Love Found on a Bus in Hindi Love Stories by Abhay Marbate books and stories PDF | बस में मिला प्यार

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बस में मिला प्यार

कहानी: "बस में मिला प्यार" ❤️🚌✨


सुबह का समय था। ऑफिस जाने की जल्दी में लोग बस स्टॉप पर इकट्ठा थे। उसी भीड़ में आयुष खड़ा था – एक शांत और संकोची लड़का, जिसकी दुनिया किताबों और सपनों में सिमटी रहती थी। उसने अपने हेडफोन लगाए हुए थे और धीरे-धीरे अपने पसंदीदा गानों में खोया हुआ था। तभी एक हल्की सी हवा चली और किसी की दुपट्टे की खुशबू उसके चेहरे से टकराई।


आयुष ने चौंककर सिर घुमाया, और उसकी नजर उस लड़की पर पड़ी। वह अनन्या थी – कॉलेज की छात्रा, बड़ी-बड़ी काली आंखें, जिनमें मासूमियत और शरारत दोनों झलक रही थीं। वह भी उसी बस का इंतजार कर रही थी।


कुछ ही देर में बस आई। भीड़ इतनी ज्यादा थी कि सब धक्का-मुक्की करते हुए चढ़ रहे थे। आयुष पीछे खड़ा रह गया। अचानक अनन्या का बैग फंस गया, वह घबरा गई। आयुष ने तुरंत उसकी मदद की, और उनकी आंखें पहली बार मिलीं। बस के शोर-शराबे के बीच, उन आंखों में कुछ अनकही बातें छुपी थीं। ❤️


पहली मुस्कान


बस के अंदर लोग ठुंसे हुए थे। आयुष और अनन्या एक ही हैंडल पकड़कर खड़े थे। गाड़ी के झटके से वह हल्की सी उसकी तरफ गिर पड़ी।

“सॉरी…” अनन्या ने धीमे से कहा।

“कोई बात नहीं,” आयुष मुस्कुरा दिया।


वो छोटी-सी मुस्कान अनन्या के दिल में कहीं उतर गई। उसने खिड़की के बाहर देखते हुए भी, चोरी-चोरी आयुष को निहारना शुरू किया। आयुष भी किताब का शौकीन था, और अनन्या के हाथों में ‘किताब – तुम मेरे हो’ देखकर बोल पड़ा –

“ये बुक बहुत अच्छी है, मैं भी पढ़ चुका हूँ।”

अनन्या ने पहली बार खुलकर मुस्कुराते हुए कहा, “सच में? फिर तो हमारी पसंद मैच करती है।”


उसके बाद दोनों में हल्की-फुल्की बातें शुरू हो गईं। हर सुबह वे बस स्टॉप पर मिलने लगे, और आयुष को लगता जैसे उसकी सुबह अनन्या की हंसी से पूरी होती है।


छुपा हुआ एहसास


दिन गुजरते गए। बारिश का मौसम आया। एक दिन बस लेट हो गई। अनन्या छतरी भूल आई थी। आयुष ने अपने बैग से एक छोटी सी छतरी निकालकर उसे ओढ़ा दी।

“तुम भीग जाओगे…” अनन्या बोली।

“तुम्हें भीगने नहीं दे सकता,” आयुष ने धीमे से कहा।


उस एक पल में अनन्या का दिल जोर से धड़क उठा। वह समझ गई कि आयुष सिर्फ उसका दोस्त नहीं रहा। दोनों की नजरें मिलीं और सब कुछ कह गईं।


पहला प्यार ❤️


एक दिन बस में बहुत भीड़ थी। अनन्या को खड़े-खड़े थकान हो रही थी। आयुष ने चुपचाप अपनी सीट छोड़ दी और बोला,

“तुम बैठ जाओ।”

अनन्या ने बैठते हुए धीरे से कहा, “तुम्हारा ख्याल रखने वाला कोई और नहीं होगा क्या?”

आयुष ने आंखों में देखते हुए कहा, “किसी और का ख्याल रखने का मन भी नहीं करता।”


अनन्या उसकी बात सुनकर शर्मा गई। यह पहला मौका था जब उनके दिलों ने अपने प्यार का इज़हार आंखों से कर दिया।



कबूलनामे की शाम 🌇


शाम को आयुष ने अनन्या को कहा, “आज बस से मत जाना, मैं तुम्हें घर छोड़ दूंगा।”

दोनों पार्क में बैठ गए। सूरज डूब रहा था, आसमान लाल हो गया था।

“अनन्या, मैं कुछ कहना चाहता हूं…” आयुष ने हिम्मत जुटाई।

“क्या?”

“जब से तुमसे मिला हूं, हर सुबह, हर बस की यात्रा खास हो गई है। मैं तुमसे… प्यार करता हूं।” ❤️


अनन्या की आंखों में आंसू आ गए। वह बोली, “आयुष, मुझे लगा तुम कभी नहीं कहोगे। मैं भी तुमसे प्यार करती हूं।”

उस पल दोनों ने एक-दूसरे का हाथ थाम लिया। दुनिया जैसे ठहर गई थी


बस वाला प्यार अब ज़िंदगी बन गया


इसके बाद उनकी हर बस यात्रा रोमांटिक हो गई। कभी आयुष उसे चॉकलेट देता, कभी अनन्या उसे अपने बनाए सैंडविच खिलाती। लोग हंसते हुए कहते – “ये बस स्टॉप वाली जोड़ी है।”


प्यार सिर्फ बस में नहीं, उनकी ज़िंदगी का सफर भी बन गया। कॉलेज खत्म होने तक उन्होंने अपने रिश्ते को और मजबूत कर लिया।


अंत में – प्यार कब, कहां और कैसे हो जाए कोई नहीं जानता। आयुष और अनन्या का प्यार भी बस की भीड़ में शुरू हुआ और जिंदगी की राह बन गया। ❤️🚌