💗 एपिसोड 19 – जब धड़कन ने नाम माँगा
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1. सुबह की पहली धड़कन – और एक विचार
आरव सुबह की हल्की सी चाय बना रहा था।
नैना खिड़की के पास बैठी, अपने पेट पर हल्के-हल्के हाथ फेर रही थी।
फिर अचानक बोली:
"तुमने कभी सोचा है… अगर लड़की हुई तो उसका नाम क्या रखोगे?"
आरव ने कप रखते हुए कहा:
"और अगर लड़का हुआ तो…?"
दोनों एक-दूसरे की तरफ देखे और मुस्कराए।
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2. बचपन की किताबें – और नामों की तलाश
नैना अपनी पुरानी डायरी ले आई —
जिसमें उसने बचपन में कभी अपनी पसंदीदा चीज़ों और नामों की लिस्ट बनाई थी।
"देखो, ये लिस्ट तब की है जब मैं सातवीं कक्षा में थी।
और सोचती थी कि बड़ी होकर क्या नाम रखूँगी अपने बच्चों का…"
आरव ने पहली पंक्ति पढ़ी:
> "लड़की: आहना, तिशा, कियारा…"
"लड़का: वेद, अर्णव, आयुष…"
"ये सब… बहुत फिल्मी नहीं हैं?" आरव ने हँसते हुए कहा।
"तो तुम बताओ! तुम्हारे पास कौन-सा खज़ाना है?"
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3. आरव की पसंद – और वो नाम जो अधूरे रह गए थे
आरव थोड़ी देर चुप रहा,
फिर धीरे से बोला:
"मेरी माँ चाहती थीं कि अगर मेरा कोई बेटा हो,
तो उसका नाम 'अन्वीश' रखा जाए –
जिसका मतलब होता है ‘खोज’।
क्योंकि माँ कहती थीं, हर बेटा अपने पिता के अधूरे सपनों की खोज है…"
नैना ने उसकी आँखों में देखा —
वहाँ भावुकता की एक गहराई थी।
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4. नामों की लड़ाई – प्यार भरी तकरार
"तो एक काम करते हैं…" नैना ने कहा।
"अगर लड़की हुई, तो नाम मैं रखूँगी।
और अगर लड़का हुआ, तो तुम!"
आरव मुस्कराया।
"और अगर जुड़वाँ हुए?"
"तो फिर?
एक तुम्हारा, एक मेरा!
फेयर डील!"
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5. नैना की पसंद – नाम जो भावना से जुड़ा हो
"अगर लड़की हुई तो मैं उसका नाम रखूँगी — 'सान्वी'।
मतलब: वो जो देवी से जन्मी हो।
एक शांत और शुभ शक्ति…"
आरव ने सिर हिलाया:
"बहुत सुंदर नाम है।
और जो अभी पेट में है,
वो भी तो किसी देवी से कम नहीं लगती!"
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6. 'मोती' की भूमिका – और बच्चे से संवाद
नैना ने ‘मोती’ (लकड़ी का भालू) को अपने पेट पर रखा और बोली:
"सुनो बच्चू, अगर तुम हो तो बताओ!
तुम्हें कौन-सा नाम पसंद है?"
आरव भी बोला:
"दो बार हिले तो मतलब ‘अन्वीश’ पसंद है,
और तीन बार हिले तो ‘सान्वी’!"
फिर दोनों चुप हो गए…
मानो भीतर की धड़कनों में जवाब ढूँढ रहे हों।
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7. अचानक धड़कनें तेज़ – और डॉक्टर की सलाह
नैना को पेट में हल्की ऐंठन हुई।
डॉक्टर को कॉल किया गया।
जाँच के बाद डॉक्टर ने कहा:
"ऐसा कुछ नहीं है।
लेकिन ये संकेत है कि अब से आपको ज़्यादा भावनात्मक झटके नहीं लेने चाहिए।
बच्चे की धड़कन अब ज्यादा तीव्र हो रही है।
और… वो सुन सकता है!"
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8. पहली बार बच्चे से बातें – नाम के बहाने संवाद
रात को नैना और आरव दोनों बिस्तर पर लेटे थे।
आरव ने नैना के पेट पर कान लगाया।
"सुन बेटा या बेटी,
तेरा नाम तेरी मम्मी और पापा ने बहुत सोच समझकर चुना है।
अब तू खुद बता देना — किस दिन आना है तुझे…"
नैना बोली:
"और जब भी आए,
तेरा नाम हमारे होठों पर पहले से मौजूद होगा।
क्योंकि नाम सिर्फ पहचान नहीं होता,
वो एक रिश्ता होता है जो जन्म से पहले ही बन जाता है।"
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9. डायरी की आखिरी पंक्तियाँ – नाम से आगे की बात
> "आज पहली बार हमने अपने बच्चे से ऐसे बात की,
जैसे वो पास बैठा हो।
नाम की बात थी, लेकिन हर नाम के पीछे
एक उम्मीद, एक कहानी, एक सपना छुपा है।
मुझे अब समझ में आया कि नाम किसी का दिया हुआ उपनाम नहीं —
बल्कि दो धड़कनों के बीच की सबसे मधुर पुकार है…"
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🔚 एपिसोड 19 समाप्त – जब धड़कन ने नाम माँगा