पिछले पार्ट में आपने पढ़ा कि अनिकेत ऑफिस जाना चाहता है और अखण्ड प्रताप ऑफिस जाने के लिए हां कर देते हैं साथ ही सुहानी को भी ले जाने की इजाजत दे देते हैं.....
अब आगे.....
अनिकेत दादू के कमरे से वापस सीधा डाइनिंग टेबल पर आता है सुहानी का खाना फिनिश ही होने वाला था अनिकेत , सुहानी के पास वाली कुर्सी पर बैठ जाता है और थोड़ा शरारत से कहता है ," मुझे खिलाओ "सुहानी उसकी इस बात पर एक बाइट खिला देती है सुहानी अनिकेत को खिला रही थी और अनिकेत उसे मुस्कुराते हुए देख रहा था तभी उसे महसूस होता है कि सुहानी के चेहरे से थोडा दर्द झलक रहा है अनिकेत उससे पूछता है," क्या हुआ तुम परेशान हो , अनिकेत की इस बात पर सुहानी एक नजर उसे देखती है फिर नजरें नीचे झुकाकर धीरे से बोलती है ," मेरे दर्द हो रहा है "
अनिकेत नासमझी में सुहानी से पूछता है," कहां ? सुहानी अपने पेट पर हाथ रखकर इशारा करते हुए कहती हैं," यहां" तब अनिकेत को याद आता है कि सुहानी कल से बीमार है और उसे ये बात याद तक नहीं है फिर वो सुहानी से पूछता है," ये बताओ खाना हो गया या अभी और कुछ चाहिए, सुहानी सिर ना में हिला देती है " ,,,,,,,,,,,तो चलो ऊपर , मैं हॉट वाटर बैग लेकर आता हूं इतना कहकर अनिकेत किचेन में चला जाता है और सुहानी सीढ़ियों से अपने कमरे की ओर बढ़ जाती है थोड़ी देर बाद अनिकेत हॉट वाटर बैग लेकर कमरे में आता है और उसके हाथ में देकर कहता है ," देखो आज इसे अपने पेट के थोड़ा नीचे रखना इससे तुम्हें ज्यादा आराम मिलेगी , ठीक है !
एक काम करो तुम लेट जाओ मुझे कुछ बात भी करनी है तुमसे पर समझ नहीं आ रहा कि क्या कहूं कहां से शुरू करूं तभी वो ज्यादा ना सोचते हुए सुहानी से कहता है," सुहानी तुम पढ़ना चाहती हो ? देखो बिना पढ़ लिखकर जिन्दगी जीने का मतलब है कि हम कभी ना अपने लिए कुछ कर सकते हैं और ना दूसरों के लिए मैं ये नहीं कह रहा कि तुम औरों से कुछ कम हो पर हां औरों से थोड़ा ज्यादा होने के लिए पढ़ना जरूरी है , बोलो पढ़ोगी ? अनिकेत की बात सुन सुहानी एकदम शांत हो गई थी क्यों कि उसे कभी भी पढ़ना नहीं था उसे पढ़ाई बहुत कठिन लगती थी उसे लग रहा था कि अब हमें पढ़ना पड़ेगा जिसकी वजह से वो बहुत डर गई थी ।
अनिकेत , सुहानी के चेहरे का डर देखकर उससे पूछता है," अच्छा ये बताओ पढ़ना क्यों नहीं चाहती हो ?
देखो ! मेरी बात सुनो मुझे ये बताओ कि तुम्हे डर क्यों लगता है ? अनिकेत की बात सुन सुहानी बताना शुरू करती है ," दीदी कहती थी कि टीचर अच्छे नहीं होते हैं वो मारते हैं गाल नोचते हैं इसीलिए दीदी ने कभी हमें स्कूल नहीं जाने दिया पर पता नहीं क्यों वो आज हमसे नाराज़ हो गई बल्कि हमने तो कुछ कहा नहीं हमें अभी भी नहीं समझ आ रहा कि दीदी ने ऐसा क्यों किया मेरे साथ बल्कि हमने हमेशा दीदी को बहुत प्यार दिया।
सुहानी की बात सुनकर अनिकेत का मूड फिर से खराब हो रहा था पर उसने खुद पर कंट्रोल कर सुहानी को थोड़ा सख्त आवाज में समझाने की कोशिश करने लगा," मेरी बात ध्यान से सुनो , आज से और अभी से अपनी दीदी का नाम मेरे सामने मत लेना मैं नहीं चाहता कि मुझे बार बार वही सब याद आए और मैं तुम्हारे साथ कुछ ग़लत करूं क्यों कि तुम उसकी बहन हो तो अब ये सब बातें छोड़ो और मेरी बात सुनो , देखो जो टीचर होते हैं ना वो मारते नहीं है बल्कि पनिशमेंट देते हैं और वो भी तब जब हम लोग कोई ग़लती करते हैं उनकी बात नहीं मानते हैं, देखो बिना बात के कोई कुछ नहीं करता तो अब से मैं तुम्हें पढ़ाऊंगा मेरा मतलब है कि तुम रोज मेरे साथ ऑफिस चलोगी और वहां मैं तुम्हारे लिए अच्छे अच्छे टीचर बुलाऊंगा ओके !
सुहानी अनिकेत की बात सुनकर थोड़ा उदास हो जाती है और पूछती है ," हम आपके ऑफिस क्यों जाए पढ़ने के लिए तो स्कूल या कॉलेज जाते हैं ना " ,,,,,,,,,,,,,अब अनिकेत , सुहानी की बातों सेे परेेेशान हो गया था थोड़ी देेर वो उसके इस प्रश्न पर कुछ नहीं बोलता फिर अपनेे चेेेेेहरे पर थोड़े सख्त इम्प्रेशन के साथ बात को खत्म करते हुए कहता है," तुम्हें नहीं लगता तुम एक ही दिन में ज्यादा बोलना सीख गई हो " उसकी ये बात सुन सुहानी एकदम चुप हो जाती है तो अनिकेत उसे कल सुबह जल्दी उठने के लिए कहता है और मंत्र के बारे में पूछता है," ये बताओ वो मंत्र याद करने को कहा था याद हुआ?
सुहानी थोड़ा डरते हुए जवाब देती है ," नहीं "
अनिकेत थोड़ी देर सुहानी को घूर कर देखता है फिर उसे कल तक का समय देता है ," देखो तुम्हारे पास कर तक का टाइम है उम्मीद है कि अगली बार जब मैं पूछूंगा तो तुम्हें याद हो गया होगा और एक बात और मंत्र याद करना इसलिए भी जरूरी है इससे तुम्हारी पढ़ाई की शुरुआत अच्छी होगी तो ध्यान रखना , कल तक याद हो जाए ये लो मेरा फ़ोन इससे तुम आराम से याद कर सकती हो
सुहानी धीरे से "हम्ममम " कहती है और उसके जवाब देने के साथ ही उसकी आंख से एक आंसू की बूंद छलक जाती है ।
अनिकेत की नजर उसके चेहरे पर पड़ती है तो वो सुहानी का हाथ अपने हाथ में लेकर पूछता है ," क्या हुआ! रो क्यों रही हो? अब ना पढ़ने के लिए इतने ड्रामे की जरूरत नहीं है पढ़ना तो तुम्हें पड़ेगा , समझ गई! चलो अच्छा बहुत रात हो गई है सो जाओ
अनिकेत ये बात कहकर अपना हाथ जैसे ही सुहानी के हाथ से हटाकर जाने के लिए मुड़ता है वैसे ही सुहानी ज़ोरो से रोना शुरू कर देती है और कसकर अनिकेत का हाथ पकड़ लेती है और अपना सिर नीचे की तरफ कर लेती है
आज पहली बार अनिकेत का हाथ किसी लड़की ने ऐसे पकड़ा था एक अलग ही डर अलग ही मासूमियत थी आम्या की इस हरकत से,,,,,,,,, अनिकेत, सुहानी के चेहरे को अपने दूसरे हाथ से ऊपर करता है और उससे रोने की वजह पूछता है तो वो अनिकेत से कहती है," हमें लिखना नहीं आता क्या आप लिख देंगे? " अनिकेत संदेह से सुहानी की तरफ देखकर पूछता है," क्या लिखना है ? ,,,,,,,,,,,,वो कल तान्या दीदी मिली थी उन्होंने कहा था कि हमारे मन में जो होता है वो लिख सकते हैं तो आप लिख देंगे हमें लिखना नहीं आता ना ,,,,,,,,,, सुहानी तुम एक काम करो मैं फोन का रिकॉर्डर ऑन कर देता हूं तुम इसमें बोल दो और जब भी तुम्हें मन हो कुछ भी मन का लिखने का तुम इसमें बोल कर सेव कर सकती हो और अब रोना बन्द करो और जो भी मन में है इसमें बोलो मैं भी तो देखूं कि जो लड़की बोलती तक नहीं है उसके मन में क्या है , सुहानी, अनिकेत सुहानी से बालकनी में चलने को कहती हैं ," बाहर चलें बालकनी में ? " अनिकेत : चलो । ,,,,,,,,, सुहानी : तारे सारे हमको पुकारे कहते हैं आजाओ आजाओ ना...............प्लीज फ़ॉलो प्लीज कमेंट
आखिर क्या चल रहा है सुहानी के मन में और क्या रिकॉर्ड करवाने वाली है सुहानी , अनिकेत के फोन में पढ़ते हैं नेक्स्ट पार्ट में........
❤️आप मुस्कुराते रहें और पढ़ते रहें " अनोखा विवाह " ❤️