पिछले पार्ट में आपने पढ़ा कि अनिकेत आम्या को ऑफिस ले जाने के लिए अपनी मां को समझाता है पर जब वो नहीं समझती तो अखण्ड प्रताप कुछ ऐसा करते हैं जिससे सब शॉक्ड हो जाते हैं.........
अब आगे......
मानसी परेशान होते हुए अपने दादू से सवाल करती है ," दादू ये आप क्या कह रहे हैं मैं और मिली पढ़ेंगे नहीं तो फिर आगे फ्यूचर में कुछ बनेंगे कैसे " ,,,,,,, अखण्ड प्रताप, मानसी के इस सवाल पर सावित्री जी की तरफ देखकर बोलते हैं," बेटा ,पढ़ने की जरूरत ही क्या है आपने सुना नहीं आपकी बड़ी मां ने क्या कहा कि शादी के बाद ऑफिस जाने से घर की इज्जत जाती है और मैं नहीं चाहता कि आपकी शादी के बाद आप अपनी पढ़ाई का फायदा उठाकर कल को परिवार से लग झगड़ कर ऑफिस जाएं ,और एक बात इस घर का कोई भी सदस्य हमारी बड़ी बहू की बात की अवहेलना करें ये भी बर्दाश्त नहीं करेंगे हम " अखण्ड प्रताप इतना कहकर सावित्री जी की तरफ देखकर बोलते हैं," सावित्री बहू हमें उम्मीद है कि आप हमारे फैसले से खुश होगी " ।
सावित्री जी , अखण्ड प्रताप की बात सुनकर कुछ सोचते हुए उनसे कहती हैं," पापा जी मैं जानती हूं कि आप मानसी और मिली का कॉलेज जाना क्यों बन्द करवा रहे हैं पर फिर भी मैं अपना फैसला ले चुकी हूं अगर कोई मेरे फैसले के खिलाफ जाना चाहता है तो मैं उसे रोकूंगी नहीं "
फिर अनिकेत की तरफ देखकर ," अनिकेत अगर आपको अपनी पत्नी को ऑफिस ले जाना है तो मेरी बिना मर्जी के लिए जाइये मैं आपसे कुछ नहीं कहूंगी लेकिन फिर हमारी एक शर्त होगी अगर आपको वो मंजूर है तो फिर आप जा सकते हैं " ,,,,, अनिकेत अपनी मां की तरफ अपनी भौं को सिकोड़ कर कुछ ना समझने का इशारा करते हुए संदेह के साथ कहता है ," क्या शर्त है आपकी मां?
सावित्री जी इस बात पर अखण्ड प्रताप की ओर देखते हुए अनिकेत से थोडे सख्त लहजे में कहती हैं," जब तक आपकी पत्नी आपके साथ ऑफिस में होगी तब तक आपका पूरा अधिकार है कि आप उसे जैसे इच्छा हो वैसे रखें लेकिन जब वो घर में होगी तब हम उसे घर के कायदे और रसोई का काम सिखाएंगे हमें उम्मीद है कि आपको हमारी इस बात से कोई ऐतराज नहीं होगा "
अनिकेत, सावित्री जी की ये बात सुनकर कुछ सोचते हुए," ठीक है मां जैसा आप चाहें "
अब प्लीज़ नाश्ता लगवा दें मानसी ,मिली को कॉलेज के लिए लेट भी हो रहा है " ,,,,,,,थोड़ी देर बाद सब डाइनिंग टेबल पर ब्रेकफास्ट कर रहे थे और सुहानी मन में सोच रही थी कि किसी ने हमसे नहीं पूछा कि हमारा क्या मन है हमें नहीं जाना कहीं, वो उदास होते हुए मन मार कर ब्रेकफास्ट कर रही थी , वहीं अनिकेत मन में," पता नहीं सुहानी कैसे मां के मन से चल पाएगी इसे तो सब कुछ सीखना है और इसका क्या मन है ये भी तो इम्पॉरटेंट है बात करूं क्या मां से कि सुहानी अभी छोटी है उसे अभी सिर्फ़ पढ़ने पर ध्यान देना चाहिए पर मां को पता भी तो नहीं है कि इसे पढ़ना लिखना नहीं आता, ओह गॉड ! मुझे तो समझ नहीं आ रहा मैं क्या करूं " यही सब सोचते हुए अनिकेत अपनी खाली प्लेट में कब चम्मच चलाने लगता है उसे खुद पता नहीं चलता तभी अखण्ड प्रताप अपनी कुर्सी से उठते हुए मानसी और मिली से प्यार से कहते हैं," बच्चों आप दोनों बहुत अच्छे से पढ़े क्योंकि आगे चलकर आप दोनों को हमारा ऑफिस जॉइन करना है और अपने दादू का नाम रौशन करना है और मानसी जिस तरह आपने आज हमसे सवाल किया क्योंकि आपको लगा कि आपके साथ गलत हो रहा है उसी तरह हमेशा अपने हक के लिए सवाल करें हमें अच्छा लगेगा,,,,,,,,जी दादू ,,,,,,,मानसी , मिली एक लय में जवाब देती हैं
अखण्ड प्रताप डाइनिंग एरिया से जाने से पहले सावित्री जी की तरफ देखकर उन्हें समझाते हुए कहते हैं ," सावित्री बहू ,घर की बहू हो या बेटी दोनों की शोभा उनके घर में रहने से नहीं होती बल्कि उनके सफल होने में होती है और ये हमेशा याद रखिए कि जिस समाज के लिए आप आज घर की बहू को ऑफिस नहीं भेज रही हैं वहीं समाज कल को आपके सामने खड़ा हो जाएगा और फक्र से बताता फिरेगा कि कैसे उनकी बहू , बेटियां सफल हो रही हैं तब क्या करेगी आप , शर्म से नजरें झुकाने के अलावा कोई ऑप्शन रह जाएगा आपके पास, नहीं ! इसीलिए कहते हैं इस समाज से पहले हमेशा अपनों को रखिए " इतना कहकर अखण्ड प्रताप अपने कदम अपने कमरे की ओर बढ़ा लेते हैं।
थोडी देर बाद
अनिकेत और सुहानी दोनों ऑफिस के लिए निकल जाते हैं सुहानी चुपचाप बैठी गाड़ी के शीशे से बाहर देखती थी और सुहानी फोन पर किसी से बात करने के साथ साथ सुहानी की तरफ देख रहा था कुछ ही मिनट बाद वो फोन रख कर सुहानी को एक गिफ्ट बॉक्स देते हुए कहता है ," ये लो ये तुम्हारे लिए है " ,,,,,, सुहानी अनिकेत की आवाज सुनकर चौक जाती है और अपने लेफ्ट साइड में देखती है तो एक छोटा सा बॉक्स देखकर उससे पूछती है ," इसमें कया है ? अनिकेत अपने कन्धे उचकाते हुए," पता नहीं ! खोलकर देख लो "
सुहानी उस गिफ्ट बॉक्स को खोल कर देखती है तो उसमें एक फोन होता है जिसे देखकर सुहानी कुछ उदास होते हुए अनिकेत से कहती है ," ये किसके लिए? ,,,,,,,,तुम्हारे लिए,,,,,, सुहानी : पर हमें तो फोन चलाना आता ही नहीं है ना ,,,, अनिकेत , सुहानी की इस बात पर थोडा सख्त लहजे में कहता है ," कोई भी चीज पहले से नहीं आती सीखनी पड़ती है और आज से मुझे ये नहीं आता मुझे वो नहीं आता मेरे सामने आज से इस तरह की कोई फालतू बात मत करना",,,,,,,चलो ! अब इसे ऑन करो अनिकेत फोन की तरफ इशारा करते हुए कहता है ,,,,, सुहानी, अनिकेत को घूर कर देख रही थी पर उसके चेहरे से ऐसा लग रहा था कि अभी वो रो देगी अनिकेत उसका ऐसा चेहरा देखकर उससे सवाल करता है ," क्या हुआ खोलो ,,,वो थोड़ा रूककर कुछ सोचते हुए सुहानी की तरफ देखकर कहता है ," तो तुम्हें फोन खोलना भी नहीं आता ,,,,अनिकेत सुहानी की बात सुनकर नहीं में अपना सिर हिला देती है ,,,,, अनिकेत उससे फोन लेकर अपने पास रख लेता है और थोड़ा गुस्से से कहता है ," चलो ! तुम ऑफिस आज "
थोड़ी देर बाद दोनों ऑफिस के सामने थे ड्राइवर निकल कर एक एक कर दोनों तरफ का गेट खोलता है तभी अनिकेत का नया मैनेजर आकर उसका वेलकम करता है पर जब वो मैनेजर सुहानी के पास उसका वेलकम करने के लिए पहुंचता है तो सुहानी उस मैनेजर से डरकर दो कदम पीछे ले लेती है ..........
आखिर कौन था अनिकेत का नया मैनेजर जिससे सुहानी डर रही थी जानते हैं नेक्स्ट पार्ट में....
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