अभिमान अपने सिर के पीछे हाथ फेरते हुए, हल्की सी झुंझलाहट में बुदबुदाया,
"ज्यादा ही परेशान कर लिया..."
फिर लंबी साँस लेकर बुलेट स्टार्ट की और रेस्टोरेंट की ओर निकल पड़ा।
रेस्टोरेंट पर पहुँचते ही राघव ने उसे देखकर कहा,
"भाई, मैं अंकल के साथ दूसरे ब्रांच जा रहा हूँ, ज़रा अर्जेंट काम आ गया है।"
अभिमान ने बस सिर हिलाया और काम में लग गया।
राघव अपनी कार में बैठा और इंदौर के दूसरे ब्रांच की ओर निकल पड़ा, जहाँ अमित जी पहले से ही इंतज़ार कर रहे थे।
वहाँ एक दिक्कत थी — रेस्टोरेंट के सामने की सड़क पर पार्किंग की जगह नहीं बची थी।
अमित जी ने सिचुएशन को बहुत ही धैर्य और समझदारी से हैंडल किया।
फिर राघव की ओर देखते हुए बोले,
"राघव, तुम अब निकलो... यहाँ से मैं संभाल लूंगा। रात होने को है, घर जाओ।"
राघव मुस्कराया और बोला,
"ऐसे कैसे जाऊँ? आपको घर सही सलामत छोड़े बिना नहीं जाने वाला। चलिए बैठिए गाड़ी में..."
अमित जी ने उसे मज़ाक में घूरते हुए कहा,
"तुम मेरे मालिक नहीं हो, मैं तुम्हारा मालिक हूँ!"
राघव हँसते हुए बोला,
"शाम हो गई है... अब मैं आपका बेटा हूँ और आप मेरे बाप! तो कार में बैठिए, नहीं तो ड्राइविंग सीट छोड़ दूँगा!"
अमित जी मुँह बनाते हुए गाड़ी में बैठ गए,
"तुम और अभिमान... दोनों एक जैसे हो... एक ही थाली के चट्टे-बट्टे!"
राघव ने हँसते हुए गाड़ी स्टार्ट की और दोनों घर की ओर निकल गए।
उधर...
दोपहर के वक्त अभिमान की आँखें बार-बार स्कूल की ओर उठ रही थीं।
उसे उम्मीद थी कि आज भी आन्या कुछ पल को मिलने आएगी...
पर तुकाराम जी जल्दी आ गए थे।
आन्या बस एक झलक भर दिखी... और अभिमान बस उसे जाता देखता रह गया।
शाम को अभिमान ने रेस्टोरेंट बंद किया और थके क़दमों से घर के लिए निकल पड़ा।
इधर राघव...
अमित जी को घर छोड़ने के बाद अपने घर की ओर निकल पड़ा।
रास्ते में तूफ़ान के कारण सड़क पर पेड़ गिरा हुआ था। रास्ता बंद था।
राघव ने फ़ैसला किया कि वो जंगल वाले शॉर्टकट से जाएगा।
जैसे ही वो वहाँ पहुँचा, अंधेरा और हल्की बारिश मिलकर माहौल को और भी रहस्यमय बना रहे थे।
तभी... धप्प!
एक लड़की उसकी कार के सामने आकर गिर पड़ी।
राघव घबरा गया — तेज़ी से ब्रेक लगाई और बाहर निकल आया।
उसने देखा — सफेद साड़ी में एक लड़की... भीगी हुई, डरी हुई... और उसके पीछे से दो-तीन शराबी जैसे लोग दौड़ते चले आ रहे थे।
राघव के होश उड़ गए।
उसने लड़की को पकड़कर कहा,
"Are you okay?"
लड़की काँपते हुए बस उसका हाथ कस कर पकड़कर ईशारा करने लगी कि "बचाओ..."
राघव ने बिना सोचे समझे उसे कार में बैठाया और तुरंत ड्राइविंग सीट पर जाकर गाड़ी स्टार्ट कर दी।
पीछे के लड़कों ने कार पर हाथ मारने की कोशिश की लेकिन राघव पहले ही तेज़ स्पीड में कार निकाल चुका था।
अंदर बैठी लड़की काँप रही थी, उसकी साँसें तेज़ थीं।
राघव ने उसे पानी दिया और धीरे से बोला,
"अब तुम सुरक्षित हो... डरो मत।"
लड़की ने काँपती आवाज़ में कहा,
"थैंक यू..."
राघव ने उसकी ओर देखा —
भीगी हुई ज़ुल्फें, कांपती पलकों के नीचे मासूम सी आँखें, और चेहरे पर खामोशी में छिपा एक तूफ़ान।
राघव समझ गया... उसकी ज़िन्दगी में कोई तूफ़ान आ चुका है। और शायद... इस तूफ़ान में ही उसकी कहानी की शुरुआत भी हो।
आगे क्या होगा?
आन्या और अभिमान की कहानी कहाँ जा रही है?
राघव और उस रहस्यमयी लड़की की मुलाकात क्या एक नई मोहब्बत का आग़ाज़ है?