Khel Khel me - Jaadui - 5 in Hindi Moral Stories by Kaushik Dave books and stories PDF | खेल खेल में - जादूई - भाग 5

Featured Books
  • માલિક

    માલિક- રાકેશ ઠક્કર          રાજકુમાર રાવનો ગેંગસ્ટર તરીકેનો...

  • બેદરકારી

    આપણા રાજ્યનું એક નાનકડું ગામ. આ ગામ ખૂબ સારો વિકાસ પામેલું હ...

  • વેદના

                 એક સામાન્ય પુરુષ. જેનું નામ ધીરુભાઈ. એક સામાન્ય...

  • પ્રેમની પસંદગી

    પ્રેમની પસંદગીએક શાંત, નાનકડું ગામ હતું, જ્યાં લીલાછમ વૃક્ષો...

  • મોજીસ્તાન - સીરીઝ 2 - ભાગ 28

    બાબાએ ડોકટરનો મેસેજ જોયો. ડોકટરે કલાક પછી ફોન કરવાનું લખ્યું...

Categories
Share

खेल खेल में - जादूई - भाग 5

"खेल खेल में - जादूई "
(पार्ट -५)

जादूई जंगल में शुभ को बच्ची स्नेहा मिलती है।वह अपनी मां के पास ले जाती है।उसे शुभ पहचान जाता है और जंगल से बाहर निकलने के लिए बातें करता है।

 चलो साथ मिलकर इस जादुई जंगल में से निकलने के लिए उपाय खोजते हैं।

 बेबी स्नेहा झोपड़ी से बाहर आती है जहां वह देखती है कि उसकी मम्मी शुभ से बातें करती है।
 
स्नेहा:-"क्या कोई समझौता हुआ या नहीं .. घर में मम्मी बेचारी अकेली रहती है।। मुझे प्यास लगी है और घर में पानी नहीं है।। मम्मी जल्दी से पानी भरकर लाए।

 शुभ:-"अच्छा बेबी, मैं पानी लेकर आता हूं । तुम्हारी माँ थक जाएगी। सारा दिन काम करती है। मेरी प्यारी गुड़िया रानी।"

 शुबांगी:-"नहीं, नहीं, आप थक जाएंगे। आप कितनी दूर से आए हैं। थोड़ा आराम कर लिजिए। उम्र का ख्याल करना। थोड़ी देर के लिए स्नेहा के साथ खेलें। कब से आपको ढूंढ रही थी। आप से जो ज्यादा लगाव है।आप चले गये थे तो मेरे और स्नेहा के साथ क्या हुआ होगा?"

 स्नेहा:-"चलो ... अब तुम दोनों सचमुच प्यार करते हो। ऐसे ही रहना। अगर तुम प्यार के साथ रहते हो .. माँ मुझे प्यास लगी है .. जल्दी जाओ .."

 इस प्रकार शुभांगी एक छोटा बर्तन लेकर जाती है।  पास में एक कुआं था और पानी से भरा हुआ। कुएं से पानी भरने में समस्या नहीं थी।

 दूसरी तरफ स्नेहा शुभ के पास आती है।
 बोलते हुए:-"पिताजी, माँ पानी भरने गई है।आपको उसकी कद्र करनी चाहिए।आप  माँ के पास जाओ और मम्मी को ख़ुश करने के लिए एक अच्छा गीत गाए।तुम्हें मौका दे रही हूं।। मैं आपके साथ आती हूँ।"

 ठीक है ..

 शुभ और स्नेहा कुएं के पास जाते हैं।
 
शुभ शुभांगी को पानी भरते हुए गुजराती गीत गाता है 

'તને જાતા જોઈ પનઘટની વાટે
મારૂ મન મોહી ગયુ,

તારા રૂપાળા ગોરા ગોરા ઘાટે,
મારૂ મન મોહી ગયુ,'
 
 स्नेहा बहुत खुश हो जाती है।
 स्नेहा माँ के पास जाती है।
 बोलते हुए: "माँ  देखो पिताजी ने एक अच्छा गाना गाया .. अब गागर को सिर पर रखो और गाने में जवाब दो। देखो मैं तुम दोनों का खेल देखना चाहती हूं।आपको कितना प्यार करते हैं .. आप की सराहना करते हैं .. अन्यथा पिताजी निराश हो जाएंगे।"

 शुभांगी सोचती है .. यह बच्ची नाराज़ हो जाएगी।  
खेल दोनों को इकट्ठा करने के लिए .. वैसे तो यह युवक अच्छा है और  अब मुझे प्यार करने लगा है .. बच्चे को खुश करना है। मेरे मन में भी शुभ के लिए कुछ गाने का दिल आ गया है।

 शुबंगी गाती है:-
 कान कांकरी ना मारो रे 
नवी नक्कोर छे मटकी 

स्नेहा बोलती है...वाह माँ ने अच्छा जवाब दिया।

 तभी जोरों की हंसी सुनाई दी।
  तीनों दिखते हैं, 
तो एक जादूगरनी दिखाई दी।


चलो चलो मेरे साथ चलो। ऐसा बोलकर जादूगरनी शुभ के पास आती है।
और बोलती है 
कितना सुंदर दिखता है। मैं इसे लेने के लिए आई हूं। मुझे यह इन्सान पसंद आ गया है।

 शुभांगी ने विरोध करने की कोशिश की लेकिन नाकामी मिलीं।

 जादूगरनी बोली 
मैं इस जंगल की जादूगरनी रानी हूं। इस जंगल में जो भी है वह मेरा है।और जो चीज मुझे पसंद आयेगी वो मेरी हो जाएगी।.. यदि आप इससे छुड़ाना चाहते हो तो मेरे पास  आ जाना। पास में एक गुफा है वहां रहती हूं।और मेरी शर्तों पर इसे ले जाएं। आप दोनों ने खेल खेल में खेल खेला और १३ नंबर पर आये और मेरे जाल में फंसे।आप जब १०० नंबर पर आओगे तभी जीत सकोगे और उसके लिए इस इन्सान को मेरे पास से छुड़ाओगे तभी मूल रूप में आ सकते हो। यही तो मेरा खेल है।
 इस प्रकार, बोलकर जादूगरनी शुभ को ले गई।
( क्या शुभ और शुभांगी जादूगरनी की चाल से बच जाएंगे। स्नेहा क्या करने वाली है?)
-कौशिक दवे