानी की अपनी कोई संतान नहीं थी और उन्होंने एक लड़के को गोद लिया था पर अंग्रेज उसे झाँसी का शासक मानने के लिए तैयार नहीं थे . रानी लक्ष्मी बाई ने झाँसी की सत्ता ब्रिटिश को सौंपने से इंकार किया था और 1857 में अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह कर दिया था . हालांकि रानी ने बहुत वीरता के साथ ब्रिटिश फ़ौज का सामना किया पर वे जीत न सकीं थीं . रानी का साहस देख देश कर अन्य भाग में भी अंग्रेजों के विरुद्ध बगावत हुई थी . रानी इस पराजय के बाद भी अंग्रेजों से लड़ती रहीं और 1858 में लड़ते हुई पर मरते दम तक उन्होंने अंग्रेजों की अधीनता स्वीकार नहीं की .
3 . बेग़म हज़रत महल - बेगम हज़रत महल ( वास्तविल नाम मोहम्मदी खानुम ) अवध की बेगम और अवध नवाब ( शासक ) वाजिद अली शाह की बेगम थीं . 1856 में ब्रिटिश ने वाजिद अली शाह को सत्ता के अयोग्य कह कर सत्ता से बेदखल कर दिया . फिर उन्हें निर्वासित कर कलकत्ता दिया था . तब बेगम हज़रत महल ने अपने बेटे बिर्डीस क़दर को अवध का नवाब घोषित किया और स्वयं अवध की रीजेंट ( regent ) बनीं . यह अंग्रेजों को स्वीकार नहीं था . तब बेगम भी अंग्रेजों के विरुद्ध देशव्यापी 1857 की क्रांति में कूद पड़ीं थीं . इस से देश के अन्य हिस्सों में भी लोगों को प्रेरणा मिली और विद्रोह की ज्वाला अन्य जगहों में भी भड़क उठी थी . पर शीघ्र ही अंग्रेजों ने इस विद्रोह को कुचल दिया था . परिणामस्वरूप बेगम हज़रत महल को भाग कर नेपाल में शरण लेनी पड़ी थी . वहीँ काठमांडू में 1879 में उनकी मृत्यु हुई थी .
4 . रानी वेलू नाचियार - 1730 में रामनाड राजघराने में उनका जन्म हुआ था . रानी वेलू को अत्यंत साहसी और दुर्जेय तमिल रानी कहा जाता था .रानी वेलू नाचियार कर उनकी मिलिट्री सलाहकार उड़ैयाल तत्कालीन ब्रिटिश शासकों ( ईस्ट इंडिया कंपनी ) के विरुद्ध सशस्त्र विद्रोह करने वाली प्रमुख वीरांगनाओं में शामिल हैं . उन्होंने ब्रिटिश उपनिवेशवाद के विरुद्ध सशक्त आवाज उठाई थी . उनकी वीरता की प्रशंसा स्वयं अंग्रेज भी करते थे हालांकि उन्हें अपमानित करने में भी अंग्रेजों ने कोई कसर बाकी नहीं रखी थी . रानी वेलू को तमिल के अतिरिक्त अंग्रेजी , फ्रेंच , उर्दू आदि भाषाओँ का भी ज्ञान था . साथ में रानी युद्ध कौशल में भी निपुण थीं . उनकी शादी शिवगंगा के राजकुमार से हुई थी . 1772 में अंग्रेजों के साथ हुए युद्ध में उनकी मृत्यु हो गयी थी . उसके बाद अंग्रेजों ने तमिलनाडु को अपने अधीन लेना चाहा था . इसके चलते रानी वेलू को अंग्रेजों के विरुद्ध युद्ध करना पड़ा था . इस युद्ध में रानी और उनकी सेना ने असीम वीरता का परिचय दिया था . अपने क्षेत्र की पूरी जानकारी होने के कारण उन्होंने गुरिल्ला युद्ध नीति अपना कर अंग्रेजों के दांत खट्टे कर दिए थे . उड़ैयाल उनके गाँव की एक स्त्री थी जिसने अंग्रेजों को रानी के बारे में गुप्त सूचननायें देने से इंकार कर दिया था और अंग्रेजों ने उसे मार डाला था . रानी वेलू को अपनी बेटी वेल्लची के साथ भाग कर डिंडीगुल में शरण लेनी पड़ी थी .
5 . मातंगिनी हज़रा - तमलुक वर्तमान पश्चिम बंगाल के ईस्ट मेदिनीपुर स्थित एक शहर है . इस स्थान पर कुछ प्रसिद्ध स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने वाले क्रांतिकारियों का जन्म हुआ था जिनमें खुदीराम बोस और मातंगिनी हज़रा का नाम सबसे पहले आता है . ‘ क्विट इंडिया ‘ आंदोलन में मातंगिनी की अहम भूमिका रही थी . इस आंदोलन में हाथ में देश का तिरंगा झंडा फहराते हुए वे क्रांतिकारियों का नेतृत्व कर रहीं थीं . तमलुक पुलिस स्टेशन के सामने ब्रिटिश पुलिस की गोली से जब उनकी मौत हुई थी तब भी वे ‘ वंदेमातरम ‘ दोहराती रहीं और झंडे को पकड़े रखा था . उन्हें ‘ बूढ़ी गाँधी ‘ भी कहा जाता था .
6 . लक्ष्मी सहगल - लक्ष्मी स्वामीनाथन जो बाद में लक्ष्मी सहगल नाम से मशहूर हुईं एक वीर देशभक्त स्वतंत्रता संग्राम की सेनानी थीं . वे तत्कालीन मद्रास हाई कोर्ट में वकील थीं साथ ही वे एक डॉक्टर भी थीं . सुभाष चंद्र बोस द्वारा स्थापित इंडियन नेशनल आर्मी में सैनिक थीं और बाद में कैप्टन बनीं . वे आज़ाद हिंद सरकार में ‘ मिनिस्टर फॉर वीमेन अफेयर्स ‘ थीं . झाँसी रानी रेजिमेंट की स्थापना और नेतृत्व में उनकी अहम भूमिका थी . वे द्वितीय विश्व युद्ध में ब्रिटिश के विरुद्ध जापानी सेना में थीं . इम्फाल में प्रवेश के पहले उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था . इस युद्ध में उनकी भूमिका के लिए उन्हें तत्कालीन बर्मा की जेल में सजा काटनी पड़ी थी . सजा पूरी होने पर वे मातृभूमि की सेवा के लिए लक्ष्मी भारत आयीं और नेताजी की सेना में सिपाही बनीं थीं . 2012 में 97 वर्ष की आयु में कानपुर में उनकी मृत्यु हुई थी .
7 . तारा रानी श्रीवास्तव - तारा रानी का जन्म उत्तर बिहार के सिवान में एक गरीब परिवार में हुआ था . मात्र 13 वर्ष की आयु में उनकी शादी फुलेंदु बाबू से हुई थी . फुलेंदु ‘ भारत छोड़ो आंदोलन ‘ में सक्रिय थे , तारा भी इस आंदोलन में कूद पड़ी थीं . गांधीजी के कहने पर फुलेंदु ने लोगों को सिवान पुलिस स्टेशन पर तिरंगा फहराने के लिए बुलाया . वे तारा रानी के साथ तिरंगा लिए पुलिस स्टेशन की तरफ नारा लगाते हुए जा रहे थे .फुलेंदु को पुलिस की गोली लगी और वे घायल होकर गिर पड़े थे . बिना विचलित हुए तारा ने तिरंगे को हाथ में लिया और भीड़ के साथ पुलिस स्टेशन की ओर बढ़ीं . कुछ देर बाद उनके पति की मृत्यु हो गयी . इसके बाद भी उन्होंने आंदोलन जारी रखा था .
8.भोगेश्वरी फुकनानी - 1942 के स्वतंत्रता आंदोलन के प्रमुख शहीदों में असम की भोगेश्वरी का नाम आता है . उन्हें “ 60 साल वाली शहीद “ के नाम से भी जाना जाता है . वे एक साधारण गृहिणी थीं . उन्होंने अपने छः पुत्रों और दो पुत्रियों को इस आंदोलन में लगा दिया था . भोगेश्वरी ने अन्य क्रांतिकारियों के साथ मिल कर सेंट्रल असम के कुछ भाग पर अपना आधिपत्य जमा लिया था . भोगेश्वरी एक अन्य साथी रत्नमाला के साथ झंडा लहराते हुए क्रांतिकारियों का नेतृत्व कर रही थीं . उस समय ब्रिटिश कैप्टन फिनिश ने रत्नमाला के हाथ से झंडा छीन कर उन्हें गिरा दिया था . तब भोगेश्वरी ने झंडा अपने हाथ में लेकर उसके डंडे से कैप्टन के सर पर प्रहार किया था . कैप्टन ने क्रोधित होकर उन्हें गोली मार दिया था और वे शहीद हुई थीं .
9.कनकलता बरुआ - स्वतंत्रता संग्राम के दौरान सेनानियों में असम की कनकलता की भी अहम भूमिका थी . भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान वे “ मृत्यु वाहिनी “ की सदस्या थीं . इस आंदोलन के समय वे देश का झंडा हाथ में लिए आगे बढ़ रहीं थीं उसी समय ब्रिटिश पुलिस की गोली का शिकार हुई थीं .
10 . मूलमती - मूलमती एक कठोर देशभक्त थीं और स्वतंत्रता संग्राम के प्रसिद्ध सेनानी राम प्रसाद बिस्मिल की माँ थीं . तथाकथित मैनपुरी और काकोरी षड्यंत्र रचने के लिए बिस्मिल को अंग्रेजों ने गोरखपुर जेल में फांसी दी थी . फांसी के पहले जब वे अपने बेटे से मिलने गयीं तो उन्होंने कहा “ मुझे अपने पुत्र पर गर्व है . “ इसके बाद उन्होंने अपने दूसरे पुत्र को भी स्वतंत्रता संग्राम में लगा दिया था .
11.भिकाजी कामा - भिकाजी सोराब पटेल का जन्म तत्कालीन बॉम्बे के एक पारसी परिवार में हुआ था . उनकी शादी एक धनी ब्रिटिश पक्षधर वकील रुस्तम कामा से हुआ था . उनका वैवाहिक जीवन खुशहाल नहीं था . वे एक धार्मिक विचारों वाली महिला और समज सेविका थीं . भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में उन्होंने सक्रिय भूमिका निभायी थी . युवा भारतीयों को एकजुट होने के लिए उन्होंने लंदन और पेरिस में “ फ्री इंडिया सोसाइटी “ की स्थापना की थी . भिकाजी ने भारत के राष्ट्रीय झंडे का प्लान बनाया था . 1907 में जर्मनी में इस झंडे को लहराते हुए देश की आजादी के लिए लोगों का आह्वान किया था . उन्होंने अपनी संपत्ति का बड़ा भाग अनाथ बालिकाओं के लिए दान में दिया था . आज देश में कुछ शहर और अनेक रोड भिकाजी कामा के नाम पर हैं .
क्रमशः