Avtaar - 8 in Hindi Horror Stories by puja books and stories PDF | अवतार...... एक उनसुझा रहस्य.... - 8

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अवतार...... एक उनसुझा रहस्य.... - 8

वहीं अब चंद्रा को दक्ष का नाम बार-बार सुनाई दे रहा था और उसके कानो में गूंज रहा था 
और चंद्रा सोचने लगी कि दक्ष उसको  डराने की कोशिश करने लग रहा है तभी भानुमति अपने बेटे को ऐसा करते हुए देखकर उसको खींचकर एक तरफ लेकर जाती है

बड़ी रानी ने चंद्रा की तरफ हैरानी  से देखते हुए कहती है की महारानी माफ कर दीजिएगा वह लड़का पागल है उसे जाने अनजाने में गलती हो गई है

चंद्रा उनकी तरफ चुप रहने का इशारा करती है और फिर कहती है कि दक्ष पर नजर रखो
उधर भानुमति और दक्ष दोनों अपनी कुर्सियों पर जाकर बैठ जाते हैं
कुछ ही देर में प्रतियोगिता शुरू होने वाली थी
और हर किसी को इंतजार था कि इस कंपटीशन में किसकी जीत होगी 
इस बार भगवान जी किस पर मेहरबान होंगे और कौन इस पवित्र ताबीज को जीत पाएगा तभी कंपटीशन शुरू करने का ऐलान कर दिया जाता है
कुल नौ तरह की प्रतियोगिताएं इस प्रतियोगिता में शामिल होती हैं जिसमें भला,तलवारz स्टार 
पवित्र ताबीज की भी नौ दिशाएं थी उनमें से पहले चार तो सामान्य नायक होते हैं और शेष बच्चे 5 पंचभुत की ऊर्जाओं से संबंधित प्रतीक होते हैं और बहुत ही कम लोगों को पांच पंचभूतों की शक्तियां मिलती हैं 
सारे के सारे मुकाबला बेहद ही करीब थे और सब लोगों की नजर सिर्फ दक्ष पर थी
दक्ष जैसे ही तलवार उठाता है तो भानुमति की तो जैसे जान ही सूख जाती है दूसरी और राजकुमार देवदत्त एक मुस्कान देता है और अपने मन में सोचने लगा
ऐसा लग रहा है कि इस यहां पर सिर्फ तीन ही प्रतियोगी है और आज शायद काम बन जाएगा
और रही दक्ष बात तो आज इसका आखिरी दिन है आज ही इसको मैं खत्म कर दूंगा
बड़ी रानी और महारानी चंद्रा दोनों ही बड़े आश्चर्य से देख रही थी और प्रतियोगिता शुरू हो चुकी थी 
और तलवारबाजी हो रही थी उसको लोग बहुत ही आश्चर्य से देख रहे थे दक्ष की ऐसी अद्भुत तलवारबाजी देखकर लोग बहुत ही ज्यादा हैरान थे 
दक्ष ने बड़ी ही आसानी से तलवारबाजी को जीत लिया था और लोगों को यकीन नहीं हो रहा था कि दक्ष तलवारबाजी जीत जाएगा
उसकी लड़ाई जीत देखकर सभी लोग चुप हो गए
भानुमति के लिए तो यह किसी जादू से काम नहीं था और उसकी आंखों से खुशी क्या आंसू निकलने लगे थे भानुमति ने उन सभी लोगों पर तंज कसते हुए कहा कि मेरा बेटा जीत गया है जो लोग कहते थे ना कि वह नहीं जीत सकता देखो आज मेरा बेटा जीत गया और सभी लोग उसको ध्यान से देख लीजिए मेरा ही बेटा है वह 

भानुमति को इतना खुश होकर देखते हुए दक्ष की आंखें भर आती है और वह मोहर लेने के लिए इष्ट देवता के अग्नि कुंड के पास गए 
अब हर कोई इस चिंता में पड़ गया था क्योंकि प्रतियोगिता जीतना ही एकमात्र पड़ाव नहीं था सिर्फ प्रतियोगिता जी तना ही मायने नहीं रखता बल्कि प्रतियोगिता जीतने के बाद पवित्र ताबीज का मिलना भी जरूरी होता है कई लोगों को प्रतियोगिता जीतने के बाद भी पवित्र ताबीज नहीं मिलता था उस ताबीज को पाने के लिए ईमानदारी से प्रतियोगिता में हिस्सा लेना और उसको जितना जरूरी होता था और इसीलिए वहां पर हर कोई सोच रहा था कि दक्ष को पवित्र ताबीज नहीं मिलेगा दक्ष तो कमजोर था सबको यह लग रहा था कि यदि दक्ष ने प्रतियोगिता जीती हैं तो उसने कुछ ना कुछ गलत किया है चल से उसने प्रतियोगिता को जीता है 
और इसी कारण वह इस पवित्र ताबीज का योग्य हकदार नहीं है हर कोई यही बात सोच रहा था
देवदूत ने और बड़ी रानी ने भी यही सोचा और दक्ष की तरफ देखा है 

तभी दक्ष की सौतेली मां शिवांगी ने बड़ी रानी से कहा जीस वैध ने उसे दूसरे दिन देखा था उसने मुझे यही कहा था कि वह 1 घंटे में मर जाएगा लेकिन मैं तो देख रही हूं कि वह तलवारबाजी में जीत गया मुझे तो यह समझ ही नहीं आ रहा है कहीं बात जीने कोई गलती तो नहीं करती या फिर भानुमति ने कोई चाल चली है कुछ भी समझ नहीं आ रहा है जो इतने साल से नहीं हुआ वह आज हो गया नहीं अब भी यह होने की संभावना नहीं है देखते हैं क्या होता है

बड़ी रानी यह बात बोलती है लेकिन चंद्रा उनकी बात सुनने की स्थिति में नहीं होती है
जो प्रतियोगिता के विजेता थे वह  अग्नि कुंड के पास जाते हुए इस देवता के समक्ष कर जाकर खड़े हो जाते तभी जब अग्निकुंड प्रज्वलित हो रहा था वहां से अग्नि निकलती है और आकाश की तरफ जा रही है
जिसने भी उस आग को देखा वह डर गया लेकिन वहां पर दक्ष एक ऐसा था जो निडर बनकर वहां पर खड़ा हुआ था
चंद्रा वहां पर होने वाली छोटी-छोटी चीजों पर भी बहुत ही बारीकी से नजर रख रही थी 
और सभी लोग वहां पर दिलचस्पी से देख रहे होते हैं क्योंकि सभी लोग यही सोच रहे होते हैं कि दक्ष को वह पवित्र ताबीज नहीं मिलेगा
कुछ देर के लिए अग्निकुंड से आग निकलती है और फिर वह वापस से अग्नि कुंड में चली जाती हैं 
जिसने भी यह देखा वह हैरान रह गए क्योंकि आग में कभी भी कोई उतार चढ़ाव नहीं होता था
जब चंद्रा अग्नि कुंड के पास खड़ी हुई थी तो आग की लफ्ट आसमान में उठी थी और जैसे ही दक्ष अग्नि कुंड के पास आया तो वहीं आग के लपटे वापस अग्नि कुंड में चली गई 

यह क्या हो रहा है क्या यह संकेत अच्छा है या बुरा है हर कोई यह सब सो रहा था तभी आकाशवाणी में बिजली चमकी और आसमान से एक रोशनी तेज आती है और दक्ष के शरीर को छूकर चली जाती हैं और श्री चक्र ने अपना रास्ता बदला और दक्ष को छूकर चला गया उस रोशनी की आवाज सुनकर सभी की आंखें बंद हो गई और कोई भी नहीं देख पाया कि तभी वह सारी शक्तियां दक्ष के शरीर के अंदर प्रवेश कर जाती हैं और शरीर के अंदर प्रवेश करने के बाद वह रोशन गायब हो जाती भानुमति दक्ष के पास दौड़ते हुए जाती है 
आप ठीक तो है ना दक्ष आपको सम्मान के पवित्र ताबीज मिली तो है ना

दक्ष जब अपने हाथ पर वह पवित्र ताबीज और निशान देखा तो उसके होठों पर मुस्कान आ गई लेकिन उसने वह मुस्कान किसी और के सामने जाहिर नहीं होने दी 
वह चुपचाप दो कदम पीछे हट गया और खड़ा हो गया

तभी भानुमति राजपुरोहित से पूछती है क्या हुआ राजपुरोहित जी
वह मुझे समझ नहीं आ रहा कि मैं कैसे कहूं राजपुरोहित घबराते हुए कहता है 

आपके पास जो भी जवाब है आप बेझिझक बताइए भानुमति राजपुरोहित से पूछती है
तभी राजपुरोहित कुछ कहने को होते हैं तो बड़ी रानी कहती है जो इतने साल से नहीं आया वह अब भी नहीं आएगा और इतना कहकर बड़ी रानी हंस देती है