Inteqam - 2 in Hindi Love Stories by Mamta Meena books and stories PDF | इंतेक़ाम - भाग 2

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इंतेक़ाम - भाग 2

निशा अपने मां पिता की इकलौती संतान थी उसके जन्म के बाद ही उसकी मां का देहांत हो गया था,

निशा की मां के देहांत के हो जाने से  उसकी दादी उसे मनहूस मानती थी वही निशा के ननिहाल वालों ने तो  उसकी मां की मौत के बाद रिश्ता ही तोड़ लिया था लेकिन निशा के पापा निशा से बहुत प्यार करते थे,

निशा की मां की मौत के बाद उसके पापा टूट चुके थे उसके जीने की चाह ही खत्म हो चुकी थी लेकिन जब भी वह अपनी मासूम सी फूल सी बेटी निशा को देखते तो उसकी खुशी में अपने जीने की चाह दूड़ते,

निशा के पापा तीन भाई थे एक निशा के पापा से बड़े निशा के ताऊ एक निशा के पापा से छोटे निशा के चाचा निशा के ताऊ के दो बेटे थे और निशा के चाचा के दो बेटे और एक बेटी थी,

निशा की दादी उसके चाचा ताऊ के बच्चों से बहुत प्यार करती थी लेकिन निशा को मनहूस कहती और कहती की मनहूस जन्म लेते ही अपनी मां को खा गई और अब मेरे बेटे की जिंदगी में मनुनिसित फैला रखी है,
क्योंकि निशा के पापा से कई बार कहने पर भी निशा के पापा ने दूसरी शादी से साफ इनकार कर दिया क्योंकि वह नहीं चाहते थे कि निशा की सौतेली मां आकर उसके साथ कोई बुरा बर्ताव करें,

जब निशा की दादी बार-बार निशा के पापा से दूसरी शादी के बारे में कहती तो निशा के पापा मना कर देते और सोचते कि घरवाले तो पहले ही मेरी बेटी को इतना दर्द देते हैं अगर उसकी सौतेली मां भी उसके साथ ऐसा करेगी तो मेरी बेटी का क्या होगा,,,,,,

सभी घरवाले निशा के साथ बहुत बुरा बर्ताव करते थे उसे खरी खोटी सुनाते लेकिन निशा बिचारी अपने पापा से कुछ नहीं कहती और चुपचाप सब कुछ सहन करती,

  निशा के पापा चाहते थे कि वह अपनी बेटी को ज्यादा से ज्यादा खुशी दे वह उसकी हर ख्वाहिश पूरी करने की कोशिश करते जिससे वह निशा को मां और पापा किसी से प्यार की कमी भी महसूस नहीं होने देना चाहती थे,

निशा भी अपने पापा की खुशी के खातिर उसे कुछ भी नहीं कहती लेकिन निशा के ना कहने पर भी उसके पापा सब कुछ अच्छे से जानते और समझते थे,

कभी-कभी निशा के पापा सोचते कि मैं अपनी बेटी को लेकर यहां से बहुत दूर चला जाए जिससे मेरी बेटी पर कोई आंच ना आए लेकिन फिर वह सोचते कि बिन मां की बच्ची अकेले कहां रहेगी, अगर मैं काम पर चला गया तो पीछे से मेरी बेटी का ध्यान कोन रखेगा यह सोच कर दुखी हो जाते फिर सोचते कि चाहे जैसा भी है लेकिन है तो मेरा परिवार और मेरी बेटी यहां सुरक्षित है,,,,,

निशा के चाचा ताऊ के बच्चे उसके साथ बहुत बुरा बर्ताव करते, निशा के ताऊ के दोनों बेटे की शादी हो चुकी थी निशा की भाभी भी निशा के साथ बुरा बर्ताव करती थी यहां तक कि उस पर उल्टे सीधे इल्जाम लगा देती,

निशा के चाचा की लड़की भी उस से जलती थी  उसके जलने का एक कारण निशा की बेइंतेहा खुभसूरती थी, निशा देखने में किसी अप्सरा से कम नहीं थी जैसे-जैसे हैं बड़ी होती जा रही थी उसके रूप में और भी निखार आता जा रहा है,

निशा की खूबसूरती के सारे गांव के लड़के दीवाने थे निशा अगर कहीं जाती तो लोगों की नजर उस पर रुक जाती निशा बिल्कुल सादगी रहती, लेकिन फिर भी वह किसी अप्सरा से कम नहीं लगती,

गांव के लड़के कई उससे अपने प्यार का इजहार भी कर चुके थे लेकिन निशा इन सब पर कोई ध्यान नहीं देती,

निशा की चाची की लड़की  यह सब कुछ देख कर जल भूल जाती क्योंकि वह काफी बन ठन कर रहती लेकिन कोई लड़का उसकी तरफ दोस्ती करने की वजाह देखना भी पसंद नहीं करता,

यह सोच कर देख कर निम्मी तिलमिला उटती और सोचती ऐसा क्या है इस निशा में जो सब इसके दीवाने हैं वह अपना सारा गुस्सा निशा पर उतारती,

निम्मी निशा से 2 साल बड़ी थी जब भी निम्मी के लिए कोई रिश्ता आता तो लड़के वाले निशा को देखकर निम्मी से रिश्ता करने की वजह रिश्ता से निशा से रिश्ता करने के बारे में कहते,

यह देखकर सभी घरवाले बहुत दुखी हो जाते और निशा को काफी उल्टी-सीधी सुनाते  निम्मी तो कभी-कभी गुस्से में निशा पर हाथ भी उठा देती लेकिन निशा सब कुछ सहन करती वह कभी भी अपने पापा को कुछ नहीं बताती,

निशा के पापा चाहते थे कि निशा पढ़ लिखकर उसका नाम रोशन करें वह चाहते थे कि उसकी बेटी अपने पैरों पर खड़ी हो जाए,

निशा पढ़ने में काफी तेज थी स्कूल में भी वह सब की प्रिय थी,

कभी-कभी निशा के पापा निशा को समझाते कि बेटा अगर तुम पढ़ लिखकर अपने पैरों पर खड़ी हो जाओगी तो मेरे दिल को सुकून मिलेगा मैं नहीं चाहता बेटा यहां जितना दर्द तुमने सहन किया है उतना तुम अपनी ससुराल में भी सहन करो मैं नहीं चाहता कि तुम किसी पर भी आश्रित रहो,,,,

तब निशा हमेशा मुस्कुराते हुए कहती पापा आप ही तो कहते हो कि मैं आपकी राजकुमारी हूं और मुझे कोई राजकुमार लेने आएगा और कोई बड़ा सा महल घराना मुझे मिलेगा तो फिर मुझे क्या तकलीफ होगी यह कह कर निशा हंस पड़ती,  उसके पापा उसकी मासूमियत देखकर प्यार से उसका गाल थपथपा देते,

निशा के पापा की तबीयत अब ज्यादातर खराब ही रहती थी वह अक्सर बीमार रहते निशा अपने पापा की जी जान से देखभाल करती थी, लेकिन निशा के पापा को यह चिंता सताए जा रही थी कि अगर कहीं उसे कुछ हो गया तो उसकी बेटी का क्या होगा,,,,

एक दिन उसने अपनी बेटी को अपने पास बुलाया और कहा बेटा मुझे लगता है कि मैं ज्यादा दिन नहीं जी पाऊंगा,,,,

यह सुनकर निशा रोते हुए बोली प्लीज पापा आप ऐसा मत बोलो,,,,

तब निशा के पापा बोले बेटा मेरी इच्छा थी कि तुझे शादी के जोड़े में अपने हाथों से विदा करु लेकिन बेटा शायद अब मैं यह सब कुछ नहीं कर सकुगा मैं चाहता हूं बेटा कि तुम हमेशा खुश रहो मेरे जाने के बाद तुम किसी के दबाव में आकर अपनी जिंदगी का फैसला मत लेना हमेशा अपने दिल की सुनना बेटा मैं हमेशा तुम्हें सुखी देखना चाहता हूं,,,,,
यह कहकर निशा के पापा की आंखों में आंसू छलक पड़े तो निशा रोते हुए अपने पापा के गले लग गई, 

आखिर में होनी को कौन टाल सकता है 1 दिन निशा के पापा निशा को छोड़कर हमेशा के लिए भगवान जी के पास चले गए,

उसके जाने के बाद निशा बिल्कुल अकेली हो गई वह टूट सी गई थी लेकिन उसे संभालने वाला कोई नहीं था, उसकी दादी तो  उसे और भी ज्यादा मनहूस मानने लगी थी,

उसके पापा की कमाई से प्यार करने वाले जो लोग थोड़ी बहुत उसे सहानुभूति जताते थे उन्होंने भी निशा से किनारा कर लिया,

1 दिन निशा के चाचा ताऊ ने धोखे से निशा के हिस्से की प्रॉपर्टी पर निशा के साइन करवा लिए क्योंकि अब कानून के हिसाब से निशा वालिग थी वह पूरे 18 साल की हो चुकी थी,

प्रॉपर्टी हड़पने के बाद निशा के चाचा ताऊ  सभी घरवालों का बर्ताव निशा के प्रति और भी बुरा हो गया वे लोग उसे बहुत तकलीफ देते निशा बिचारी सब कुछ सहन करती उसकी स्थिति अब बहुत दयनीय हो गई थी,

उसके ताऊ के लड़कों की पत्नी और उसकी चाची की लड़की निम्मी उसे फटे पुराने कपड़े पहनने को देती लेकिन उन कपड़ों में भी निशा किसी अप्सरा से कम नहीं लगती,

एक दिन जब निम्मी के लिए रिश्ता आया तो लड़के वालों ने निम्मी की जगह निशा को पसंद किया तो सभी घरवाले बहुत गुस्सा हो गए और तब उन लोगों ने निशा को घर से बाहर निकाल दिया,

निशा काफी रोई गिरगड़ाई लेकिन उन लोगों ने उसकी एक न सुनी निशा इस उम्मीद से घर के बाहर बैठ गई कि शायद उसके घर वालों का जब गुस्सा शांत हो जाएगा तब वे लोग उसे घर के अंदर बुला लेंगे,

निशा को घर के बाहर बैठे हुए देखकर गांव के लड़कों का झुंड जमा हो गया, कोई निशा को अपनी जीवनसंगिनी बनाना चाहता था तो कोई  कहता मेरे साथ चलो ऐस करोगी इन लोगों के साथ क्यों रहती हो,

लेकिन निशा सब सुनकर भी उन सब की बातों को अनसुना कर रही थी क्योंकि उन्हें उन सबकी आंखों में हवस दिखाई दे रही थी,

तभी एक बड़ी सी गाड़ी आकर रुकी उनमें से एक रोविले व्यक्तित्व की औरत बाहर निकली,,,,,

अगर आप सभी को मेरी यह रचना  पसंद आई हो तो अपनी समीक्षा जरूर दें और अगर कुछ कमी महसूस हो तो अपने कीमती सुझाव देना ना भूलें जिससे मैं आगे इसमें सुधार कर सकूं आप सब का दिल से धन्यवाद 🙏🙏🙏🙏