अचानक श्लोका के आ जाने और सच्चाई जान लेने के बावजूद भी मिलन के चेहरे पर कोई शिकन नहीं आई बल्कि उसने अपने शर्ट की आस्तीन ऊपर चढ़ाते हुए कहा, "अच्छा ही हुआ श्लोका जो तुम आ गईं और ख़ुद ही सब कुछ सुन लिया। अब मुझे मुंह से कुछ समझाने की ज़रूरत ही नहीं पड़ेगी। सुन लिया ना तुमने? हमें यह उम्मीद नहीं थी कि तुम ऐसे खाली हाथ चली आओगी। तुम्हारी तनख्वाह भी तुमने शायद वहीं लुटा दी होगी?"
श्लोका ने नाराजगी दिखाते हुए कहा, "तो मिलन मेरी उस समय की तनख्वाह पर तो यूं भी तुम्हारा कोई हक़ नहीं बनता। यूँ तो हक़ अभी भी नहीं है।"
अनुराधा ने बीच में कहा, "हम कुछ नहीं जानते, हमें तो कार चाहिए और साथ में 25 लाख कैश चाहिए समझी। यह तो तुझे लाना ही होगा, तभी इस घर में प्यार और इज़्ज़त मिलेगी।"
"और यदि मैं ना ला सकी तो?"
"तो अंजाम बुरा होगा।"
"क्या करोगे तुम लोग? मार डालोगे मुझे या जला दोगे?"
मिलन ने कहा, "देखो श्लोका बेकार की बातें मत करो। माँ ने ऐसा कुछ भी नहीं कहा है। तुम बिना मतलब के राई का पहाड़ बना रही हो।"
"हाँ कहा नहीं, पर डरा तो रही हैं ना? जिनके मन में लालच समाया होता है, वे लोग तो किसी भी हद तक गुजर सकते हैं। क्या तुम्हारी भुजाओं में दौलत कमाने का दम नहीं है जो भिखारी बन रहे हो। हम लोगों ने सोचा था कि भले ही मध्यम वर्गीय परिवार है परंतु उनके व्यवहार से संस्कार अच्छे लग रहे हैं। दोनों मिलकर मेहनत करके दौलत भी कमा लेंगे लेकिन तुमने तो सब कुछ ख़त्म कर दिया।"
"श्लोका अपना भाषण अपने पास रखो और जो बोला गया है वह करो।"
"मिलन तुम भी एक बात समझ लो, मैं ना तो मेरे पापा से कभी कुछ मांगूंगी और ना ही कुछ लेकर ही आऊंगी। मेरी तरफ़ से तो तुम्हें कुछ नहीं मिलेगा और यदि कुछ मिलेगा तो केवल तलाक ...!"
श्लोका की बातें सुनकर मिलन को गुस्सा आ गया और वह श्लोका को मारने के लिए उसकी तरफ़ आने लगा। श्लोका अपने आप को बचाने के लिए वहाँ से दूसरे कमरे में जाने लगी कि उसी समय मिलन ने उसकी लंबी खूबसूरत चोटी को पकड़ लिया। तब तक श्लोका के क़दम उस कमरे से बाहर ड्राइंग रूम में निकल चुके थे। मिलन उसके बालों को खींच रहा था और वह अपनी चोटी को ऊपर से पकड़े हुए अपने बालों की पीड़ा को कम करने के लिए जूझ रही थी। मिलन का गुस्सा सातवें आसमान पर था।
अनुराधा पीछे से मिलन को भड़का कर कहने लगी, "बहुत ज़ुबान चला रही थी ना तू? सीधे से नहीं लाएगी तो ऐसे ही प्रताड़ित की जाएगी।"
मिलन के पिता इस समय बाहर टूर पर गए हुए थे। उन्हें यह सब बिल्कुल नहीं मालूम था और ना ही वह ऐसा चाहते थे। जब वह घर वापस आए, तभी घर के सामने कार से उतरते हुए श्लोका के पापा-मम्मी उन्हें दिखाई दिए, जो अपनी बेटी को सरप्राइज देने बिना बताए ही उसके ससुराल आ गए थे।
सुरेश ने वंदना और अतुल को देखा तो खुश होते हुए कहा, "अरे आप लोग व्हाट ऐ प्लेजेंट सरप्राइज, श्लोका बहुत खुश हो जाएगी," कहते हुए उन्होंने जेब से चाबी निकालकर दरवाज़ा खोला।
रत्ना पांडे, वडोदरा (गुजरात)
स्वरचित और मौलिक
क्रमशः