Rebirth of my Innocent Wife - 4 in Hindi Fiction Stories by Rani prajapati books and stories PDF | Rebirth of my Innocent Wife - 4 - ईशानी तुम कहाँ गायब थी इतने दिन

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Rebirth of my Innocent Wife - 4 - ईशानी तुम कहाँ गायब थी इतने दिन

पीयूष चलकर एक रूम में आया उसने दरवाजा ठकताया।

ठक ठक ठक।

दरवाजे क अंदर से आवाज आई । 

वो एक  गंभीर आवाज थी जो पियूष को  अंदर आने को बोल रहा था।

पीयूष ने अपना सर झुकाते हुए अंदर गया और सामने बैठे शख्स को देखकर बोला हुकुम सा उस लड़की को होश आ गया है और उसका नाम इशानि मेहरा है वो यही मेहरा परिवार की बड़ी बेटी है।

पीयूष की बात सुन उस आदमी ने अपना सर उठाया और अपनी गहरी आंखों से पियूष को देखते हुए कहा ठीक है तब उसे उसके घर भेज दो उसका यहां कोई काम नहीं है कहते हुए वो आदमी दोबारा अपनी किताबों म मैं डूब गया । 

उस आदमी का व्यक्तित्व बहुत गंभीर था ।  

उस आदमी का रंग गोरा था चेहरा हल्का लंबा लेकिन बहुत ही नुकीले नैन नक्श का था।

उसके आंखों में गंभीरता थी वही होठों पर हल्की सी मुस्कान उसके आसपास का औरा काफी ज्यादा भयंकर था।

उसके सामने कोई भी आ जाए तो उसे डरा कर  रख दे।

ये आदमी था राजस्थान का चित्तौड़गढ़ का होने वाला भावी महाराज अजीत सिंह।

अजीत को अभी महाराज की गद्दी नही मिली थी ।

फिलहाल वो हुकुम सा के पोस्ट पर था।

 हुकुम शाह के ऊपर आता है महाराज का पोस्ट । 

अजीत  अपना एक इंडिविजुअल बिजनेस भी चलता था जिससे लोग अनजान थे।

अजीत काफी हैंडसम था जिस वजह से उसके आगे पीछे लड़कियां किसी मधुमखियो कि तरह मंडराती थी।

लेकिन अजीत लड़कियों से हमेशा दूर रहा करता था।

अजीत की बात सुन पीयूष ने अपना सर हाँ मै हिलाया और वो वापस मालती के रूम मै चला गया जहां ईशानी इस वक्त आराम कर रह थी । 

ईशानी वॉशरूम से बाहर आई ।

उसने इस वक्त पूरा अपने बालों का जुड़ा कर रखा था । 

उसने अपना गाउन भी चेंज कर लिया था और पहले वाले कपड़े पहन लिए थे।

पियूष इशानि को देख को बोला हुकुम सा का आदेश ही कि मै आपको आपके घर छोड़ आओ।

अजीत की बात सुन कर इशानि   मुस्कुराते हुए  अपना सर हाँ मै हिलाती ही और फिर अपनि मिठी आवाज मै केहती है।

थैंक यू मेरी जान बचाने के लिए ।

अगर आप दोनों नहीं होते तो पता नहीं मैं अभी कौन से कोने में फीकी हुई होती।

खैर अब मैं चलती हूं।

मुझे घर जाकर बहुत से काम निपटाना कहते हुए ईशानी वहां से बाहर जाने लगी तो अभी पियूष उसके पीछे-पीछे आने लगा।

पियूष को अपने पीछे आते हुए देख ईशानी मुस्कुराते हुए बोली डॉक्टर साहब आप हमारे पीछे कहां आ रहे है ।

जिस पर पीयूष बोला हुकुम सा का आदेश है हम आपको आपके घर तक छोड़कर आए । 

कहीं पता चला कि आप फिर से दुर्घटना का शिकार हो गई तो फिर हमारे हुकुम सा थोड़ी ना रहेंगे आपको बचाने के लिए । 

केहते हुए पियूष मजाक मै ही हसने लगा। 



 लेकिन पीयूष की इस मजाक पर इशानि को बिल्कुल हंसी नहीं आई।

और वह गंभीर होते हुए बोली आपके कहने का क्या मतलब है डॉक्टर साहब्।

मैं चलाती हुई लोगों की गाड़ियों से टकराते रहती हूं  क्या कहते हुए ईशानी आकर चली गई । 

इशानी का उखाड़ लहर सुन पियूष अपने मन मे  बोल क्या लड़की है एहसान फरमाइश कहीं क की एक तो हेल्प की  ऊपर से अगर थोड़ा सा मजाक कर दो तो मुंह बन जात  है।

यही सब सोचते हुए पियूष गाड़ी तक आ चुका था इशानी का आगे वालि  वाली सीट में बैठ जाती है।

और वाही पियूष ड्राइवर वाली सीट में बैठ जाता है और कार आगे निकल जाती है। 

ईशानी इस बात से आजाद थी की खिड़की पर अजीत इशानी को जाता हुआ देखा था । 

जिस की वक्त ईशानी कार के पास आई थी उसी वक्त अजीत खिड़की पर आया था उसने इशानी का चेहरा तो नहीं देखा लेकिन उसकी पीठ जरूर देखी 

 उसके लंबे बाल से जुड़े में बंधे हुए थे उसकी गर्दन पर जो तिल था अजीत की नजर उसी तिल पर थी । 

लेकिन जब इशानि कार मै बैठ गयी तो अजीत ने अपनी नजर हटा दी । 

अजीत अपने बुक को हाथ में लेते हुए कार को दूर जाते हुए देख रहा था।

के देर बाद एक घर के सामने पीयूष कार रोकता है । 

ईशानी कार से उतरते हुए पियूष से केहती है थैंक यू शुक्रिया हमें हमें यहां तक छोड़ने के लिए । 

अब हम आपसे बाद में मिलते हैं कहते हैं वह ईशानी अपने घर की तरफ चल गई।

वहीं पियूष भी उसे छोड़कर अपने महल वापस चला गया।

ईशानी घर के बाहर खड़ी होकर उस बड़े से घर को  देख रही थी।

 4 साल बाद वो इस घर में आई थी उसे अभी भी याद था 4 साल पहले ही उसने इस घर को  कैसे छोड़ा था । 

ईशानी ने गहरी सांस लेते हुए खुद से कहा थैंक गॉड मुझे एक और चांस मिल गया वरना पता नहीं कब मैं अपनी मम्मी पापा को देख पाती । 

उनसे नजरे मिला पाती।

पिछले जन्म मै कभी इतनी हिम्मत  ही नहीं होती थी की मै घर वापस आ कर माँ पापा से अपने किये की मांग पाओ।

लेकिन अब अब समय बदल चुका है कहते हुए ईशानी ने एक लंबी सांस लेती और घर का डोर बेल बजती है।

एक नौकरानी ने दरवाजा खोला ।

इशानी को देखकर उसकी आंखें बड़ी हो गई है वो ईशानी को देख कर बोली ईशानी मैंम साहब आप आप इतने दिनों से कहां थी आपको पता है साहब और मालकिन कितने दिनों से परेशान  थे।

वो आपको ढूंढ ढूंढ कर । 

जिस पर ईशानी मुस्कुराते हुए लता से बोलि।

ओ लता तुम भी ना मेरा एक्सीडेंट हो गया तो मैं भर्ती थी कहते हुए वो अंदर आने लगी । 

तो लता जोर से चिलाते हुए बोली क्या कहा आपका एक्सीडेंट हो गया था।

लता को चिलाता हुआ देख इशानि  उसके मुंह पर हाथ रखते हुए बोलि।

अरे मेरी मां चिल्ला क्यों रह ही।

बस एक्सीडेंट हुआ था छोटा सा दिख रहा है ना अब शांत हो जा।

मैं जा रही हूं मम्मी पापा के रूम में केहते हुए ईशानी भागते हुए अपने मम्मी पापा के रूम मै चली गये।

इशानि रूम मै आती है माँ बाबा कहते हुए ईशानी झट से अपनी मम्मी पापा के गले लग जाती है।

पहले तो आरती जी और सुरेश जी हैरान हो जाते है लेकिन इशानी को देख उन्हे खुशी भि होती है  

ईशानी की मां  ईशानी के चेहरे पर हाथ रखते हुए केहती जय इशानि मेरी बच्ची कहाँ थी तू इतने दिनों से तुझे पता है न तु एक दीन नही दिखती तो हमारी जान सुख जाती ही और तू तीन दिन से गायब ही, कहाँ थी।

 अपनी मां को अपनि इतनी फिकर करता देख और उनका प्यार महसूस करते हर   ईशानी की आंखें नम हो गई थी।

 ईशानी इमोशनल होते हुए अपनी मां के गले लगाते हुए बोली  माँ आप मुझसे कितना प्यार करती हो  ना।

आप को पता है मैं भी आपसे बहुत प्यार करती हूं । 

जिस पर ईशानी की मां  आरती जी इशानी को दूर करते हुए कहती है पहले तो तू दूर रह। ।ये इमोशनल अत्याचार कर के अपनी सजा से नहीं बच सकती तु।

 पहले ये बता तु कहां थी तुझे पता हम कितने परेशान हो गए थे अजय भी यहाँ आया था तुझे ढूंढने।

 मुझे तो पहले लगा था तुम अजय के साथ भाग गई हो लेकिन जब वो बेचारा  यहां तुम्हें ढूंढते हुए आया । 

तब मुझे पता चला की नहीं तुम अजय के साथ नहीं अकेले भागी है अब यह बताओ अकेले कहां भागी थी । 

क्या जवाब देगी इशानि अपने माँ के सवालों का जानने के लिए बने रहिये मेरे साथ।