Taam Zinda Hai - 8 in Hindi Detective stories by Neeraj Sharma books and stories PDF | टाम ज़िंदा हैं - 8

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टाम ज़िंदा हैं - 8

टाम ज़िंदा है -------(8)

                                            रिपोर्ट होने के बाद, त्रिपाठी ने कहा ---" काटे चूबे गे ज़ब, हम याद आये, तो याद करना। " ज्योति ने अनसुना सा कर दिया।

रिपोर्ट मे लिखा था, मुंशी जी ने, कया लिखा था। दो पुलिस कर्मी मेरे भाई को उठा कर पता नहीं कहा ले गए।

इसमें त्रिपाठी और एक पुलिस कर्मी था।

जांच शरू हुई।

त्रिपाठी जी उस वक़्त दो दिन की छट्टी पर थे... साथ वाला कर्मी कोई नहीं था... कोई दौरे रिजस्टर पर कुछ भी उस तारीख का दर्ज नहीं था... क्लियर चिट थी मेहकमे की और से।

गुमसुदगी की रिपोर्ट पर अमल किया गया।

चार दिन बाद एक जिन्दा लाश मिली थी सागर के किनारे पर। लोगों की भीड़ मे  पुलिस कर्मी ने इतला की।

हॉस्पिटल मे एक दिन बाद --------

त्रिपाठी जांच करने के लिए आया " ज्योति जी मिसबम आप का भाई कोई गहरी दुश्मनी। "

"ये मिसबम ही बता सकता है !" ज्योति का जबाब था।

डॉ ब्रिज भूषण ने कहा, " जनाब, माफ़ करे हमें, हम इनका इलाज कर रहे है --- " रुक कर डॉ ने कहा " ये कभी बोल नहीं सकेगा। "

"कयो --- कैसे " एक हैरत भरी कसक थी त्रिपाठी की आवाज मे।

दोनों और से एक हादसा माफिक चुप थी।

त्रिपाठी ने कहा " यही हाल मेरे बच्चे का, यही हाल इनके भाई का... कौन है ये इतनी दर्द देने वाला... " त्रिपाठी एक तरा से रोने ही लगा था... पीछे से  एक कास्टबेल ने कहा.. " सर वोह पुलिस वर्दी मे थे.. चेहरे ढक्के हुए.. ये cctv की पिचर है सर " तीन फोटो देखी थी... त्रिपाठी ने,

केस से नथी कर दिया था, वो पिचर को।

जाने पर त्रिपाठी ने कहा था डॉ से " कब तक  होश आएगा। "

"शायद 12 घंटे मे। " डॉ ब्रिज भूषण ने कहा था।

जाने लगे त्रिपाठी तो ज्योति ने एक दम से कहा " त्रिपाठी जी, अगर कुछ भी आप जानना चाहते है, तो कल आप  तरवेणी मंदिर मे मुझे कल मिल सकते है। और मेरा परसनल नबर आप लिख ले। "

"शुक्रिया ज्योति जी " कह कर त्रिपाठी सीढिया उतर गया।

ज्योति भाई की जिंदा लाश के करीब बैठ आखें भर रही थी। उस रूम मे डॉ, त्रिपाठी के, सवा एक फर्श की सफाई करने वाला बदशक्ल सा उच्चा लम्बा आदमी ओर भी था।

अब कया होने वाला था... कोई नहीं जानता था।

                          रात को एक खासी खून वाली से मिसबम खत्म हो चूका था।

पुलिस के लिए जांच जरुरी बन गयी ----" किस की  ड्यूटी थी.. Cctv कमरे खंगाले गए। "

डॉ ने कहा ---" पोटैसिम मार्का की दवाई कैसे चढ़ गयी.. ज़ब कोई  यहाँ है नहीं था... " डॉ ने हैरत से नर्स से पूछा।

डॉ साहब मै मरीज के पास थी। पर उस वक़त कुछ हो गया हो, ज़ब मै बाथरूम गयी थी.... "

"पर  कौन कर सकता है ----" डॉ का सीधा ही जवाब था।

एक एक कैमरा बड़े कठन रहस्य का सबूत बना हुआ था... पर ये 12 वजे से 12:30 बंद कैसे हो गए। डॉ ब्रिज भूषण सोच रहा था। " त्रिपाठी जी आधा घंटा बंद हो गए कैमरे " फिर डॉ चुप तोड़ कर बोला ---" इससे तो पब्लिक हॉस्पिटल मे कोई नहीं आएगा.... पत्रकार छोड़ेगे नहीं। " त्रिपाठी ने कहा --"ये बात मेरे और आपके बीच ही हो " ---"गुड मिस्टर " डॉ जैसे चुप शून्य हो गया...." सोचे त्रिपाठी ने कहा " डॉ ज़ब पहले जो बात हुई थी वार्ड मे उनको पेश करो..." बात हुई ज़ब उन लोगों के सिवा कोई नहीं था। "

तभी सुई उल्टी घूम गयी।

डॉ, मिसबम, फर्श साफ करने वाला डरावना चेहरा और ज्योति।

तभी पता चला ------

फर्श साफ करने वाले का नाम बलदेव सिंह था। जो चार दिन से मुड़ के हॉस्पिटल मे नहीं दिखा।

केस हल हो चूका था।

अख़बार मे खबर छप गयी.....

मिसबम की मौत का कारण बलदेव सिंह था। उसको पता नहीं धरती खा गयी या आसमान।

तफतीश जारी थी।

(चलदा )------------------नीरज शर्मा