Nehru Files - 8 in Hindi Anything by Rachel Abraham books and stories PDF | नेहरू फाइल्स - भूल-8

Featured Books
  • মহাভারতের কাহিনি – পর্ব 120

    মহাভারতের কাহিনি – পর্ব-১২০ দশম দিনের যুদ্ধে ভীষ্মের পতনের ক...

  • জঙ্গলের প্রহরী - 5

    জঙ্গলের প্রহরীপর্ব - ৫- "এটা একটা গল্প মিঃ রায়। মিথ বলতে পা...

  • Forced Marriage - 1

    শ্বেতার মনে হয়, পৃথিবীর সব থেকে বিষাক্ত বিষের থেকেও তার বসের...

  • অন্তর্হিত ছায়া

    কলমে :- সূর্য্যোদয় রায়   পর্ব১:  নিরুদ্দেশের নোটবুক কলকাতা...

  • ঝরাপাতা - 2

    ঝরাপাতাপর্ব - ২পিউর বুদ্ধিতে গোপার সঙ্গে কথা বলতে যাওয়ার আগ...

Categories
Share

नेहरू फाइल्स - भूल-8

भूल-8 

सन् 1946 की एन.डब्ल्यू.एफ.पी. भूल 

कांग्रेस ने सन् 1946 में एन.डब्ल्यू.एफ.पी. में चुनावों में जीत हासिल की थी और डॉ. खान साहब (खान अब्दुल जब्बार खान), खान अब्दुल खफ्फार खान के भाई, मंत्रालय का नेतृत्व कर रहे थे। एन.डब्ल्यू.एफ.पी. एक और ऐसा प्रांत था, जिस पर बंगाल, असम, पंजाब और सिंध के साथ मुसलिम लीग की नजर थी। यद्यपि एन.डब्ल्यू.एफ.पी. की प्रांतीय सरकार कांग्रेस के हाथों में थी, ब्रिटिश गवर्नर ओलाफ केरो और स्थानीय ब्रिटिश नौकरशाह कांग्रेस-विरोधी और मुसलिम लीग समर्थक थे। क्यों? उन्हें जरूर एच.एम.जी. ने मुसलिम लीग का समर्थन करने और यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए होंगे कि एन.डब्ल्यू.एफ.पी. पाकिस्तान का एक हिस्सा बन जाए। संयोग से, सर ओलाफ केरो वे व्यक्ति थे, जिन्होंने ‘वेल्स अ‍ॉफ पावर : द अ‍ॉयलफील्ड्स अ‍ॉफ साउथ वेस्टर्न एशिया, ए रीजनल ऐंड ग्लोबल स्टडी’ को लिखा था और मध्य-पूर्व में पाकिस्तान की संभावित भूमिका तथा इसके चलते ब्रिटिशों के लिए पाकिस्तान के सामरिक महत्त्व पर प्रत्ययकारितापूर्वक एक लेख भी लिखा था। ब्रिटिश अपने फायदे के लिए जिन्ना का पक्ष ले रहे थे। बाकी सभी जगहों की तरह ब्रिटिशों द्वारा समर्थन प्राप्त मुसलिम लीग उन तमाम स्थानीय मुसलमान नेताओं को बदनाम करने और उन्हें हिंदू-हितैषी एवं मुसलमान-विरोधी के रूप में प्रदर्शित करने के लिए मौके तलाश रहे थे, जो मुसलिम लीग से नहीं जुड़े थे और साथ ही स्थानीय मुसलमान आबादी को हिंदुओं के खिलाफ भड़काया। दूसरी तरफ, कांग्रेस बेहद लापरवाही के साथ मुसलिम लीग के इस दुष्प्रचार और हिंसा का मुकाबला करने की दिशा में बहुत कम काम कर रही थी। इसके बजाय जब नेहरू ने एन.डब्ल्यू.एफ.पी. के मुख्यमंत्री, सरदार पटेल और अन्यों की सलाह के बावजूद अंतरिम सरकार के प्रमुख के रूप में एन.डब्ल्यू.एफ.पी. का दौरा किया तो उसने ए.आई.एम.एल. को इस घृणित कृत्य में शामिल होने के लिए तैयार बहाने प्रदान किए। नेहरू को इस बात का भ्रम था कि वे बेहद लोकप्रिय थे, यहाँ तक कि मुसलमानों के बीच भी! नतीजे बिल्कुल उम्मीद के मुताबिक थे। स्थानीय कांग्रेस प्रांतीय सरकार के लिए स्थितियाँ बद-से-बदतर हो गईं और मुसलिम लीग ब्रिटिश गवर्नर एवं ब्रिटिश अधिकारियों के समर्थन से सांप्रदायिक अफवाहें फैलाकर और झूठे व कुशल दुष्प्रचार के जरिए मजबूत स्थिति में पहुँच गई। ब्रिटिश गवर्नर ओलाफ केरो की पक्षपातपूर्ण भूमिका तब अपने उच्‍चतम स्तर (या कह सकते हैं कि निम्नतम स्तर) पर पहुँच गई, जब उन्होंने एन.डब्ल्यू.एफ.पी. के मुख्यमंत्री डॉ. खान साहब को यह आश्वासन देकर अपने पक्ष में करने का प्रयास किया कि अगर वे ‘हिंदू कांग्रेस’ से अपने संबंध तोड़ लेते हैं तो वे उन्हें और उनके मंत्रिमंडल के सहयोगियों को पाकिस्तान में मंत्री के रूप में पद पर बने रहने में मदद करेंगे!

जिन्ना ने बेहद खुशी के साथ नेहरू के इस दौरे को अल्लाह के करम के रूप में देखा व नेहरू और कांग्रेस काे एन.डब्ल्यू.एफ.पी. के मुसलमानों के बीच अलोकप्रिय होने के रूप में दरशाने में सफल रहे।

_ _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ _  _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ _