Anokha Vivah - 8 in Hindi Love Stories by Gauri books and stories PDF | अनोखा विवाह - 8

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अनोखा विवाह - 8

अनिकेत आप शादी के बाद के फैसले लेने के लिए बाध्य हैं पहले के नहीं इसीलिए अब बहू की मांग में सिंदूर लगाइये और सावित्री बहू विदाई की तैयारी करवाएं ,,,,,,,,,,,,,,जी पिता जी 

थोड़ी देर में विदाई हो जाती है, सभी गाडियां धीरे धीरे हवेली पहुंच चुकी थी ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, अखण्ड प्रताप सावित्री जी से बहू के गृहप्रवेश की तैयारियां करने को कहते हैं,थोड़ी देर में सुहानी को गाड़ी से बाहर लाया जाता है जैसे ही सुहानी और अनिकेत को दरवाजे पर गृहप्रवेश के लिए लाया जाता है अनिकेत गठबंधन खोल कर सीधा अपने कमरे में जाने लगता है पीछे से अखण्ड प्रताप अनिकेत को आवाज देकर रोकने की कोशिश करते हैं,,,,,,,,,,,,,,,,, अनिकेत आप कहां जा रहें हैं अभी आपका गृहप्रवेश नहीं हुआ है आप बहू को ऐसे छोड़ कर नहीं जा सकते और अभी तो कई रस्में बची हैं,,,,,,,,,,,,,,,,,,दादू आपसे हमने पहले ही कहा था कि शादी आपकी मर्जी से होगी पर निभाएंगे हम अपनी मर्जी से तो अब आप अपने वादे से पीछे नहीं हट सकते ,,,,,,,,,,,,हम अपने कमरे में जा रहे हैं बहुत थक गए हैं प्लीज़ हमें डिस्टर्ब नहीं करिएगा ,,,,,इतना कहकर अनिकेत तेज कदमों से सीढ़ियों से चढ़कर अपने कमरे में चला जाता है,,,,,,,,,,,,,

नीचे घर की बड़ी बहू का गृहप्रवेश कराया जाता है और उसे अभी कोई पसन्द नहीं कर रहा था लेकिन अखण्ड प्रताप के डर से कोई भी कुछ कह नहीं रहा था,,,,,,सारी रस्में अकेले ही सुहानी करती है शाम 5बजे तक सभी रस्में हो जाती है 5बजे के बाद उसे आराम करने के लिए अखण्ड प्रताप ,अनिकेत के कमरे में भेजने को कहते हैं चूंकि आज से ये कमरा सुहानी का भी था पर घर के किसी भी सदस्य को ये बात अच्छी नहीं लग रही थी पर कोई भी अखण्ड प्रताप के फैसले के खिलाफ नहीं जा सकता था इसीलिए सुहानी को अनिकेत के कमरे में ले जाया जाता है ,,,,,,,,,,,,,,,,, चूंकि शाम का समय था तो अनिकेत  अपने कमरे के बाहर बालकनी में खड़ा फोन चला रहा होता है उसकी नजर अचानक ही सुहानी के ऊपर पड़ती है तो वो गुस्से से अन्दर आता है और अभी तक अनिकेत ने ठीक से सुहानी को देखा नहीं था , वो जैसे ही अन्दर आता है वो गुस्से से उसकी तरफ बढ़ता है जो कि लाजमी था क्योंकि जब शादी हो रही थी उस वक्त से अभी तक अनिकेत ने सुहानी के बारे में कोई भी अच्छी बात नहीं सुनी थी ,,,,,,,, अनिकेत, सुहानी का हाथ पकड़ उससे सवाल करता है ,,,, क्यों, क्यों किया तुमने ऐसा मुझे तो वैसे भी शादी में कोई इंट्रस्ट नहीं था पर तुमने मुझे कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ा,,,,, कहां मैं और कहां तुम,,,,,,,, बहुत मन था ना तुम्हारा मुझसे शादी करने का अब निभा पाओगी ये शादी,,,,पैसा देखा नहीं कि लड़कियां पागल हो जाती हैं पैसे के पीछे इतना ही पैसा प्यारा था तो कह देती दे देता तुम्हें सुबह से शाम तक इतने भिखारी आते हैं उन्हें देता हूं तो तुम्हें भी दे देता,,,,,,,,,,,,,,,, अनिकेत ना जाने गुस्से में सुहानी से क्या क्या कहे जा रहा था और सुहानी अभी तक बस चुपचाप सब कुछ सुन रही थी क्यों कि उसका पूरा ध्यान अपने पति द्वारा पकड़े गए उसके हाथ पर था जिसे चाह कर भी वह खुद से दूर नहीं कर सकती थी क्योंकि अब यह हाथ जीवन भर का साथ था लेकिन जिस गुस्से के साथ अनिकेत ने सुहानी का हाथ पकड़ा था उस हिसाब से वो अनिकेत के ऊपर गुस्सा कर सकती थी लेकिन उसने ऐसा नहीं किया क्योंकि जब काव्या नें इसे दुल्हन के भेष में तैयार किया था तब उसे दो बातें कही थीं जिसमें से एक ये भी थी कि चाहें उसे से कोई कुछ भी कहे पर उसे सिर्फ चुप रहना है और रोना तो बिल्कुल नहीं वरना उसकी मार पड़ेगी और उसे फुटपाथ पर छोड दिया जाएगा चूंकि सुहानी अभी सिर्फ़ 17 साल की थी और कभी घर से बाहर अकेले गई नहीं थी तो इन सब बातों से बहुत डरती थी ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

सुहानी बस रोए जा रही थी सुहानी जितना रो रही थी अनिकेत का गुस्सा उतना ही बढ़ रहा था और वो इरिटेट हो रहा था ,,,,,,,अचानक से अनिकेत तेज आवाज में सुहानी पर चिल्लाता है,,,,,,,,,,चुप एकदम चुप अब एक भी आवाज नहीं आनी चाहिए तुम्हारे मुंह से वरना इस टाइम से सुबह तक ऐसे ही खड़ा रखूंगा,,,,,,,,,,,,,,, सुहानी यह सुनकर एकदम चुप हो जाती है और अनिकेत भी उसका हाथ छोड़ देता है और उसे ऐसे शांत खड़ा अपने उस हाथ को देखा है जिससे अभी-अभी उसने सुहानी का हाथ पकड़ा था और उसे देखकर सोचता है जो जिस लड़की को सब ना जाने क्या क्या कह  रहे हैं वो पलट कर जवाब नहीं दे रही ये ऐसा कैसे कर सकती है यही सब सोचते हुए अनिकेत कमरे से बाहर आता है और गाड़ी लेकर बाहर अपने दोस्तों से मिलने चला जाता है,,,,,,,,,,,,,,

रात 8 बजे 

सुहानी कमरे में भूख की वजह से परेशान हो रही थी पर सुबह से किसी को याद नहीं था कि सुहानी सुबह की भूखी है सुहानी ने कपड़े भी वही पहन रखे थे वो जमीन पर बैठी बेचैन हो रही थी तभी दरवाजे पर खटखट की आवाज आती है ,,,,,,,,,,,,,, दरवाजे पर कोई और नहीं अनिकेत ही था ,,,,,,,,,,,,,,, अनिकेत कमरे के अन्दर आकर अपने जूते उतारता है अभी उसका गुस्सा शांत था इसीलिए वो सुहानी से पानी लाने को कहता है,,,,,,,,,,,,,,,,सुनो मुझे एक ग्लास पानी लाकर दो देखो इधर साइड टेबल पर रखा होगा ,,,,,,,,,,,,,, सुहानी उठकर धीरे धीरे जग से ग्लास को पानी से भरती है और अनिकेत के पास जैसे ही पानी लेकर आ रही होती है ,,, अनिकेत एक बार फिर थोड़ी तेज आवाज में पानी के लिए कहता है जिससे सुहानी डर जाती है और पानी का ग्लास उसके हाथ से छूट जाता है,,,,,,,,,,,, अनिकेत ये सब देखकर अपना सिर पकड़ लेता है और उसको हाथ से पकड़ तेज से लाकर बेड पर बैठा कर उससे कहता है,,,,,,, ऐसा है तुम आराम करो मैं खुद पानी ले लूंगा अनिकेत इस टाइम इतने गुस्से में था कि उसे जमीन पर पड़ी कांच भी नहीं दिखती ,,,,,,, सुहानी बस अपनी आंखे तेज से बन्द कर अपने दर्द को बर्दाश्त करने की कोशिश करती है पर वो‌ ज्यादा देर उस दर्द को बर्दाश्त नहीं कर पाती और अनिकेत को आवाज देकर बुलाती है ,,,,,,,,,,,,,,,,,वो वो हमें दर्द हो रहा है ,,,,,यहां आइये,,,, बहुत तेज हो रहा है पर शायद अनिकेत बालकनी में खड़ा किसी से फोन पर बात कर रहा होता है,,,,,,,,,,,जब सुहानी को लगता है कि अनिकेत उसकी बात नहीं सुन रहा तो वो धीरे धीरे कदमों से नीचे जाती है सुहानी जैसे ही नीचे पहुंचती है सामने अखण्ड प्रताप सोफे पर बैठे किसी से बात कर रहे होते हैं उनका ध्यान जैसे ही सुहानी के पैरों से निकल रहे ब्लड पर जाता है उन्हें अनिकेत के ऊपर बहुत तेज गुस्सा आता है,,,,,,,,वो तेज आवाज में अनिकेत को नीचे बुलाते हैं लेकिन अनिकेत तक आवाज नहीं पहुंचती तो अखण्ड प्रताप अपने एक नौकर को अनिकेत को बुलाने के लिए कहते हैं क्यों कि अखण्ड प्रताप को ऐसा लग रहा था कि ये अनिकेत नें जानबूझ कर किया है.............. प्लीज फॉलो ,, रेटिंग एंड स्टीकर 


देखते हैं क्या होता है आगे.........