Chhaya Pyaar ki - 7 in Hindi Women Focused by NEELOMA books and stories PDF | छाया प्यार की - 7

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छाया प्यार की - 7

(नित्या के एमए में एडमिशन की खुशी पूरे घर में फैली हुई थी, वहीं छाया भी अब पढ़ाई को गंभीरता से लेने लगी थी। कॉलेज में एक दिन लाइब्रेरी में छाया और विशाल अनजाने में बंद हो जाते हैं। इस घटना से विशाल को गलतफहमी हो जाती है कि छाया ने यह सब जानबूझकर किया। जबकि छाया खुद भयभीत और परेशान थी। घर लौटते समय वह सोचती है कि उसकी छवि ऐसी क्यों बन गई है कि लोग उस पर विश्वास नहीं करते। दूसरी ओर विशाल बदले की भावना से भर जाता है। कहानी अब टकराव और आत्मसम्मान की दिशा में आगे बढ़ती है। अब आगे)

छाया रात आठ बजे तक गोपालन रेस्टोरेंट पहुँच गई। ट्रैफिक भयंकर था, लेकिन उसने माँ को पहले ही सूचित कर दिया था कि वह देर से पहुंचेगी। माँ ने उसे याद दिलाया कि आज का डिनर नित्या के प्रगति कॉलेज में एडमिशन की खुशी में रखा गया था। छाया यह बात पूरी तरह भूल चुकी थी।

घर रेस्टोरेंट से महज़ पाँच मिनट की दूरी पर था। छाया तेजी से घर पहुँची, नहाई, कपड़े बदले और पैदल ही रेस्टोरेंट की ओर चल पड़ी। रास्ते भर उसका मन बेचैन था—क्या वह सचमुच इतनी गलत लड़की है कि उसके बारे में लोग इतना गलत सोचें?

जैसे ही वह गोपालन रेस्टोरेंट पहुँची, उसका चेहरा अचानक खिल उठा। भीतर घुसी तो देखा कि पूरा परिवार, यहाँ तक कि काशी भी उसका इंतज़ार कर रही थी। नम्रता ढेर सारा खाना ऑर्डर कर चुकी थीं। जतिन के सामने बीयर और नम्रता के लिए चाय थी, बाकी सबके लिए कोल्ड ड्रिंक। सभी के चेहरे खुशी से दमक रहे थे।

छाया ने काशी से धीरे से पूछा कि वह घर जल्दी क्यों लौट गई थी, तो काशी ने आंखों से इशारा कर दिया कि सब ठीक है। छाया ने सोचा, "बात बाद में करेंगे।" फिर वह भी भूख में टूट पड़ी। भरपेट खाने के बाद सब पैदल ही घर लौटे।

रात में सब गहरी नींद में थे, सिवाय विशाल के। उसका मन बेचैन था। वह छाया से बात करना चाहता था, लेकिन उसे यकीन था कि वह नहीं सुनेगी। पहले भी उसने बहुत बार छाया को समझाया, लेकिन हर बार वह बात टाल देती। इस बार तो वह अपनी गलती मानने से भी मुकर गई थी। विशाल ने तय किया—अब सच्चाई सामने लानी ही होगी।

अगली सुबह विशाल कॉलेज के CCTV रूम पहुँचा। वह उसी बोर्ड की फुटेज देखना चाहता था, जहाँ उसके और छाया के फोटो लगे थे। रिकॉर्डिंग में उसने देखा—3-4 लड़के-लड़कियाँ फोटो चिपका रहे हैं, और "I love you Vishal" कोई और नहीं बल्कि टीना लिख रही थी।

विशाल स्तब्ध था। टीना—उसकी दोस्त—उसकी और छाया की छवि बिगाड़ने की कोशिश कर रही थी?

उसने लाइब्रेरी की फुटेज देखी, जहाँ दिखा कि छाया उससे बहुत पहले लाइब्रेरी में पहुँच चुकी थी और टीना ने बाहर से दरवाज़ा बंद कर दिया था। छाया दरवाज़ा पीटती रही, और टीना बाहर खड़ी खिलखिला रही थी। विशाल की आँखों में पछतावे के आँसू थे। वह जानता था—उसने बिना सच्चाई जाने छाया से कठोर शब्द कहे थे।

सीधे कार निकाली और खुराना हाउस जा पहुँचा। सिक्योरिटी गार्ड ने बिना पूछे गेट खोल दिया। घर के अंदर टीना के कमरे तक पहुँचते ही उसने उसकी बातें सुनीं—“अब पूरे कॉलेज को बता दूँगी कि छाया विशाल के साथ लाइब्रेरी में बंद थी... वो कभी सिर नहीं उठा पाएगी…”

विशाल ने उसका फोन छीन लिया—"अगर छाया के बारे में एक शब्द भी फैला तो तुम्हें कॉलेज से निकलवा दूँगा।" टीना हक्की-बक्की रह गई।

"क्यों किया ये सब?" विशाल ने ठंडे स्वर में पूछा। टीना कुछ न कह सकी। फिर धीरे से बोली—"क्योंकि मैं तुमसे प्यार करती हूँ…"

विशाल ने तीखा जवाब दिया—"एक लड़की होकर दूसरी लड़की की इज्ज़त उछाल रही हो। खुद को छाया से बेहतर मानती हो? सोचो, क्या तुम सचमुच बेहतर हो?"

वह बाहर निकल गया। उसके मन में टीना के लिए घृणा और छाया के लिए अपराधबोध भरा था।

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छाया की सुबह:

उधर, छाया ने संडे वेकेंसी में एक जॉब देखा—सिर्फ वीकेंड का काम, 3000 रुपये की सैलरी। उसने फौरन कॉल किया और इंटरव्यू देकर लौट आई। वह बहुत खुश थी—अब वह बस पास बनवाएगी और बाकी पैसे अपनी जरूरतों में लगाएगी।

लेकिन जब उसने घर में यह बात बताई, तो सब नाराज़ हो गए। केशव भड़क गया—"तेरी पढ़ाई छूट रही है और अब तुझे नौकरी सूझ रही है?" जतिन और पापा ने भी उसकी बात का समर्थन किया। छाया का मन भर आया। तभी नम्रता ने उसके सिर पर हाथ रखा और प्यार से पूछा—"नौकरी क्यों करना चाहती है?"

छाया ने शांति से कहा—"मन है।"

नम्रता ने जतिन से कहा—"छोटी अब बड़ी हो गई है। खुद के लिए खड़ा होना चाहती है। उसे करने दो।" केशव को गुस्सा तो आया, पर अचानक बोला—"अगले हफ्ते मैं छोड़कर आउंगा।" छाया दौड़कर भाई से लिपट गई।

रात को छाया ने विनय को "Sorry" का मैसेज किया और बताया कि उसने उसके सारे नोट्स पढ़ लिए हैं। विनय ने जवाब दिया—"Okay." इतना सुनकर छाया को सुकून मिला।

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अगले दिन कॉलेज:

सुबह छाया और काशी साथ बस स्टैंड पहुँचीं। रास्ते में काशी ने छेड़ा—"तू जॉब करेगी?" छाया मुस्कुरा दी। काशी बोली—"मैं भी करूंगी, शादी के लिए कुछ गहने खरीद लूंगी।" दोनों खिलखिलाकर हँस पड़ीं।

कॉलेज पहुँचे तो पता चला—चिराग सर की छुट्टी है। सब खुश। काशी ने कहा—"चल बास्केटबॉल खेल देखने चलते हैं।" फिर उसे याद आया कि ये तो विशाल का गेम है… छाया उदास न हो जाए?

छाया ने पढ़ लिया काशी का मन—"चलो मैडम, गेम देखते हैं।" वह खींचकर काशी को मैदान ले गई।

खेल के बीच विशाल ने छाया को देखा। पर वह नजरें चुराता रहा। छाया मुस्कराई और काशी से बोली—"अब मैं ठीक हूँ।" दोनों ने खेल देखा, फिर निकलने लगीं।

तभी आवाज आई—"छाया, बात करनी है। 10 मिनट मिल सकते हैं?"

ये आग्रह था।

काशी मुस्कराकर चली गई। छाया को आग्रह बास्केटबॉल ग्राउंड के पास बेंच तक ले गया, जहाँ टीना बैठी थी।

छाया ने घूरकर पूछा—"बोलो, क्या बात है?"

उसे नहीं पता था कि आग्रह और विशाल कुछ ही दूरी पर छिपे खड़े हैं... सब सुनने के लिए तैयार।

.....

1. क्या छाया जान पाएगी कि टीना ही उसकी बदनामी के पीछे है, या फिर विशाल की चुप्पी सब कुछ और बिगाड़ देगी?

2:क्या विशाल माफी मांगने की हिम्मत जुटा पाएगा या फिर पछतावे में सब कुछ खो देगा?

3:टीना का प्यार पागलपन बन चुका है—क्या वह चुप बैठेगी या अब छाया के खिलाफ कोई और चाल चलेगी?

जानने के लिए पढते रहिए  "छाया प्यार की?"