महात्मा बलदेव दास हनुमान साठिका 2
पुनः हनुमान अष्टपदी
कोटिन सुमेरु से विशाल महावीर वपु कोटिन तड़ित तेजपुंज पट लाल है।
कोटिन दिनेश दर्प मर्दन वदन दिव्य पिगंदृग जागे ज्वाल भृकुटी कराल है ॥
कोटिन कुलिश चूर करन रदन जाहि, वज्र भुज-दंड उर लाल मणिमाल है।
ललित लंगूर बलदेव दुःख दूर करें, दीनन दयालु रूप दुष्टन को काल है ॥११॥
लाल मणि मंडित मुकुट लाल कुंडल है लाल मुख मंडल सिन्दूर लाल भाल है।
लोचन विशाल लाल, मानो प्रलय काल ज्वाल लाल भुज पंजा नखस्पेटा लाल लाल है ।।
ललित लंगोट गोट ललित लंगूर कोट लाल जंघ मोट पद शत्रुन को शाल है।
सोई लाल मूरति को ध्यावे बलदेव बाल दीनन दयालु रूप दुष्टन को काल है ॥१२॥
बदन विशाल जाके गाल ही में बाल रवि नैना लाल लाल बड़वानल की ज्वाल है।
भौंहे विकराल के विलाश से प्रभाव नाश भुजन के मध्य अर्ध्द उर्ध्व दिगपाल है ।।
जाके गरे सारे ब्रह्माण्डन के माल परे जाके फाल बीच सर्व गगन पताल है।
सोई लाल मूरति को ध्यावे बलदेव बाल दीनन दयालु रूप दुष्टन को काल है ॥१३॥
बालापन बाल रवि लील्यो जानि लाल फल बालि को बधाय बन्धु कियो कपिपाल हैं।
सुरसा को मद गारि, सिंहिका को उद्र फारि दुस्तर समुद्र को जो कीन्हो एक फाल है ॥
लंकिनी पछारि, वाटिका उजारि, अच्छ मारि लङ्क जारि, प्रभु को सुनायो सिय हाल है।
सोई लाल मूरति को ध्यावें बलदेव बाल दीनन दयालु रूप दुष्टन को काल है ॥१४॥
बाँधत पयोधि सेतु भूधर बहत लखि बज्र नख राम नाम लिख्यो ततकाल है।
ताहि के प्रभाव सिन्धु भयो थिर सेतु बन्ध कटक विशाल युत उतरे कृपाल है ॥
मानि हनुमान मत ठहरे सुबेल शैल घेरे लङ्क द्वार युद्ध कीन्हो विकराल है।
सोई लाल मूरति को ध्यावै बलदेव बाल दीनन दयालु रूप दुष्टन को काल है ॥१५॥
लखन के छाती बीच मार् यो मेघनाद शक्ति जान्यो हनुमान भयो राघव विहाल है।
लायो तब बेगि ऐन संयुत सुखैन वैद्य औषधि बतायो गिरि धवल विशाल है ॥
उत्राखण्ड जात कालनेमि को पछार् यो मग भूधर उपार् यो कै उड्यो जो उताल है।
सोई लाल मूरति को ध्यावे बलदेव बाल दीनन दयालु रूप दुष्टन को काल है ॥१६
आनि के सजीवन जो लखण को राख्यो प्राण मार यो अहिरावण को पैठि के पताल है।
जीवन कुशल वेगि लायो दुहुँ भाइन को जानकी मिलायो भये राघव निहाल है ॥
जेहि की सहायता ते अवध में राजे राम बाजे व्योम बाजे गुण गाये दिगपाल है।
सोई लाल मूरति को ध्यावे बलदेव बाल दीनन दयालु रूप दुष्टन को काल है ॥१७॥
जाको नाम लीन्हे, ताल दीन्हे, फट स्वाहा कहे काँपै भूत प्रेत यक्ष राक्षस बेताल है।
देवी देव दानव पिशाच न सहत आँच भागे ठौर छोड़ि यम काल मृत्यु-व्याल है ।।
राम-सीय प्यारो औ प्रभञ्जन दुलारो धीर वीर पीर-भञ्जन को अंजनी को लाल है।
सोई लाल मूरति को ध्यावै बलदेव बाल दीनन दयालु रूप दुष्टन को काल है ॥१८॥
भारत में पारथ के रथ-केतु बैठिवे को वीर वन-कदली से आतुर उड़ानो है।
काँप्यो मारतण्ड ब्रह्माण्ड न सहत तेज जबे नभ मंडल में चण्ड मेड़रानो है ॥
बाल रवि कोटिन से लाल छवि छाजै अंग कोटि मृगराज से घटा से घहरानो है।
चौंकि उठे योद्धा सर्व छूटि परै अस्त्र शस्त्र धीर बलदेव सो ध्वजा पै ठहरानो है ॥१९॥
सवैया
मेरु प्रभा तनु विज्जु प्रभा पट, कोटि प्रभाकर से मुखभ्राजै ।
वज्र भुजा नख तेज दिपै यक कन्ध गदा यक में ध्वज राजै ॥
लाल लंगूर लसै नभ लौं मंडरात चलै कटि किंकिणि बाजै ।
जो बजरंग को ध्यान धरै बलदेव कहै क्षण में डर भाजै ॥२०॥
शीश लसै मणि कंचन क्रीट सुभाल में द्वादश रेख बिराजै।
कानन कुण्डल कुंचित केश चढ़ी भृकुटी दृग पिंगल छाजै ॥
बाहु विजायठ माल हिये सियराम को रूप सजै जन काजै ।
जो बजरंग को ध्यान धरै बलदेव कहै क्षण में डर भाजै ॥२१॥
॥ हनुमान चौपदी ॥
कुन्दन ललाम क्रीट कुण्डल तिलक दिव्य बाँकी भौंह पिंग दृग तेज भरपूर है।
बाल रवि लालिमा लजावन कपोल लाल लाल चारु चिबुक जो कीन्हों वज्रचूर है ।
वज्र मुस्त, वज्र रद, वज्र उर, वज्र भुज वज्र नख, वज्र तन लसत सिन्दूर है।
ललित लंगूर से लपेटि दले क्रूरन को शूरन में शूर महावीर मशहूर है ॥२२॥
हाजिर हुजूर सदा राम से न दूर होत जगत सुजस जासु जगत जहूर है।
कोटि मृगराजहू से गाजहू से गाज सुनि भाजे यमराज भव सिन्धु परै क्रूर है ॥
जाके नाम लीन्हे बिष अमृत, नरक स्वर्ग आगी होत पानी और पानी होत धूर है।
ललित लंगूर से लपेटि दलै क्रूरन को शूरन में शूर महावीर मशहूर है ॥२३॥
जाको नाम संकट मोचन, सोच-मोचन है फन्द रिन मोचन, दरिद्र तम सूर है।
द्रुत वन्दी मोचन, पिशाच प्रेत मोचन है पाप शाप मोचन, त्रिताप करै दूर है ।।
काल - भय मोचन, कराल भव मोचन है दुर्जन-दलन, जन जीवन को मूर है।
ललित लंगूर से लपेटि दलै झूरन (दुष्ट) को शूरन में शूर महावीर मशहूर है ॥२४॥