आपने पिछले पार्ट में पढ़ा कि और अनिकेत वापस घर आ गए थे और अनिकेत किसी से मिलने बाहर रेस्टोरेंट में जाता है ,,,,,,अब आगे ...
अनिकेत वापस घर आ गया और 9 बजने के कारण सुहानी को डिनर के लिए जगाने लगा," सुहानी उठो ! आज हम डिनर नीचे करेंगे सबके साथ" सुहानी अलसाई हूई आवाज में कहती है ," नहीं हमें सोना है " ,,,,,,, अच्छा सोना है ठीक है तो फिर एक काम करते हैं तुम्हें इस कमरे में अकेला छोड़ कर कमरे की लाइट बन्द करके मैं चला जाता हूं नीचे फिर तुम आराम से सो ,,,,, अनिकेत इतना कहने के बाद सीधा कमरे से बाहर निकल गया पीछे से सुहानी चिल्लाती रहती है पर अब कोई फायदा नहीं था वो जा चुका था अब उसे कमरे में अकेले डर लग रहा था करीब एक घण्टे बाद अनिकेत फिर अपने कमरे में वापस आया कमरे की लाइट ऑन करने के बाद बेड की तरफ देखा तो सुहानी लेटी धीरे धीरे सिसकियां ले रही थी और अनिकेत उसे ऐसे देखकर हंस रहा था वो धीरे धीरे सुहानी के पास गया और अचानक उसके गाल पर हाथ रख दिया जिससे सुहानी और ज्यादा डर गई अब अनिकेत को पहले से ज्यादा तेज हंसी आ रही थी पर उसे क्या पता था कि कि सुहानी सच में बहुत ज्यादा डरी हूई है जब अनिकेत ने दोबारा हाथ रखा तो सुहानी उठकर सीधा अनिकेत के पास आकर उसके गले लग गई वो उसकी इस हरकत के लिए तैयार नहीं था लेकिन फिर भी उसने कुछ नहीं कहा और सुहानी का सिर सहलाने लगा
धीरे-धीरे उसने उससे बात करने की कोशिश की," सुहानी देखो मैं हूं अब बस करो नहीं तो देखो अगर तुम ऐसे रोती रही तो मैं फिर से तुम्हें अंधेरे में छोड़कर चला जाऊंगा अनिकेत ने जैसे ही उसे फिर से अकेला छोड़ जाने की बात की सुहानी ने तुरन्त उसे और कसकर गले लगा लिया, सुहानी को बच्चों की तरह हरकत करते हुए देख अनिकेत ने उसे जबरदस्ती खुद से अलग कर खाने के लिए पूछा," ये बताओ भूख लगी है , सुहानी ने ना में सिर हिला दिया,,,,,,,,,, क्या सच में तुम्हें भूख नहीं लगी मेरा मतलब सुबह से कुछ नहीं खाया है तुमने कुछ तो खा लो तुम यहीं बैठो मैं लेकर आता हूं,,,,,,,,,,, सुहानी - नहीं आप नहीं जाइये हमें डर लग रहा है
अनिकेत - सुहानी इस तरह डरना बन्द करो अब तुम इतनी छोटी नहीं रही बड़ी हो गई हो और इस घर की सबसे बड़ी बहू भी तो हो और सबसे इम्पोर्टेंट मेरी पत्नी हो तुम अब तुम पर ये बचपना शोभा नहीं देता और आज से कभी भी मैं अगर नीचे चलने के लिए कहूं तो मना नहीं करना वरना आज की तरह मैं दोबारा भी कर सकता हूं,,,समझ गई !
अब तुम एक काम करो मुंह धुल कर आओ मैं तुम्हें नीचे ले चलता हूं वही कुछ खा लेना मुझे भी दादू से कुछ बात करनी है तो मैं वो कर लूंगा,,,,,, ठीक है ,,,,,,,,,,,,,,,,, सुहानी - हां ,,,,,दोनों नीचे आ गए अनिकेत ने सुहानी को एक चेयर पर बैठाया और एक नौकर से उसे खाना देने को बोलकर अखण्ड प्रताप के कमरे में चला गया
अखण्ड प्रताप का कमरा
दादू मैं अन्दर आ जाऊं,,,,,,,,,,,,अखण्ड प्रताप - हां आइये और कैसे हैं जनाब हमने सुना है आज आप बहुत जल्दी आ गए थे अपनी ससुराल से क्या हुआ कोई बात तो नहीं हूई?
अनिकेत ने दादू को कुछ भी ना बताने का फैसला कर मन को शांत किया और अपने दादू से ऑफिस जाने की बात करने लगा," दादू मैं ऑफिस जाना चाहता हूं मेरा यहां मन नहीं लगता है और वैसे भी जो काम मुझे तीन महीने बाद करना है वो काम कल से क्यों ना करने लगूं मैं,,,,,,,,, अखण्ड प्रताप अपने पोते की बात बहुत ध्यान से सुन रहे थे और उससे ज्यादा ध्यान से अपने पोते का चेहरा पढ़ रहे थे जब उनसे रहा नहीं गया तो उन्होंने अनिकेत से पूछ ही लिया ," बेटा देखो मैं तुम्हारा दादू ही नहीं बल्कि हमेशा से सबसे अच्छा दोस्त भी रहा हूं अगर तुम बहू के साथ खुश नहीं हो तो मैं उसे उसके घर वापस भेजवा दूंगा मुझे तुम्हारी खुशी से ज्यादा अपनी इज्जत नहीं प्यारी है ,,,,,,अनिकेत दादू की ये बात सुनकर कहता है," नहीं दादू ऐसा कुछ नहीं है बस मैं ऑफिस जाकर मन शांत करना चाहता हूं, मुझे नहीं पता कि क्यों मुझे अब अपने ऊपर बहुत बोझ महसूस होता है और इस बोझ के चलते मेरे लिए चीजे मुश्किल हो रही हैं"
मुझे इतने दिनों में एक बात तो समझ आ गई है कि मुझे सुहानी जो कि मेरी पत्नी मैं उससे कोई उम्मीद नहीं लगा सकता क्यों कि ये सच है कि वो इस दुनिया से बिल्कुल अनजान है या तो उसे इस दुनिया के लायक बना दूं या फिर इस दुनिया को उसके लायक अब आप ही बताइए कि मैं क्या करूं फिलहाल मैंने ऑफिस जाने का सोचा है और ये इसलिए क्योंकि मैं सुहानी को भी ऑफिस ले जाना चाहता हूं ,,,,,,, अनिकेत की ये बात सुनकर अखण्ड प्रताप चौक गए," ये क्या कह रहे हो ऐसा कैसे और क्यों चाहते हो तुम देखो वहां वो कहां रहेगी पूरा दिन वो परेशान हो जाएगी ,,,,,,,दादू मुझे लगता है कि पूरी जिंदगी परेशान होने से अच्छा कुछ वक्त परेशानी में काट लें और आपको याद है कि आपने मेरे लिए ऑफिस बनवाने के वक्त उससे जुड़ा एक बेडरूम बनवाया था लेकिन अब मैं उसे डिवाइड करना चाहता हूं आधा बेडरूम और आधा स्टडी रूम में।
अखण्ड प्रताप समझ गए थे कि अनिकेत के दिमाग में कुछ तो चल रहा है उन्होंने अनिकेत को ऑफिस के लिए हां कर दिया था ," बेटा तुम जैसा चाहो वैसा करो मुझे तुम पर पूरा भरोसा है बस अपनी स्टडी का ध्यान रखना मैं चाहता हूं तुम दुनिया के सबसे अच्छे बेटे , पोते और एक अच्छे पति साबित हो लेकिन उससे पहले खुद को इस काबिल बनाओ इतना तो मुझे पता है कि जिस तरह तुमने टंडन प्रोजेक्ट तैयार किया था उसी तरह हमेशा हर प्रोजेक्ट टॉप पर होगा ,,,,,,,,,,,,, जी दादू आप फ़िक्र मत करिए बस मुझ पर भरोसा करिए ,,,,,, ठीक है दादू अब मैं सोने जा रहा हूं कल से बहुत सारी जिम्मेदारी सम्हालनी है और सुहानी को भी तो तैयार करना है ऑफिस साथ जाने के लिए ।
क्या सुहानी मानेगी अनिकेत की बात क्या वो जाएगी उसके साथ ऑफिस और क्यों वो सुहानी को अपने साथ ऑफिस ले जाना चाहता है , जानने के लिए पढ़ते रहिए " अनोखा विवाह"
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