"रात के ठीक 12 बजे, गाँव की सीमा पर स्थित वटवृक्ष के नीचे एक बूढ़ा आदमी अकेले बड़बड़ा रहा था – 'कह दिया था, वहाँ मत जाना… पर किसी ने सुना नहीं… अब वो जाग चुका है।'"
राजस्थान के सीमांत इलाके में बसा था एक छोटा-सा गाँव — बैरागढ़। सूखा, वीरान और धूलभरी हवाओं से घिरा हुआ। इस गाँव के ठीक बाहर, एक प्राचीन वटवृक्ष खड़ा था, जो इतना विशाल और डरावना था कि दिन में भी वहाँ सन्नाटा पसरा रहता।
लोग कहते थे, उस वटवृक्ष की जड़ें किसी इंसानी क़ब्र को जकड़े हुए हैं और रात को वहाँ से किसी के कराहने की आवाज़ आती है।
लेकिन जब तक कोई देखे नहीं... तब तक डर सिर्फ़ एक कहानी होता है।
एक रात, गाँव में शहर से चार दोस्त आए — विनय, तान्या, सुनील और राशि। उन्हें रहस्यमयी जगहों पर वीडियो बनाने और "हॉन्टेड स्पॉट" एक्सप्लोर करने का शौक था। विनय बोला, "गाँव वाले तो डरपोक होते हैं, हमें वहाँ ज़रूर जाना चाहिए।"
किसी ने उन्हें चेतावनी दी — "वहाँ ब्रह्मराक्षस है... वो साधु था, जिसे छल से मारा गया। अब वो अपने वटवृक्ष में बसा हुआ है।"
पर चेतावनी... रोमांच के दीवाने लोग कब मानते हैं?
रात के 1:07 बजे, चारों वटवृक्ष के पास पहुँचे। हवा एकदम थमी हुई थी। पत्तियाँ भी जैसे सांस रोककर खड़ी थीं। उन्होंने कैमरा चालू किया।
जैसे ही उन्होंने पेड़ की परिक्रमा शुरू की, राशि को किसी ने पीछे से बालों से खींचा, लेकिन पीछे कोई नहीं था।
विनय हँसा — "भूत नहीं, तेरा वहम है।"
पर जैसे ही कैमरा राशि पर फोकस हुआ, उसकी आँखें पल भर को लाल हो गईं… जैसे कोई दूसरा उसके अंदर झाँक रहा हो।
पेड़ की जड़ के पास एक पत्थर हटा तो नीचे एक मूर्तिवत देह दिखी — अधजली, नागों से लिपटी, आँखें खुली — और फिर झपकी!
तान्या चीखी — "ये मूर्ति नहीं… ये देख रहा है!"
अचानक ज़मीन हिलने लगी, कैमरा गिरा और स्क्रीन काली हो गई।
अगले दिन गाँव में सिर्फ एक बचा — सुनील, उसका चेहरा पीला, बाल सफ़ेद और ज़ुबान कटी हुई। बस इतना बोल पाया — "उसने… देख लिया हमें… वो अब गाँव में है…"
गाँव में गायबियाँ शुरू हो गईं। हर रात कोई न कोई लापता होता। जो बचते, उनकी आँखें खाली, आत्मा जैसे निकल चुकी हो।
तंत्र विद्या जानने वाला एक बाबा बुलाया गया। उसने कहा:
"ये ब्रह्मराक्षस साधारण आत्मा नहीं। इसे धोखा मिला था तपस्या करते समय। इसके भीतर ज्ञान, क्रोध और शाप तीनों एक साथ कैद हैं।
इसे मिटाना नहीं… बस रोक सकते हैं… पर कीमत चुकानी होगी।"
बाबा ने गाँववालों से कहा कि उसे रोकने के लिए किसी को वटवृक्ष की जड़ों में जीवित दफन होना पड़ेगा, क्योंकि उसी की तपोभूमि से उसकी आत्मा जुड़ी है।
विनय, जो अब तक सबको दोष दे रहा था, चुपचाप खड़ा रहा।
तभी तान्या की आत्मा प्रकट हुई — "जिसने इसे जगाया, उसी को इसका ग्रास बनना होगा।"
विनय को बाँधकर ले जाया गया। जैसे ही उसे जड़ों में रखा गया, एक भीषण चीख आसमान को चीर गई।
पेड़ की पत्तियाँ खुद-ब-खुद जलने लगीं और उस रात आसमान ख़ून-सा लाल था।
सुबह सब शांत था। वटवृक्ष जला हुआ, राख में बदला हुआ।
गाँववाले चैन की सांस ले ही रहे थे कि राशि, जो लापता थी, वापस लौट आई।
मगर उसकी चाल... उसकी हँसी... उसकी आँखें...
वो राशि नहीं थी। वो कुछ और थी।
उसने बच्चों को पुचकारा, बूढ़ों से बातें की, और मंदिर में जाकर कहा —
"ब्रह्मराक्षस को अब शरीर मिल गया है… अब कोई जड़ें नहीं जलेंगी… अब पूरा गाँव उसकी तपोभूमि है।"
"वटवृक्ष तो जला... पर उसकी परछाईं अब हर घर की दीवार पर दिखती है। तुम अगर अगली रात शीशे में देखो... तो खुद को नहीं, किसी और को देखोगे।"
Subscribe Bloody Bat Horror Stories on YouTube For Latest Animated Hindi Horror Stories.