Pahli Nazar ki Khamoshi - 16 in Hindi Anything by Mehul Pasaya books and stories PDF | पहली नज़र की खामोशी - 16

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पहली नज़र की खामोशी - 16


🧸 एपिसोड 16 – जब पहला खिलौना मुस्कुराया



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1. लकड़ी के टुकड़े और एक पिता की कल्पना

आरव सुबह-सुबह उठ गया था।

नैना ने आँखें मलते हुए पूछा:
"इतनी जल्दी कहाँ?"

"आज एक नई चीज़ बनानी है…"

आरव बाहर गया —
बगल वाली स्टोर में पुराने लकड़ी के टुकड़े पड़े थे,
जिन्हें उसने बरसों से सहेजकर रखा था।

उसे नहीं पता था कि एक दिन यही टुकड़े,
उसके बाप बनने की शुरुआत का हिस्सा बनेंगे।


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2. आरव की पहली रचना – लकड़ी का भालू

आधी दोपहर बीत चुकी थी।

कहीं खरोंच, कहीं पसीना, कहीं धूल।

और बीच में बैठा आरव —
अपनी जीभ दाँतों में दबाए,
ध्यान में डूबा।

उसने एक छोटा-सा लकड़ी का भालू तराशा था।

माथे पर एक हल्की मुस्कान,
बाएँ हाथ में दिल का आकार,
और पैरों के पास खुदी हुई एक कविता की पंक्ति:

> “माँ की गोद से आया,
पापा के हाथों में गढ़ा गया…”




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3. नैना की नज़र – और उसका रुक जाना

शाम को जब आरव अंदर आया,
तो उसके हाथ में वो छोटा भालू था।

"तूने बनाया ये?"
नैना की आँखों में हैरानी थी।

"हमारे बच्चे का पहला दोस्त…
हमारी पहली रातों का साथी…"
आरव ने मुस्कुराते हुए उसकी गोद में रखा।

नैना उसे देखते ही रो पड़ी।


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4. आँसू और मुस्कान – साथ-साथ

"आरव… तुम जानते नहीं, ये मेरे लिए क्या है।
जब मैं छोटी थी, तब कोई भी खिलौना मेरे पास टिकता नहीं था।
पापा हमेशा कहते थे — 'तू पढ़ाई कर, ये सब बेकार है'…"

"और आज तुम्हारा बच्चा वो भालू पालेगा,
जो उसकी माँ के बचपन की अधूरी इच्छा को पूरा करेगा…"
आरव ने उसका हाथ थामा।


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5. एक शाम की चुप्पी – और भालू के हाथों में रखे सपने

नैना ने उस भालू को ध्यान से देखा।

"इसे हम क्या नाम दें?"

आरव: "कुछ ऐसा जो मासूमियत और भरोसे की तरह लगे…"

नैना: "‘मोती’। जैसे बचपन के किस्सों में होता था…"

"मोती – वो जो बच्चों की नींद की रखवाली करे…"


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6. बचपन की वापसी – आरव की अनसुनी कहानी

आरव मुस्कुराया, फिर धीमे से बोला:

"जब मैं छह साल का था,
तो एक बार मैंने मिट्टी से एक घोड़ा बनाया था।
स्कूल में सबने उसका मज़ाक उड़ाया…
टीचर ने कहा — ‘इसमें कला कहाँ है?’
तब से मैं कुछ बनाना छोड़ दिया था।"

नैना ने उसका चेहरा थामा:

"तुम्हारे हाथों में कला नहीं,
किसी का बचपन बसता है…"


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7. नैना की डायरी – जब भावनाएँ स्याही बन गईं

> "आज मेरे आँसुओं ने पहली बार किसी खिलौने को गीला किया।
क्या ये माँ बनने का हिस्सा है?
या मेरा खुद से जुड़ जाना?
आरव ने जो बनाया,
वो सिर्फ भालू नहीं था —
वो मेरा अधूरा बचपन था,
जो अब मेरे बच्चे की मुस्कान बनेगा।"




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8. रात की कहानी – ‘मोती’ की पहली लोरी

रात को नैना ने भालू को पेट पर रख दिया।

"सुनो मोती, अब तुम उसके दोस्त हो।
जब मैं सो जाऊँ…
तो उसे मेरी लोरी सुना देना।
उसे कहना —
माँ जाग तो जाएगी,
लेकिन तेरे लिए हर दिन सपनों की नर्म चादर बुनती है।"


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9. आरव की गोदी – और एक अधूरा lullaby

आरव ने नैना को देखा।

"तू जानती है… जब मैं छोटा था,
तो मेरी माँ मुझे लोरी नहीं सुनाती थी।
वो बहुत व्यस्त रहती थी…
लेकिन अब,
मैं अपने बच्चे के लिए हर रात एक नई लोरी बनाऊँगा।"

फिर वो गुनगुनाने लगा:

> "चाँद बोले, चल बेटा तू सो जा…
पापा तेरे लिए सपनों का दरवाज़ा खोल आया…
माँ तेरे लिए धड़कनों में दुआ बन गई…"




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10. सुबह की पहली धूप – और मोती की जगह बदलना

अगली सुबह, नैना ने देखा कि आरव झूले के पास खड़ा है।

उसने ‘मोती’ को उस झूले पर रख दिया।

"अब तेरा पहला पहरेदार तैनात है…"
उसने हौले से कहा।


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🔚 एपिसोड 16 समाप्त – जब पहला खिलौना मुस्कुराया