Tasveer - Part - 2 in Hindi Women Focused by Ratna Pandey books and stories PDF | तस्वीर - भाग - 2

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तस्वीर - भाग - 2

अनुराधा उस बच्ची से कुछ पूछ पाती उससे पहले ही उसकी मम्मी वंदना भी वहाँ पहुँच गई।

अनुराधा को देखते ही वंदना ने पूछा, "जी कहिए क्या काम है?"

अनुराधा ने कहा, "मैं आपकी पड़ोसी हूँ, खुला घर और सामने ट्रक देखा तो पूछने चली आई कि कुछ भी काम हो तो ज़रूर बताइएगा।"

वंदना ने तुरंत ही कहा, "अरे आइये ना अंदर आइये, हम लोग अभी कुछ समय पहले ही आए हैं। आपका नाम ...?"

"जी मेरा नाम अनुराधा है और आपका?"

"जी मैं वंदना हूँ।"

"वंदना जी मैं आप लोगों के लिए चाय नाश्ते का इंतज़ाम करवाती हूँ। दोपहर का खाना भी आप लोग हमारे ही साथ ले लीजिएगा। आपको अभी सामान भी तो व्यवस्थित करना है।"

"अरे नहीं, आप क्यों तकलीफ लेती हैं।"

"नहीं वंदना तकलीफ कैसी? आप हमारे पड़ोसी हैं, हमारा इतना फ़र्ज़ तो बनता ही है। इसी बहाने एक दूसरे से अच्छी तरह जान पहचान भी हो जाएगी।"

फिर अनुराधा ने बच्ची की तरफ़ देखते हुए पूछा, "बेटा क्या नाम है तुम्हारा?"

"आंटी मेरा नाम श्लोका है।"

"वाह श्लोका, यह तो बड़ा ही प्यारा नाम है और अनोखा भी है, कभी ज़्यादा सुनने में नहीं आया।"

उसके बाद अनुराधा ने कहा, "अच्छा मैं चलती हूँ, मेरे पति कार में बैठे मेरा इंतज़ार कर रहे हैं। वंदना वह सामने की लाइन में आखिरी वाला घर हमारा है। आप लोग दोपहर को आओगे ना?"

वंदना ने कहा "हाँ अनुराधा जी हम ज़रूर आएंगे, आप इतने प्यार से जो बुला रही हैं।"

अनुराधा खुश होते हुए बाहर आई। उसका चेहरा देखते ही सुरेश को यह आभास हो गया कि अनुराधा को कन्या मिल गई है।

उसके आते ही सुरेश ने कहा, "आख़िर 51 वीं कन्या मिल ही गई?"

"तुम्हें कैसे मालूम सुरेश?"

"अनुराधा, तुम्हारे चेहरे की ख़ुशी ही इस बात की गवाही दे रही है।"

उसके बाद अनुराधा ने अपनी काम वाली को कहकर चाय-नाश्ता वंदना के घर भिजवा दिया।

दोपहर का खाना खाने वंदना अपने पति अतुल और श्लोका के साथ अनुराधा के घर आए। सुरेश से मिलकर अतुल ने उसे अपने बारे में सब बताया और उन लोगों के बारे में भी पूछा।

खाना-पीना सब समाप्त होने के बाद जब वे लोग जा रहे थे, तब अनुराधा ने कहा, "वंदना, कल अष्टमी है और हमारे घर देवी माँ विराजमान हैं। कल मुझे 51 कन्याओं को भोजन कराना है। क्या तुम श्लोका को मेरे घर भेजोगी वह 51वीं कन्या होगी?"

वंदना ने खुश होते हुए कहा, "हाँ -हाँ अनुराधा जी, क्यों नहीं बिल्कुल भेज दूंगी, यह तो हमारी श्लोका के लिए भी बड़े ही भाग्य की बात है कि यहाँ आते ही उसे इस तरह का सुनहरा अवसर मिल रहा है।"

अनुराधा ने कहा, "थैंक यू वंदना मुझे 50 कन्याएँ तो मिल गई थीं बस श्लोका का ही इंतज़ार था, जो अब ख़त्म हुआ। ऐसा लगता है कि देवी माँ ने मेरी पुकार सुन कर श्लोका को यहाँ बुला लिया है। "

उसके बाद अनुराधा ने श्लोका की तरफ देखते हुए पूछा, "श्लोका बेटा, कल हमारे घर भोजन करने आओगी ना?"

श्लोका ने कहा, "हाँ आंटी ज़रूर आऊंगी।"

रत्ना पांडे, वडोदरा (गुजरात)
स्वरचित और मौलिक
क्रमशः