reason for nervousness in Hindi Magazine by vinay mistry books and stories PDF | खोमोश थी मै

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खोमोश थी मै

खोमोश थी मै 

 जब ये एहसास हुआ था पहली बार डर सी गई थी मे जब खुद से भाग रही थी मे।  अनजान थी शायद या नहीं भी पर मेरी रूह मुजसे चिल्ला कर कह रही थी तू कुछ ओर है शायद । इस सामाजिक व्यवस्था से परे केसे हुई मै  । कहू भी तो केसे कहूं मेरे जेहन मै क्या छुपा है। बताऊं भी तो किस तरह ये सोच कर ही इतने खामोश सी हो जाते हू के खुदकी धड़कन सुनाए देने लगती है। बचपन याद आता है। तब सब सही लगता था पर आज हकीकत कुछ और निकली एक गुनेहगार सा मेहसूस होने लगा है । काश मै यूह ना होती जिसे बताने पर लोग मुजे अलग नजर से देखे ।     मेरी गलती क्या है । मै अकेली तो ऐसी नहीं हूं। ना ये कोई देशद्रोहियों वाली हरकत हे ! तो नहीं पर लोगो के मन मै मेरा वही स्थान है । कुछ लोग पाप कहते है । तो कुछ लोग हस्ते हे । और मै हसू या रो दू समझ है नहीं पाती मै कहा जाकर किसी सवाल करू ! मे ऐसी क्यू हूं।  घरवालों को नहीं बता सकती ना दोस्तो को , पता नहीं मे ऐसी क्यू हूं।    हर वक्त खामोश रेहती हूं। कहा हस्ना होता हे कहा रोना ये भी तय नहीं कर पाती । क्यू की मेरी रूह कहीं और जुड़ी है। मे एक लड़की हूं और मुझे एक लड़की से ही प्यार हे । दुख की बात नहीं क्यू की उसे भी मुजसे उतना ही लगाव है और प्यार ,      जमाने से छुप कर कहीं  कुछ सासे साथ मे ले लिया करते हे । डरते हे पर छुप कर ही सही जीना नहीं छोड़ते । हस्ते हस्ते रो देते हे। पर रोने के बाद की हसी की बात ही कुछ और होती हे। जिसमें हमारा छोटा सा जीवन बसा होता है। कहा जाए और की से माफी मांगे - हम ऐसे क्यू है - दुनिया केसे देखती है हमें उस से  फर्क नही पड़ता मेरी जान मुजे केसे देखती है बस अब उस से है फर्क पड़ने लगा है ।  

 कभी भीड़ का फायदा उठा लेते है हम ,हाथ थामकर कुछ देर साथ चल लेते हे  ।  पता नहीं वक्त कब बदल जाए यही डर हर वक्त मेरे जहन मे रेहता हे। एकदुसरे के घर बेवजह रुक जाया करते है। कोई शक नहीं करता क्यू की हम दोनों लड़कीया  तो है। टूट कर पहले रो लेते है ।  के आगे क्या होंगा हमारा। ये पलभर का साथ ही सही जब हालात ने साथ दिया जी भरके जियी है हम । दुनिया की ऐसी की तैसी प्यार किसी से भी हो सकता है बात एहसास की हे हमने सिर्फ तई कीया ओर चुना है जहा सही लगा वही हम बिखरे है।  वहीं हम टूट कर रोए है। और टूट कर एकदुसरे मे खोए भी है।   

पता नहीं ये साथ कब कोई समजेगा ये एहसास को कब कोई एक सी नजर से देखेगा । अरे जाने दो कहा कुछ मांगा है हम ऐसे  ही खुश है । जब तक शायद आप सब रेहने दे । 

- विनय मिस्त्री