भाग 7: जनता का ऐसा हीरो, जो दिलों पर करता था राज़!
जौहरी की दुकान की उस झमेलेदार घटना के बाद टिमडेबिट ऐसे ग़ायब हो गया, जैसे गधे के सिर से सींग। वह जानता था कि पुलिस उसे ऐसे ढूंढ रही होगी, जैसे भूखी कुतिया हड्डी ढूंढती है। लेकिन नैना के उस धोखे ने उसे अंदर से ऐसे हिलाकर रख दिया था, जैसे भूकंप आ गया हो। अब उसमें वह डरपोक चोर नहीं रहा था, बल्कि उसके मन में एक ऐसा गुस्सा था, जैसे ज्वालामुखी फूटने को तैयार हो, लेकिन उससे भी ज़्यादा एक ऐसी इच्छा थी, जैसे किसी प्यासे को पानी की - बदलाव लाने की!
अपने छिपने के दौरान, टिमडेबिट ने ग़रीबों और ज़रूरतमंदों की ज़िंदगी को ऐसे करीब से देखा, जैसे कोई डॉक्टर मरीज़ को देखता है। उसने महसूस किया कि छोटी-छोटी चीज़ों की कमी भी उनके लिए कितनी बड़ी परेशानी का सबब बनती है, जैसे किसी भूखे के लिए एक रोटी भी ख़ज़ाना होती है। तभी उसके दिमाग में एक ऐसा नया विचार कौंधा, जैसे अँधेरे में बिजली चमक जाए - क्यों न अपनी 'छोटी चोरी' की आदत को एक ऐसे अच्छे काम में बदला जाए, जिससे सबका भला हो?
जब हालात थोड़े ऐसे शांत हुए, जैसे तूफ़ान के बाद की शांति, तो टिमडेबिट फिर से ऐसे बाहर निकला, जैसे रात का उल्लू शिकार पर निकलता है, लेकिन इस बार उसका तरीका ऐसा अलग था, जैसे दिन और रात में फर्क होता है। वह रात के अँधेरे में ऐसे जाता और उन लोगों के लिए छोटी-छोटी ज़रूरी चीज़ें 'चोरी' करता जिनकी उन्हें सच में ज़रूरत होती थी - जैसे एक बूढ़ी औरत के लिए दवा, एक ग़रीब बच्चे के लिए किताबें, या किसी बेघर के लिए कंबल। वह कभी ऐसे पकड़ा नहीं गया, जैसे हवा को कोई नहीं पकड़ सकता, क्योंकि वह बहुत ऐसे सावधानी से काम करता था, जैसे कोई माहिर खिलाड़ी चाल चलता है, और कभी किसी को रत्ती भर भी नुकसान नहीं पहुँचाता था।
धीरे-धीरे, लोगों में ऐसी चर्चा फैलने लगी, जैसे जंगल में आग फैलती है, कि शहर में कोई 'रहस्यमय मददगार' है जो रात में ऐसे आता है, जैसे कोई फ़रिश्ता और उनकी ज़रूरत की चीज़ें ऐसे छोड़ जाता है, जैसे कोई जादूगर कुछ प्रकट कर दे। टिमडेबिट गुमनाम रहकर लोगों की ऐसे मदद करता रहा, जैसे कोई परोपकारी छिपकर दान करता है, और वह धीरे-धीरे 'बरेली का रॉबिनहुड' के नाम से ऐसा मशहूर होने लगा, जैसे कोई हीरो अपनी बहादुरी के लिए।
भाग के अंत में रहस्य: क्या टिमडेबिट की यह नई पहचान ज़्यादा दिन तक ऐसे छिपी रह पाएगी, जैसे अँधेरे में जुगनू? क्या पुलिस उस तक ऐसे पहुँच जाएगी, जैसे शिकारी अपने शिकार तक? और क्या उसकी यह 'मदद' उसे किसी ऐसी बड़ी मुसीबत में डालेगी, जैसे कोई खुद ही अपने लिए कुआँ खोद ले? जानने के लिए अगले भाग का इंतज़ार कीजिए, अगर आपकी किस्मत में रोमांच का तड़का लगा है तो!
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अगला एपिसोड लिख रहा हूं दोस्तों ठीक है
तब तक इंतजार करने की जहमत करें
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