रात के भयानक तूफ़ान और लाल चाँद के कहर के बाद, एलारिया पर एक नई सुबह की किरण फूट रही थी। लिलीवुड के खंडहरों पर अब भी राख और धुएँ का गुबार छाया हुआ था, लेकिन जंगल में, जहाँ मौत का तांडव मचा था, वहाँ सूरज की पहली किरणें पेड़ों के पत्तों से छनकर ज़मीन पर पड़ रही थीं। इसी शांत, सुनहरी रौशनी में, एक झील के किनारे, जहाँ पानी की लहरें धीरे-धीरे किनारों से टकरा रही थीं, एक नग्न शरीर पड़ा हुआ था। यह शरीर मार्कस का था।
उसका शरीर अब पहले से कहीं ज़्यादा मज़बूत और गठीला लग रहा था, एक योद्धा के समान। वह एक छह फ़ीट का, सुडौल व्यक्ति था, जिसकी मांसपेशियाँ हर अंग में उभर कर दिख रही थीं। मार्कस धीरे-धीरे अपनी आँखें खोलता है। उसके सिर में एक हल्का दर्द था, जैसे उसे गहरी नींद से जगाया गया हो। पहली चीज़ जो उसे महसूस हुई, वह थी उसके शरीर पर कोई कपड़ा न होना, और पैरों के नीचे की ठंडी, गीली ज़मीन।
"मैं कहाँ हूँ?" मार्कस ने बुदबुदाया, उसकी आवाज़ हल्की और भ्रमित थी। उसने खुद को चारों ओर देखा। हरे-भरे पेड़, शांत झील का पानी, और सूरज की सुनहरी किरणें। यह लिलीवुड नहीं था, और न ही वह अँधेरी गुफा। उसे याद था कि वह गुफा में था, भेड़ियों से घिरा हुआ था, और... और फिर सब कुछ धुंधला हो गया था।
अचानक, एक भयानक याद बिजली की तरह उसके दिमाग़ में कौंधी। भेड़ियों ने उसे घेर लिया था। वे उस पर टूट पड़े थे। और उन्होंने उसका दिल खा लिया था! यह याद इतनी स्पष्ट थी कि मार्कस की साँसें तेज़ हो गईं। वह घबराकर अपने दिल की ओर देखता है। उसका दिल तेज़ी से धड़क रहा था, बिल्कुल सामान्य। कोई घाव नहीं था, कोई निशान नहीं था, जैसे कभी कुछ हुआ ही न हो। उसका शरीर एकदम सही लग रहा था, यहाँ तक कि पहले से भी बेहतर।
"यह कैसे मुमकिन है?" मार्कस ने अपने दिल पर हाथ रखते हुए सोचा। "मैं तो मर चुका था... मेरा दिल तो..."
वह भ्रमित था। उसकी याददाश्त में एक खालीपन था। गुफा में भेड़ियों के हमले के बाद क्या हुआ, उसे कुछ भी याद नहीं था। उसे बस इतना याद था कि वह लिलीवुड से भागा था, भेड़ियों ने उसका पीछा किया था, और फिर... अंधकार।
मार्कस धीरे-धीरे झील के किनारे खड़ा हुआ। पानी इतना साफ़ था कि वह उसमें अपना चेहरा देख सकता था। जैसे ही उसने पानी में अपनी परछाई देखी, वह हैरान रह गया। उसकी आँखें! वे अब गहरी भूरी नहीं थीं, बल्कि एक अजीब सी, चमकदार लालिमा उनमें भरी हुई थी। उसकी आँखों की पुतलियाँ हल्की पीली-सुनहरी थीं, जैसे रात के भेड़ियों की आँखें होती हैं। उसके मुँह पर, ऊपरी होंठ के पास, सूखे खून का एक गहरा निशान था।
"यह खून कहाँ से आया?" मार्कस ने अपने होंठों को छूते हुए सोचा। उसने खून को पोंछने की कोशिश की, लेकिन वह आसानी से नहीं हटा। यह किसी ताज़ा खून का निशान नहीं था, बल्कि ऐसा लग रहा था जैसे वह कई घंटों से वहाँ था। उसके दिमाग में एक असहज भावना जागृत हुई।
उसने खुद को फिर से देखा। उसका शरीर, जो पहले से कहीं ज़्यादा मज़बूत और गठीला था, और उसकी आँखें... वे अस्वाभाविक थीं। उसे लगा जैसे यह शरीर उसका अपना नहीं है, या फिर कुछ बहुत बड़ा बदल गया है। वह पूरी कोशिश करता है कि उसे याद आ जाए कि पिछले कुछ घंटों में क्या हुआ था। उसे याद है कि गुफा में भेड़ियों ने उसे घेर लिया था, और फिर एक गहरी, आदिम भूख की भावना... लेकिन वह भूख किसकी थी? क्या वह उसकी अपनी थी?
मार्कस ने अपनी मुट्ठियाँ भींच लीं। उसकी उंगलियाँ अब थोड़ी ज़्यादा लंबी और मज़बूत लग रही थीं। उसकी नसों में एक अजीब सी ऊर्जा दौड़ रही थी, एक ऐसा अहसास जो उसने पहले कभी महसूस नहीं किया था। यह शक्ति का अहसास था, एक अप्रत्याशित क्षमता का।
वह धीरे-धीरे जंगल में चलता है, अपनी याददाश्त के टुकड़ों को जोड़ने की कोशिश करता है। लिलीवुड की भयानक घटना, वैम्पायरों का हमला, अपने परिवार को खोने का दर्द, और बदले की आग... ये सब उसे स्पष्ट रूप से याद था। लेकिन उसके बाद क्या हुआ? भेड़ियों का हमला, गुफा में क्या हुआ, और उसका यह नया, बदला हुआ शरीर... इन सब के बीच एक खालीपन था।
उसने अपने चारों ओर देखा। जंगल पहले से ज़्यादा जीवंत लग रहा था। उसे पेड़ों की हर पत्ती की आवाज़, दूर जानवरों की साँसें, और मिट्टी में दबे कीड़ों की हरकत भी महसूस हो रही थी। उसकी इंद्रियाँ बहुत ज़्यादा तेज़ हो चुकी थीं। उसकी सुनने की शक्ति, सूँघने की शक्ति—सब कुछ कई गुना बढ़ गया था। वह हवा में एक अजीब सी गंध महसूस कर रहा था, जो वैम्पायरों की गंध थी, लेकिन अब यह और भी ज़्यादा तीखी और स्पष्ट थी। उसे पता था कि वैम्पायर कहाँ थे।
मार्कस को एहसास हुआ कि वह अब वो मार्कस नहीं रहा था। कुछ बदल गया था, कुछ बहुत गहरा। उसका शरीर, उसकी इंद्रियाँ, और उसकी आँखें। वह अब पहले से कहीं ज़्यादा मज़बूत था, लेकिन उसे इस बदलाव का कारण नहीं पता था। उसके मन में एक अजीब सा डर भी था, क्योंकि यह बदलाव उसकी मर्ज़ी के बिना हुआ था। क्या यह एक अभिशाप था, या कोई वरदान?
वह झील के किनारे से दूर जंगल में चला गया, अपने बदले हुए शरीर और अपनी खोई हुई यादों के साथ। उसे यह भी याद नहीं था कि वह लिलीवुड से इतनी दूर कैसे आया। उसके मन में कई सवाल थे, जिनके जवाब उसे खोजने थे: उसे क्या हुआ था? वह कौन सी शक्ति थी जो उसके अंदर जागृत हुई थी? और सबसे महत्वपूर्ण, क्या वह अपनी बदले की प्रतिज्ञा पूरी कर पाएगा, जबकि वह खुद ही इतना बदल गया था?
मार्कस को एहसास हुआ कि उसकी यात्रा अब और भी जटिल हो गई थी। उसे न केवल वैम्पायरों से बदला लेना था, बल्कि उसे खुद को भी समझना था। वह अब सिर्फ़ एक आम इंसान नहीं था; वह कुछ और बन चुका था, कुछ शक्तिशाली, लेकिन रहस्यमय। और उसके मुँह पर लगा वह खून का निशान... उसे बार-बार परेशान कर रहा था। वह किसका खून था? क्या उसने... क्या उसने किसी को नुकसान पहुँचाया था? यह विचार उसे बेचैन कर रहा था।
जैसे-जैसे मार्कस जंगल में और गहराई में चला गया, सूरज की किरणें और तेज़ होती गईं, लेकिन उसके दिल में अँधेरा और गहरा होता गया। वह अब एक ऐसे रास्ते पर चल रहा था जहाँ उसे न केवल अपने दुश्मनों का सामना करना था, बल्कि अपने भीतर के नए, भयानक रूप का भी सामना करना था। यह उसके पुनर्जन्म का प्रभात था, एक ऐसा प्रभात जो एलारिया के इतिहास में हमेशा के लिए दर्ज होने वाला था।
मार्कस अपनी इस नई पहचान और शक्ति के साथ क्या करेगा? क्या वह अपनी खोई हुई यादें वापस पा पाएगा?