टाम ज़िंदा है ------- ये उपन्यास लगातार चलता जा रहा है,
इसकी ऐसी कड़ी जो एक दूसरे से जुडी हुई बेहद खौफ पैदा करती है। जब हम ये भूल जाते है कोई बात नहीं किसी का सिर क़लम करना है करदो, कोई देखता है, हाँ जरूर तुझे वक़्त देख रहा है.... वक़्त कभी नहीं भूलता कि तुमने उसकी झोली मे जो डाला वो तुम्हे भी मिलेगा।
आज शेव बना रहा भवानी सिंह नतीजन सोच रहा था,
आज का प्लान कैसे तैयार करना है बस यही सोचते सोचते उसने खाना भी खा लिया था... पूजा को बचाना उसका पहला कर्तव्य था।
पुलिस स्टेशन पे पहुंच के, उसने तैयार किया कुछ चुनाचे ऐसे सडोल पुलिस वालो को जो गिनती मे पांच से जयादा नहीं थे।
उसमे दिलबर नाम का बड़ा, साहसी युवक साथ था, भवानी ने उसको आपने लखते जिगर की तरा रखा था। और आजमाइश कितनी दफा कर चूका था। वो अवल ही आया था।
निशांने बाज़ पक्का था। बस इतना पढ़ नहीं सका नहीं तो पोस्ट उनके ऊपर होती थी। भावनी जैसा निगाहेँवान उसकी देख रेख मे था।
पिछले दरवाज़े से पूजा को चिकन कॉर्नर पर पैदल मार्च कर करा दिया गया। उसके पास था,
बस जो भावनी ने समझा दिया था, वैसा ही करना था।
अगले पल चिकन कॉर्नर पर मजबूत तरीके से बुर्के मे सामने पुल के पास खड़ी पूजा थी। सिम्पल ड्रेस मे अख़बार पढ़ते आँखो मे काला चश्मा लगाए बिलकुल साथ खडे थे दिलबर साहब.... बहुत ही राहजन की तरा। भीड़ काफ़ी थी... सोच कर पुलिस वाले दंग थे, कितनो की जाने जाएगी। बस देखा जायेगा जो होयेगा। सामने खोखा था, एक सिगरेट लीं..
और कब रुका पूजा तक पहुंच गया पता ही नहीं चला। पूजा ने ज़ब खोल कर पढ़ा.. " देवी जी, साथ बरात लेकर आयी हो, लो अभी लो। "
तभी धाएं से गोली उसकी दायी बाजू पे लगी। दिलबर ने भाग कर पूजीशन लीं... लिट गया साथ ही सेहकती हुई पूजा भी... दो धमाके जबरदस्त..... धुआँ ही उठ रहा था..
पर दिलबर ने उसकी दायी टांग मे दो गोलिया धाये धाये से मार दी थी। इतना सटीक निशाना। वो वही गिर पड़ा।
बाकी का तो पता नहीं। कितना नुकसान हुआ कोई नहीं जानता। किसी बाजू उड़ गयी किसी की सौंप सड़ गयी किसी की सिसकियाँ ही सिसकियाँ थी। और कुछ नहीं था। एक कार के परचरे उड़ गए थे।
दिलबर ने उस बेहोशी वाले को उठा कर पुलिस की जीप मे डाल कर हॉस्पिटल मे लाया गया।
दो दिन के उपचार के बाद......
पुलिस की गिरफ्त मे था। अख़बार बोल रहा था... अचानक हुए हमले से पचास लोग गंभीर हुए, दुकानों की आग को फायर बिर्गेर्ड ने बड़ी मशकत से काबू पा लिया था.....
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कमर का झटका जयादा था, लचक कम हो गयी लगी जैसे। रीना डास फ्लोर पर नाच रही थी... प्रदर्शन टागो का ऊपर तक जयादा था... सीने को एक रेड पीस से ढका हुआ था। तभी गिरजा ने डास रोक दिया -------" फूलजड़ी मत फुको, अमरीश बाबू आज कहर हो गया। " गिरजा चिलाई।
" कया हुआ बाभड़ी, मुरझा कयो गयी। "
शतरज की चाल हमें से सीख कर हमें मात देगा, अमरीश बाबू। " गिरजा ने आपना पक्ष रखा।
" जानता हूँ, कया नहीं जानता मै, पेयादा राजा तो नहीं बन जायेगा। " अमरीश ने आख़री घुट पी कर बोतल से और डाली।
"-----बहुत खूब " राये ने कहा।
भावनी को हवा लग गयी है... जिस हवा मे परिंदा सास लेता है, उसकी पकड़ से ही गर्दन मरोड़ दो। " अमरीश ने कहा।
"-----बदली करो उसकी ऐसी जगह मंत्री साब, वो भी कया याद रखे। " गिरजा ने टपाक से बोला।
"---चिडियो की वकालत हमारे काम मे खुदकशी जैसा है, गिरजा। " अमरीश ताबड़तोड़ बोला रुक कर "---तुम काम से काम रखो। कया करना है मै जानता हूँ, तुम सबक मत दिया करो।" गिरजा जैसे सहम गयी।
नहीं सर, मैंने कुछ गलत कह दिया हो तो सॉरी फील करती हूँ। " गिरजा मजूस सी होकर रूम से निकल गयी।
(टाम जिंदा है )----- मेरी जिम्मेदारी है अगर ये कोई किसी की नकल हो तो --------(चलदा )----------नीरज शर्मा