Taam Zinda Hai - 10 in Hindi Detective stories by Neeraj Sharma books and stories PDF | टाम ज़िंदा हैं - 10

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टाम ज़िंदा हैं - 10

टाम ज़िंदा है --------- 10 वा धारावाहिक

------------ पिता चुप था, उसका पुत्र उसके सामने उसे ही घूर रहा था। पिता स्नेह मे था... एक प्यार मे था, एक हल्की मुस्कान मे था... पुत्र के लिए पिता सब कर सकता है, बस पुत्र को पता हो... वो कया कर रहा है। ज़ब पुत्र को पता ही नहीं होगा तो पिता का करना फिजूल हुआ, जनाब ------ समझो, समझने के लिए यहां कायदे की जरूरत नहीं... भावकता चाहिए, बस भावक्ता  और कुछ नहीं।

                 आज पिता त्रिपाठी आपने बेटे को देख रहा था, जो दो मिनट भी चुप नहीं बैठता था... आज आधे घंटे से भी जयादा  हो गया था, वो खमोश था, आँखो मे खालीपन था, कयो हुआ था ऐसा.... क्या कसूर था इसका..." तेजा त्रिपाठी।"

                        सिर के वाल एक दम से उसतरे से साफ किये गए थे.... अब तक भी ऐसा ही था। वाल जैसे आएगे ही नहीं, वक़्त याद रहेगा... त्रिपाठी ने भरी आँखो से एक प्यार भरा चूबन लिया था माथे पर... आँखो के आंसू रुक ही नहीं रहे थे। वो जल्दी से निकल गया.... मोटरसाइकिल पर...

एक मिनट मे बम्बे मे कया हो जाये कोई नहीं जानता।

वो अभी पहुँचा ही था, तभी ---------

हेडक्वाटर से घंटी वजी ----- मोबाइल की।

" चाची चंपा के कोठे पे आग लगी है, जनाब plz फायर बिर्गेड भेजे। " आलतू फालतू फोन जिसकी तुक बंदी कोई नहीं थी, त्रिपाठी ने कुछ नहीं कहा। फोन काट दिया।

इतनी गुंडा गर्दी तौबा तौबा ------

त्रिपाठी कब का पुलिस स्टेशन मे पहुंच चुका था, तभी भवानी सिंह भी आ गया।

" गिरे आंसू जनाब, हमें न पता लगे। "

"----हाँ बहुत रोयेया हूं... सच्ची मे "

भावनी एक दम चुप सा कर गया। कुछ खाया भी है या नहीं।

"ऑडर किये दो आमलेट दो काफ़ी " फोन पर भावनी ने थाने मे ही " मोटू शॉप से "

" मेरी बात धयान से सुन, शुरू कर शरू से, फिर तेरा यार मुद्दा निकालेगा " भवानी ने जोर देकर कहा।

त्रिपाठी ने शुरू से शरू किया ही था, फोन की घंटी वज उठी, मोबाइल की.....

भवानी ने कहा "--रुको। "अभी नहीं "

भवानी के फोन पर हेडक्वाटर से मैसेज था ----" पूजा और रंजीत पकड़े गए है, जल्द आओ। "

त्रिपाठी चुप था। दोनों ने आमलेट खाया... काफ़ी भी पी।

फिर भवानी ने कहा ----" चलो अब नये केस की ग़ुथी सुलजाते है "

दोनों निकल पड़े। जीप मे, बम्बे पुलिस -----------

"पूजा ----- रंजीत ----" भवानी ने उच्ची आवाज़ मे कहा।

"इनकी नाम चेज की कितनी एडटी है ---"

"आप के पास कोई प्रूफ ----"

पूजा बोली ---- " नहीं सर --- हमारे पास कोई एडनटी नहीं है "

भवानी ने पूछा " आज तक कितने क्राइम किये कयो किये। "

भवानी को देख कर हाफ टॉप ऊपर को करते हुए उसने कहा.... " सर, टीवी प्रोग्राम कराये... सब उसी मे बताये तो कैसा लगे। "

"लो कर लो बात " रुक कर रंजीत बोला ----" हर्ज ही कया है, जो भी पूछोगे सच्ची मे बतायेगे। " भावनी ने सिर पकड़ लिया... "मुजरम भी ऐसे है त्रिपाठी, कया करे इनका "त्रिपाठी ने हका बका सा देखा।

"अदालत मे भेजे गे, फिर बाहर..." भावनी रुक कर बोला, " सोच रहा हूं इनकटर कर दें। "

----" हम गिड़गिड़आएंगे... सोच रहे हो... " पूजा ने तेश मे कहा।

"नहीं ऐसा नहीं करोगे.... चलो ठीक है ----- "

रिवाल्वर निकाला.... लॉक खोला.... गोलिए चेक की... छे थी एक दम से जान लेने वाली।

"एक गोली तेरे पैर पर मारु... तो 56 घंटे तेरे पास होंगे मरने को " भवानी ने वैसा ही किया।

पूजा एक दम से चिलाई... चीखी... गोली आग की तरा उसके पैर से निकल कर फर्श मे घुस गयी।

"नहीं.... नहीं .... नहीं    ------" रंजीत तड़फ़ पड़ा। ऐसा मत करना।

दूसरे ही पल।

डॉ शेखर ने वही उसके पैर का इलाज किया, बेहोशी का टीका लगा दिया। " अब या 5 घंटे बेहोश पक्का ही रहेगी.. हाँ हो सकता है पहले भी होश आ जाये। "

रंजीत चितक था ----" बताता हूं सर "

उसके भी हलका  बेहोशी का टीका  लगा दिया, अगर बोल पड़ा, तो सब कुछ बोलेगा... नहीं तो नहीं.....

चुप ----- एक सनाटा... एक खमोशी थी वहा पे।

पानी की बाल्टी से ठंडा पानी उसके मुँह पे पड़ा, वो एक दम चीखा...." किडनेप किस को किया "

उसने आगे कहा " किडनेप चार को किया, डेटा मिलेगा ज्योति से सर... "

"फिर भी कौन थे वो शक्श "

दो तो 10 से 15 साल के थे, दो बड़े थे.... उसमे एक हसन था, जिसको टुकड़े कर कर कुत्ते को खिला दिए... फिर वो चुप हो गया।

भवानी ने त्रिपाठी से कहा... चुप होकर बाते सुनना... नहीं तो कोई कुछ नहीं बोलेगा.. उसको एक कप काफ़ी का मंगवा कर दिया। " पियो "

फिर से सनाटा।

(चलदा)--------------------* नीरज शर्मा *