"2 दिन चांदनी, 100 दिन काली रात"
का अगला धड़कन बढ़ाने वाला चैप्टर —
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> "कभी प्यार में घंटी बजती है, कभी मौत में। फर्क बस इतना है — एक दिल को छूती है, दूसरा रूह को चीरती है..."
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📍Scene: सुबह 3:33 AM – Jaipur का वो ही कमरा
शेखर का पूरा शरीर पसीने से भीगा हुआ था। मोबाइल की स्क्रीन पर अब भी वही मैसेज चमक रहा था:
> "Main andar hoon Shekhar... Pyaar karoge ya darroge?"
उसने झट से स्क्रीन ऑफ की, लेकिन मोबाइल अपने-आप vibrate करता रहा।
फिर — कॉल आया।
📲 Incoming Call: Chandni ❤️
रिंगटोन नहीं, बस एक धीमी सी हँसी... जो फोन के स्पीकर से नहीं, अंदर से आ रही थी।
शेखर ने कॉल काट दी।
"Shut up! You're dead!"
उसने जोर से चिल्लाया।
लेकिन तभी —
फोन खुद उठ गया।
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⏳ Flashback – जब वो कभी कॉल नहीं उठाती थी
शेखर और चांदनी के प्यार के शुरुआती दिन थे।
वो बहुत फनी, बोल्ड और unpredictable थी। लेकिन एक बात हमेशा अजीब लगती थी — वो कभी कॉल नहीं उठाती थी।
एक बार शेखर ने गुस्से में पूछ लिया था —
“तू कॉल क्यों नहीं उठाती? छुपा रही है कुछ?”
चांदनी मुस्कराई थी —
“मैं उठाऊँगी तो तू डर जाएगा…”
"डर? मैं? क्यों?"
"क्योंकि मेरी आवाज़ में कोई और भी बोलता है, जो तू नहीं जानता।"
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📼 एक रात की कॉल
एक बार रात के 2:44 पर शेखर ने मज़ाक में कॉल कर दिया।
फोन उठा —
लेकिन चांदनी ने कुछ नहीं कहा।
बस साँसे थीं। भारी, तेज़, और बीच-बीच में... कुछ चबाने की आवाज़।
शेखर ने कहा,
“Hello? Chandni? बोल ना पगली!”
आवाज़ आई —
“पगली नहीं… पिशाचिनी।”
Click. Call Cut.
सुबह चांदनी बोली —
"फोन तो मेरा था… पर उठाया किसी और ने।"
शेखर ने हँसते हुए कहा —
"बकवास मत कर, तू acting queen है!"
लेकिन उस रात के बाद से, हर रात उसका फोन खुद से बजता था — बिना किसी कॉल के।
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💀 वापस वर्तमान में – 3:44 AM
फोन फिर से अपने-आप ऑन हुआ।
अब WhatsApp ऑटो ओपन हुआ — और चांदनी का नंबर ऑनलाइन दिखा।
और नीचे लिखा था:
Chandni ❤️ is recording an audio…
शेखर कांप गया।
देवा रूम में नहीं था — शायद रात को मम्मी से बात करने चला गया था।
अचानक —
फोन से एक रिकॉर्डिंग बजने लगी, खुद-ब-खुद:
> "तू जब कॉल करता था, मैं नहीं उठाती थी...
क्योंकि मेरी रूह किसी और की थी, शरीर किसी और का।
अब तू मुझे पुकारेगा...
और उठाएगी सिर्फ मौत।"
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📱📞 घंटी — इस बार जोर से
शेखर ने डरते हुए कॉल रिसीव किया।
"ह... हैलो?"
“शेखर…”
"तू कौन है?"
“तू तो कहता था मुझसे प्यार करता है… अब पूछ रहा है मैं कौन हूं?”
"तु... तू चांदनी नहीं है..."
“मैं ही तो हूं...
पर अब सिर्फ शरीर नहीं... अब सिर्फ इश्क़ नहीं... अब सिर्फ हँसी नहीं...
अब मैं तेरी रातों की काली रानी हूं।"
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🧠 Flashback: Love + Lust
शेखर की यादों में एक और पल घूम गया —
एक रात, जब दोनों उसके फ्लैट पर अकेले थे।
बारिश हो रही थी। लाइट चली गई थी।
चांदनी ने मोमबत्ती जलाई — और झुककर बोली:
"अगर तू मुझे सच में चाहता है, तो मेरा हर रूप कबूल कर।"
"तेरा मतलब? Make-up के बिना?"
शेखर हँसा।
"नहीं...
मौत के बाद भी।"
और उस रात उन्होंने सब हदें पार कीं —
जिसमें प्यार था, पागलपन था... और एक अजीब-सी गंध, जो कभी न गई।
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😨 एक अनकहा राज़
शेखर को याद आया — चांदनी ने कभी रात 3:00 बजे के बाद कॉल नहीं किया था।
ना कॉल उठाती, ना मैसेज करती।
एक बार उसने पूछा —
"तू डरती है क्या रात से?"
चांदनी बोली थी —
"नहीं, मैं खुद रात हूं।"
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🎭 Funny-Horror Moment
अचानक खिड़की से एक बिल्ली कूद गई कमरे में।
शेखर ने चिल्लाकर चप्पल फेंकी — और वो सीधा मोबाइल पर गिर गई।
फोन फिर से ऑन हो गया — और स्क्रीन पर आया एक गेम:
"कौन है भूत? Tap to Reveal."
शेखर ने टच किया — और फोटो खुली…
देवा की।
"अबे!"
शेखर ने सीधा कॉल लगाया देवा को।
📲 Call failed.
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📚 Chapter End Sequence
शेखर लैपटॉप उठाकर चांदनी की पुरानी रिकॉर्डिंग फिर से सुनने लगा —
लेकिन इस बार उसमें कुछ और एडिट था।
> “शेखर,
अगर तू सच में मुझे चाहता है,
तो इस बार मुझे कॉल मत करना…
बस झील के किनारे आ जाना।
वहीं से सब शुरू हुआ था,
वहीं से सब ख़त्म भी होगा।”
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🔚 अंतिम लाइन:
> "कभी जो कॉल नहीं उठती थी, अब वो हर वक्त बजे जा रही थी —
क्योंकि अब प्यार में नेटवर्क नहीं,
सिर्फ आत्मा की रेंज बची थी।"