the color of love is pink in Hindi Love Stories by Vijay Sharma Erry books and stories PDF | इश्क का रंग गुलाबी

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इश्क का रंग गुलाबी

शीर्षक: 💕 इश्क़ का रंग गुलाबी💕लेखक: विजय शर्मा एरीप्रस्तावना:यह कहानी है छोटे शहर के सीधे-सादे लड़के अंश और बड़े शहर की चंचल, खूबसूरत लड़की सिया की, जिनके दिलों ने एक-दूसरे की धड़कनों को समझा, और जिनके प्यार ने समाज की हर बंदिश को तोड़ दिया।─────────────भाग 1: पहली मुलाकातअंश एक शांत और समझदार लड़का था, उत्तराखंड के एक छोटे से गाँव में अपने माँ-बाप के साथ रहता था। वो सरकारी स्कूल में गणित का अध्यापक था। उसका सपना था अपने माता-पिता के लिए एक अच्छा घर बनाना। प्यार जैसी चीज़ उसके लिए किताबों और फिल्मों में ही था।एक दिन स्कूल की छुट्टी के बाद वह अपने दोस्त मोंटी के साथ पास के कस्बे में मेला देखने गया। वहीं पहली बार उसने सिया को देखा।सिया - दिल्ली से अपने चाचा-चाची के यहाँ छुट्टियाँ बिताने आई थी। लहराते बाल, हँसी जैसे मंदिर की घंटियाँ, और आँखें जैसे जादू का खजाना।अंश (धीरे से मोंटी से) - "यार, ये कोई परी है क्या?"मोंटी - "भाई परी नहीं, बवाल है बवाल। देखना इस लड़की के लिए कितने लड़के पागल हो रहे हैं।"अंश की नज़रें वहीं अटक गईं। तभी बैकग्राउंड में बज रहा था…🎶 "तेरा होने लगा हूँ… खुद से ज़्यादा तुझे चाहने लगा हूँ…" 🎶तभी अचानक भीड़ में सिया का पैर फिसला और अंश ने झट से उसका हाथ पकड़ लिया।सिया - "थैंक यू… गिर जाती मैं।"अंश थोड़ा हिचकिचाते हुए - "कोई बात नहीं… आप ठीक हैं?"सिया - "हाँ… आप यहाँ के लोकल हो?"अंश - "जी… मैं यहाँ स्कूल में पढ़ाता हूँ… अंश नाम है।"सिया मुस्कुराई, उसकी मुस्कान ने अंश का दिल चुरा लिया।सिया - "मैं सिया… दिल्ली से आई हूँ छुट्टियों में।"पहली मुलाकात में ही दोनों के दिलों में कुछ गुलाबी एहसास भर गए।─────────────भाग 2: दिल की बातेंअगले कुछ दिनों में सिया और अंश की मुलाकातें बढ़ने लगीं। कभी मेले में, कभी मंदिर में, कभी बाजार में। बातें होतीं, हंसी होती और दिल धीरे-धीरे जुड़ने लगे।एक शाम नदी किनारे दोनों बैठे थे। सिया पानी में पत्थर उछाल रही थी और अंश उसे देख रहा था।सिया - "तुम्हारा सपना क्या है अंश?"अंश - "सपना? बस माँ-बाबूजी के लिए अच्छा सा घर… उनके चेहरे पर सुकून लाना।"सिया की आँखें चमक गईं।सिया - "तुम अलग हो अंश… आजकल कौन सोचता है माँ-बाप के बारे में।"अंश ने हिम्मत करके पूछा - "और तुम्हारा सपना?"सिया - "मैं… मैं आर्टिस्ट बनना चाहती हूँ… पेंटिंग्स से दुनिया को रंगीन बनाना चाहती हूँ।"दोनों के सपने अलग थे पर दिल के तार जुड़ते जा रहे थे।🎶 "तुझे देखा तो ये जाना सनम… प्यार होता है दीवाना सनम…" 🎶─────────────भाग 3: इज़हार-ए-इश्क़छुट्टियों के आखिरी दिन, सिया के जाने का दिन था।अंश का दिल अजीब बेचैनी से भरा था।सुबह-सुबह वो फूलों का गुलदस्ता लेकर स्टेशन पहुंचा। सिया अकेली थी, हाथ में बैग।अंश (धीरे से) - "सिया… एक बात कहूँ?"सिया मुस्कुराई - "कहो…"अंश - "तुम्हारे जाने के बाद सब कुछ सूना हो जाएगा… न बाजार अच्छा लगेगा, न मंदिर… न ये नदी… मुझे पता नहीं कब मिलोगी… लेकिन मैं तुम्हें दिल से याद करूंगा।"सिया की आंखों में नमी थी।अंश ने कांपते होंठों से कहा - "सिया, मुझे तुमसे प्यार हो गया है।"सिया चौंकी, फिर धीरे से मुस्कुराई और बोली - "मुझे भी…"🎶 "तुम ही हो… तुम ही हो… ज़िंदगी अब तुम ही हो…" 🎶ट्रेन आई, सिया चढ़ गई, अंश वहीं खड़ा था, दिल में प्यार का समंदर लिए।─────────────भाग 4: जुदाई के दिनअब अंश की सुबहें भी उदास थीं और शामें भी। सिया दिल्ली में अपनी पेंटिंग्स में खो गई थी, मगर रोज रात को दोनों घंटों फोन पर बातें करते।एक दिन सिया ने फोन पर कहा - "अंश… मम्मी-पापा मेरी शादी का रिश्ता देख रहे हैं… मैं क्या करूँ?"अंश का दिल बैठ गया। उसे लगा जैसे सबकुछ खत्म हो जाएगा।अंश - "क्या तुम मुझसे शादी करोगी सिया?"सिया - "हाँ… पर हमारे परिवारों का क्या?"अंश - "हम प्यार करते हैं… मैं आऊँगा दिल्ली… तुम्हारे माता-पिता से बात करूंगा।"🎶 "कुछ तो है तुझसे राब्ता…" 🎶─────────────भाग 5: प्यार की जीतअंश दिल्ली गया। सिया के घर पहुंचा। पहली बार बड़े शहर का शोर सुना, पहली बार तेज़ रफ्तार जिंदगी देखी।सिया के पिता - "तुम गाँव के मास्टर हो… मेरी बेटी को क्या दोगे?"अंश ने सिर झुकाया लेकिन शब्दों में आत्मविश्वास था।अंश - "मैं प्यार दूंगा साहब… इज्जत दूंगा… सपनों की उड़ान दूंगा।"सिया की माँ ने देखा अंश की आंखों में सच्चाई थी।कई दिनों तक कोशिशें चलीं, समझाइशें हुईं।आखिरकार एक दिन सिया के पिता ने मुस्कुराकर कहा - "ठीक है… शादी होगी… मगर हमारी बेटी को कभी रुलाना मत।"🎶 "मस्त मगन हो गया रे… प्यार में तेरे…" 🎶─────────────भाग 6: प्यार की शादीगाँव में धूमधाम से शादी हुई। पूरी बस्ती रोशनी से जगमगा उठी। अंश की माँ-बाप की आंखों में चमक थी। सिया लाल जोड़े में परी लग रही थी।अंश ने धीरे से सिया के कान में कहा - "आज से तुम्हारे सारे सपने मेरे हैं।"सिया मुस्कुराई - "और तुम्हारे सारे सपने मेरे…"🎶 "आज से तेरी सारी गलियाँ मेरी हो गई…" 🎶─────────────भाग 7: प्यार का सुखद अंतशादी के बाद सिया गाँव में बच्चों को आर्ट सिखाने लगी, अंश स्कूल में बच्चों के भविष्य को संवारता रहा। दोनों का घर खुशियों से महक उठा।सपनों का घर बन गया। माँ-बाप की आंखों में सुकून आ गया। गाँव के लोग कहते, "सच्चा प्यार हो तो हर बंदिश टूट जाती है।"अंश और सिया हर सुबह सूरज को सलाम करते, हर शाम नदी किनारे बैठते।अंश - "तुम्हारे आने के बाद मेरा जीवन रंगीन हो गया सिया।"सिया - "क्योंकि इश्क़ का रंग गुलाबी होता है…"🎶 "जीने लगा हूँ… पहले से ज़्यादा… पहले से ज़्यादा… तुम्हें प्यार करने लगा हूँ… 🎶─────────────💕 कहानी समाप्त 💕