Age Doesn't Matter in Love - 11 in Hindi Drama by Rubina Bagawan books and stories PDF | Age Doesn't Matter in Love - 11

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Age Doesn't Matter in Love - 11

तुम जब पास होती हो…

आन्या स्कूल चली गई थी।
अभिमान भी अपने रेस्टोरेंट पहुँचा।
पर आज कुछ अलग था।
उसके चेहरे से मुस्कान जा ही नहीं रही थी — जैसे कोई अंदर से खिल गया हो।

राघव ने उसे देखा तो हैरान रह गया।
वो पास आया और माथे पर बल डालते हुए बोला,
“क्या हो गया है तुझे? पागल-वागल हो गया है क्या? ऐसे क्यों मुस्कुरा रहा है हर वक्त?”

अभिमान ने हल्का सा मुंह बनाया और बिना कुछ कहे अपने लैपटॉप पर झुक गया।
दोपहर के वक्त वो मेल्स चेक कर रहा था, ध्यान पूरी तरह स्क्रीन पर था।

लेकिन तभी सामने कोई खड़ा था —
आन्या।

वो चुपचाप खड़ी उसे निहार रही थी।
अभिमान के बिखरे बाल, माथे पर हल्की सी झलकती थकावट और फिर भी उसके चेहरे की गर्म मुस्कान —
आन्या बस देखती रह गई।

शरारत से मुस्कुराकर बोली —
“सुनिए…”

अभिमान ने उसकी आवाज़ पहचानी।
बिना चौंके, प्यार से सिर उठाया और कहा,
“हम्म…”

आन्या के होठों पर हल्की मुस्कान तैर गई।
“हमें आपका कीमती वक़्त मिल सकता है, मिस्टर रूड?”

अभिमान ने नजरें उठाकर उसे देखा,
“हम्म…”
फिर अचानक खड़ा हो गया।

आन्या का दिल तेज़ी से धड़कने लगा।
अभिमान ने चारों ओर नजर घुमाई और फिर पूछा,
“तुम्हारे भाई का स्कूल कब छूटेगा?”

“अभी तो पंद्रह मिनट बाकी हैं…” — आन्या ने मासूमियत से कहा।

“अच्छा।”
इतना कहकर उसने धीरे से उसका हाथ पकड़ लिया।

आन्या चौंक गई।
शायद पहली बार उसने यूँ उसका हाथ थामा था।
वो चुपचाप, थोड़ी हैरानी और थोड़ी धड़कन के साथ, अभिमान के पीछे चल दी।

कैबिन का कोना, रिश्तों का रंग

अभिमान उसे अपने कैबिन में ले आया।
उसे अपनी कुर्सी पर बिठाया, खुद सामने बैठ गया।

आन्या चारों तरफ देखने लगी —
“आपका कैबिन बहुत सुंदर है…”

अभिमान ने उसकी मासूमियत में खोए-से कहा —
“अच्छा?”
फिर उसके गालों को हल्के से पिंच करते हुए मुस्कुराया।

आन्या शर्माई।
तभी अभिमान ने उसकी कमर थामी और उसे अपनी गोद में बिठा लिया।

आन्या एक पल को चौंक गई।
“आप… ये क्या कर रहे हैं?” — उसकी आंखें गोल हो गईं।

अभिमान ने उसका गाल चूमा।
उसके गाल तपने लगे —
“मेरी धड़कन… बढ़ रही है…” — उसने धीरे से कहा।

अभिमान ने उसे बाहों में समेटते हुए बस इतना कहा,
“श्श्श… कुछ मत बोलो…”

उसने अपने हाथों से उसके बालों को सहलाया और धीरे से कहा —
“तुम जब पास होती हो न, तो दिल करता है और करीब ले आऊं…”

आन्या कुछ नहीं बोली।
उसका चेहरा लाल हो रहा था, आंखें झुकी हुई थीं।

“मैं… जाऊं?” — वो फुसफुसाई।

अभिमान ने उसे देखा, कुछ नहीं कहा।
बस फिर से उसे सीने से लगा लिया —
जैसे कह रहा हो, "रुको… बस थोड़ी देर और…"

आन्या ने धीरे से उसका गाल छुआ —
“आप ठीक हो ना? मैं बस घबरा गई थी…”

अभिमान ने उसके हाथों को अपने हाथ में लेकर कहा —
“हम्म…”

इस बार खुद ही वो अभिमान के गले लग गई।
उसके कंधे पर सिर रखकर उसने गहरी सांस ली।

अभिमान ने उसे और करीब करते हुए कहा —
“रात को कॉल करना… घर जाकर।”
आन्या ने सिर हिलाया —
“हम्म…”

वो उठ खड़ा हुआ, बाहर की ओर इशारा किया।

आन्या मुस्कुराई और कैबिन से बाहर निकल गई।
बाहर अक्षत उसका इंतजार कर रहा था।

वो दोनों साथ घर चले गए —
पर अभिमान की गोद में बैठा वो मासूम लम्हा, उन दोनों के दिल में हमेशा के लिए कैद हो गया…

आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए एज डंज्नट मैटर ईन लव