यहां उन्होंने ने अपना अलग से मकान ले लिया उनके माता-पिता कुछ दिन ठहर कर वापस तलवंडी चले गए।
यहां उनके घर दो साहिबजादे बाबा श्री चंद भाद्रो शुदी , नौ समवत् 1551 और बाबा लखमी दास उन्नीस फाल्गुन समवत् 1553मे जन्म लिया।श्री गुरु नानक देव जी फिर जब किसी को उपदेश देते थे तो वह स्वयं बाणी की रचना करते थे।
जो किसी विशेष राग अनुसार गायन होती थी।
वस सुल्तानपुर लोधी मे सत्संग करते थे तो स्वयं गा बाणी सुनाते थे।
श्री गुरु नानक देव जी ने स्वयं तारी सारंगी तैयार की जिसे वह रबाब कहते थे।
जब श्री गुरु नानक देव जी का विवाह हुआ तो मर्दाना श्री गुरु नानक देव जी के माता-पिता के
साथ श्री गुरु नानक देव जी को मिलने की खुशी के तौर पर कोई उपहार मांगा। श्री गुरु नानक देव जी ने उपहार के तौर पर भाई मरदाना को वह छः तारी रबाब दिया।
मरदाना वह रबाब देखकर बहुत प्रसन्न हुआ चुकीं ऐसा साज़ उसने पहले कभी देखा था।
फिर श्री गुरु नानक देव जी ने मरदाने को आदेश दिया वह पक्का हमेशा के लिए उनके पास ही रहेगा। मरदाने को और क्या चाहिए था वह तो पहले ही वक्त में श्री गुरु नानक देव जी के
मरदाने को और क्या चाहिए था,वह तो पहले से ही काफी समय से मरदाना भाई श्री गुरु नानक देव जी से दूर रहने के कारण बहुत उदास रहता था।
श्री गुरु नानक देव जी का सत्संग एवं कीर्तन सुनकर उनके शिष्यों की संख्या मे वृद्धि होती गई। श्री गुरु नानक देव के शिष्यों को सिक्ख कहते थे।
एक दिन जब श्री गुरु नानक देव जी स्नान करने गये तो पहले वाले स्थान पर स्नान करने की बजाय नदी की पूर्व दिशा की ओर जाकर काफी दूर स्नान करने गये।
उनके सिक्ख भी उनके साथ थे।
श्री गुरु नानक देव जी ने वस्त्र उतारे और नदी में प्रवेश कर गए । उनके सिक्ख काफी देर देखते रहे कि श्री गुरु नानक देव जी अभी नदी से बाहर निकलेंगे अब आएगे लेकिन उन्हें बहुत हैरानी हुई जब सुबह तक नजर ना आए।
उनके सिक्खों ने भाग कर भाई जैराम तथा बेबे नानकी को सुचित किया। सारे शहर में शोर मच गया और लोग एक-दूसरे के आगे भागते नदी पर पहुंच गए।नवाब को भी इस बारे में खबर पहुंच गई । उसने तैराक एवं कई प्रकार के जाल भेजे ताकि वह श्री गुरु नानक देव जी को ढूंढ़ ले। लेकिन तीन दिन बाद भी श्री गुरु नानक देव जी का कुछ पता नहीं चला फिर तीसरे दिन लोग क्या देखते हैं कि उस स्थान पर जहां श्री गुरु नानक देव जी नदी प्रवेश किया था।
श्री गुरु नानक देव जी वहां पर समाधी लगाए बैठे थे।
जब लोगों ने शोर सुना तो वह उठ बैठे और कहने लगे, परमात्मा एक है,ना कोई हिंदू ना मुसलमान।
एक दिन काजी ने नवाब से कहा कि श्री गुरु नानक देव जी ये कहते हैं कि ना कोई मुसलमान और न कोई हिन्दू।
और यदि उन्हें इध इन दोनों धर्मों मे कोई अंतर दिखाई नही देता तो फिर वह हमारे साथ मस्जिद में नमाज़ पढ़ें नवाब को काजी ये बात बहुत अच्छी लगी।
उन्होंने श्री गुरु नानक देव जी को संदेश भेजा कि आज वो साथ मिलकर नमाज़ पढ़ें
क्रमशः ✍️