रीकैप ।
पिछले चैप्टर में हम पढ़ते हैं कि किस तरह से पालकी अमेरिका जाने की ज़िद करती है। पहले तो घर वाले उसे अकेले अमेरिका भेजने के लिए हिचकी चाहते हैं पर जब शिवाय बताता है कि प्रणय भी अमेरिका जा रहा है तो बाकी सब भी पालकी को अमेरिका जाने की परमिशन दे देते हैं।
अब आगे
कपाड़िया हाउस में
इस वक्त सांची और मोहिनी जी में बहस चल रही थी ।
क्योंकि सांची फिर से, एक नई डिमांड शुरू हो गई थी जिसे पूरा करने के लिए जिद कर रही है।
सांची के सर पर पेंटिंग आर्टिस्ट बनने का भूत सवार हो गया था जिसकी वजह से वह पेंटिंग क्लासेस लेना चाहती है। जिसे ज्वाइन करने के लिए मोहिनी जी से जिद कर रही है।
तभी कश्यप उन दोनों के बैस में इंटरप् कर कर बोला परमिशन दे दो ना मामा, उसका मन है तो करने दो ना।
कश्यप की बात सुनकर मोहिनी जी बोली इसका हमेशा का यही तो बात है इसे हर-चार दिन में नई चीज़ सीखने का भूत चढ़ जाता है, उसके बाद लाखों रुपए खर्च करवाती है एक या दो दिन क्लास अटेंड करती है उसके बाद छोड़ देती है।
अगर पूछो कि उसने क्लासेस क्यों छोड़ा है तो बोलती है कि यह मेरी मंजिल नहीं है, मेरी मंजिल कुछ और है ऐसी अजीब से बातें कर कर सबका मुंह बंद कर देती है।
तभी वहां उर्मिला जी आती है और बोलती है क्यों डांट रही हो मेरी पोती को।
उनकी बात सुनकर मोहिनी जी भी उन्हें सब बता देती है कि अब उनके पोती को किस चीज का भूत चढ़ा है
जिस पर मोहिनी जी उर्मिला को जी सारी बातें बता देती है।
जिस पर मिला जी अपनी पोती कसाई लेते हुए बोली इसमें क्या बड़ी बात है अगर मेरी पोती को आर्ट्स क्लास जाना है तो जाने दो।
जिस पर सांची बोलती है दादी मां मैं कब से मम्मी को यही बात समझा रही हूं पर वह सुनती नहीं है और वैसे भी क्लासेस के फीस बस एक लाख तो ही है।
जिस पर मोहिनी जी उर्मिला जी से बोली देखिए मां ₹1,00,000 है क्लासेस के और यह पूरे क्लासेस अटेंड करेगी तो एडमिशन करूंगी ना पर यह तो बीच में ही अपना क्लासेस छोड़ देती है और सारे पैसे बेकार में चले जाते हैं।
अब तक इसने कितने क्लासेस की फीस बारवी है और एक क्लास तक आज तक उसने पूरा नहीं किया है।
जिस पर उर्मिला जी बोली अगर मेरी पोती को क्लास जाना है तो जाने दो वैसे भी इस खानदान में इतना गरीबी नहीं छा गई कि वह इस घर की बेटी का ख्वाहिश ना पूरा कर सके और ऐसे पैसों अपने सच्ची के लिए लूटा सकते हैं।
वैसे भी इसका बाप , भाई काम क्यों रहे हैं अगर वह अपनी बेटी, बहन की छोटी सी जिद ना पूरी कर सके।
उनकी बात सुनकर मोहिनी जी को हार मानकर सांची को परमिशन देना पड़ता है एडमिशन के लिए।
सच्ची खुशी से चिल्लाती है और उर्मिला जी कश्यप और मोहिनी जी के गले लगती है।
जिस पर कश्यप पूछता है कि उसे किस आर्टिस्ट से पेंटिंग सीखनी है या किसी अकादमी।
सांची खुश होकर जवाब देती है चित्रकला अकादमी मैं एडमिशनलेना है।
जींस पर उर्मिला जी कश्यप से बोलती है कि उसका ,चित्रकला में एडमिशन कर दो।
उर्मिला जी की बात सुनकर मोहिनी जी कुछ नहीं बोलते आखिर इस घर में उर्मिला जी की ही तो चलती है।
हेवन इन थे हेल में
चार नकाबपोश एक आदमी के सामने खड़े हैं और उसे आदमी से बोलते हैं कैप्टन जैसे आपने कहा है हमने वैसा कर दिया है हमने लड़कियों की तस्करी की एक बैच को बचा लिया है।
कैप्टन उनकी बात सुनकर बोला जीत की खुशी मत मानाओ तुमने सिर्फ एक ही बैच को बचाया है ऐसे ही और तस्कारियो के बैच को बचाना है तुम में से कोई भी नहीं भूलेगा कि हमारा मकसद क्या है।
कैप्टन की बात सुनकर वी बैच वाला नकाबपोश बोलता है जानते है कैप्टन हम अपना मकसद नहीं भूले हैं हम नहीं भूले हैं कि हम क्यू brutal brigade of shadow(bbos), ग्रुप में ज्वाइन हुए हैं।
वी बैच वाले नकाबपोश की बात सुनकर कैप्टन हां में सर र हिलता है ।और बोलता है सोर्सेज के हिसाब से पता चला है कि लड़तस्करीकी तस्करी का बैच सेकंड और थर्ड आज रात डिलीवर होने वाला है इसलिए आज तुम लोगों को एक साथ नहीं दो अलग-अलग ग्रुप बनाकर उन लड़कियों को बचाना है।
तभी तो जाकर हम लोग हमारी मकसद मैं आगे बढ़ेंगे।
एस बैच वाला नकाबपोश बोलता है , एस कप्तान हम लोग अपना काम पूरा करेंगे आपसे ज्यादा हम लोग अपने मकसद में आगे बढ़ना चाहते हैं। इस वक्त s बैच वाले नकाबपोश की आंखों में साफ-साफ गुस्सा और बेसब्री देखा जा सकती है।
इस बैच वाले की बात सुनकर कैप्टन बोले अगर तुम इस तरह डेसपरेट हो जाओगे तो मकसद में आगे कैसे बढ़ोगे ,मकसद में आगे बढ़ने के लिए तुम्हें पेशेंट्स रखना होगा।
तभी (के) बैच वाला बोला कैप्टन उन लड़कियों का क्या करना चाहिए जिसे कल बचा कर लाएं हैं।
कैप्टन ( के) बैच वाले को जवाब देता है जिन लड़कियों का घर है मां-बाप है उन्हें उनके घर भेज दो और जो बाकी के बेसहारा है उन लड़कियों को वह भेजो जहां हमने इंतजाम कर दिया है।
कैप्टन की बात सुनकर( के) बैच वाला अपना सर हिला देता है।
(डी) नकाबपोश कैप्टन से बोलता है कैप्टन मैंने वह कर दिया है जो आपने मुझे करने के लिए कहा है मैंने उसे पेन ड्राइव को गवर्नमेंट को दे दिया है अब वह लोग उन सब अनाथ आश्रम को बंद करने का अनाउंसमेंट करने का ऑर्डर दे दिया है।
दी नकाबपोश की बात सुनकर कैप्टन के चेहरे पर मुस्कान आती है, वह उसे बोलते हैं बहुत अच्छा काम किया है तुमने अब तुम लोग यहां से जा सकते हो आगे के डिटेल्स में तुम लोगों को टेक्स्ट कर दूंगा इतना बोलकर वह कैप्टन दीवार पर एक बटन दबाता है जहां से वह नीचे चला जाता है।
कैप्टन के जाते ही चारों नकाबपोश एक दीवार के पास जाते हैं और उसे दीवार पर अपनी उंगलियों का छाप छोड़ते हैं जैसे उन सब की उंगली दीवार पर छप गई वह दीवार एक तरफ से साइड हो गया वह चारों उसे दीवार के उस पार चले जाते हैं दीवार की दूसरी तरफ से एक कमरा है जो क्रीम और वाइट कलर से डेकोरेट किया गया है उसे कमरे में पांच दरवाजे हैं वह चारों नकाबपोश एक दरवाजे के पास जाते हैं जहां लिखा है मीटिंग रूम।वह लोग उसे रूम में चले जाते हैं और सोफे पर बैठकर अपना चेहरे का नकाब हटा देते हैं
यह चारों कोई और नहीं है शिवाय ,वनराज ,दुर्गा, कार्तिक है।चारों एक दूसरे को देखकर डेविल स्माइल देते हैं। इस वक्त उन चारों को देखकर कोई भी नहीं बोल सकता था कि यह वही चारों है जो घर पर इतने शांत, चूलबुले ,और हसमुख रहते हैं।
वनराज बोलता है आज का एक बैच रोकने के लिए दुर्गा और कार्तिक जाएंगे और दूसरे बैच के लिए में और शिवाय जाएंगे।
वनराज की बात सुनकर जहां कार्तिक खुश हो रहा था तो दुर्गा मुंह बनाते हुए बोली भाई यह सही नहीं है मैं इस गधे , (कार्तिक की तरफ नजर करते हुए बोली)इंसान के साथ नहीं जाओगी।
दुर्गा की बात सुनकर कार्तिक का मुंह बन जाता है और वह बोलता है मेरे साथ जाने में क्या प्रॉब्लम है?
कार्तिक की बात सुनकर दुर्गा उससे बहस करने लगती है दोनों कार्तिक और दुर्गा बहस करना शुरू कर देते हैं।
शिवाय और वनराज उन्हें बहस करते देखकर एक दूसरे के चेहरे को देखते हैं और फिर गहरी सांस लेकर वनराज बोलता है अच्छा ठीक है दुर्गा मेरे साथ जाएगी और कार्तिक, शिवाय के साथ जाएगा।
वनराज की बात सुनकर जहां दुर्गा खुश हो गयी तो कार्तिक उदास हो गया।
सफल कंपनी
यह कंपनी कश्यप कपाड़िया की है हालांकि यह छोटी कंपनी है पर कश्यप ने अपने खून पसीने से इस कंपनी को खड़ा किया है।
कश्यप ने इस कंपनी को अपने बलबूते पर खोला है यह कंपनी रॉ मैटेरियल्स की है।
सफल कंपनी बड़ी-बड़ी अक्षरों में एलईडी लाइट में लिखा हुआ है।
यह कंपनी ना ही बड़ी थी नाही छोटी दिखने में बहुत ही क्लासी है ,बिल्डिंग का कलर ग्रे है ऊपर से पूरी बिल्डिंग कांच से बनी हुई है इस कांच की खास बात यह है कि बिल्डिंग के लोग अंदर से सब कुछ देख सकते हैं पर बाहर के लोग बिल्डिंग के अंदर नहीं देख सकते हैं।
इस वक्त कंपनी में बहुत चहल-पहल हैं क्योंकि कश्यप को आज एक बड़ा ऑर्डर मिला है अगर यह आर्डर पूरा होता है तो कश्यप को अपनी कंपनी को आगे बढ़ाने के लिए बूस्ट मिल जाएगा।
कंपनी का मेन दरवाजा खुलता है एक कार अंदर आता है जिसमें कश्यप बड़े स्टाइल से उतरता है और अंदर की तरफ चला आता है।
सभी कर्मचारी कश्यप के आने से उसे ग्रीट करते हैं कश्यप भी उन सबको छोटी सी स्माइल से ग्रीट करता है।
कश्यप एक सूलझा हुआ शांत स्वभाव का लड़का है जिसके अंदर ना ही लालच है ना ही कोई छल कपट है।
कश्यप अपने ऑफिस में जाता है और अपने चेयर पर बैठकर अपने पी ए को बुलाता है पिए उसे उसकी दिन भर की शेड्यूल बताता है, कश्यप पूरे ध्यान से कॉफी पीते हुए अपने पिया की बात सुनता है।
कश्यप ने इस कंपनी के लिए शेखर जी से ₹1 तक नहीं लिया था। उसने अपनी बिजनेस की पढ़ाई के साथ पार्ट टाइम जॉब किया था जिसकी वजह से वह आज सफल कंपनी खड़ा कर पाया है।
इसे आगे बढ़ाने के लिए उसने बहुत कुछ खो दिया था जैसे की घर परिवार मजे करना जैसे चीज जिस काम लड़का करता है। उसने अपनी उम्र के 16 साल से मेहनत करना सीख लिया था तब से लेकर आज तक वह बस अपने आप को बेस्ट साबित करने के लिए रेस में है।
इतनी मेहनत के बावजूद भी उसने कभी कोई गलत रास्ता या गलत चीज नहीं की अपनी बिजनेस को आगे बढ़ाने के लिए।
शायद यह उसके दादाजी और मां के गून थे।
क्या होगा आगे जाने के लिए पढ़िए अगला चैप्टर टाटा बाय-बाय,रिव्यू और कमेंट देना मत भूलिएगा।
आज का चैप्टर आपको कैसा लगा।