**एपिसोड 37: अतीत के साये और भविष्य की रोशनी**
समीरा की जिंदगी अब धीरे-धीरे पटरी पर लौट रही थी, लेकिन उसकी आंखों में अभी भी अतीत के घाव ताजा थे। राहुल और सलोनी की साजिश ने उसे भीतर तक झकझोर दिया था, लेकिन अब वह कमजोर नहीं थी। उसने अपने हौसले को अपनी ताकत बना लिया था।
### **समीरा का आत्मसंघर्ष**
वह अब भी कई बार सोचती थी कि आखिर उसने क्या गलती की थी जो उसे इतनी बड़ी सजा मिली। क्या प्यार करना उसकी गलती थी? क्या भरोसा करना उसका गुनाह था? लेकिन फिर उसे एहसास हुआ कि गलती उसकी नहीं थी, बल्कि उन लोगों की थी जिन्होंने उसकी मासूमियत का फायदा उठाया।
आर्यन उसके साथ हर कदम पर था। उसने समीरा को संभालने का पूरा प्रयास किया, लेकिन वह जानता था कि इस दर्द से बाहर निकलने के लिए समीरा को खुद लड़ना होगा।
एक दिन जब वह अपनी बालकनी में बैठी थी, तो अचानक फोन की घंटी बजी।
"हैलो?" उसने धीमी आवाज़ में कहा।
"समीरा, मैं योगेश बोल रहा हूँ। क्या तुम मुझसे मिल सकती हो? मुझे तुमसे कुछ ज़रूरी बात करनी है।" योगेश की आवाज़ में एक अजीब सी गंभीरता थी।
### **पुरानी दोस्ती और नए रहस्य**
समीरा ने मिलने के लिए हाँ कर दी। जब वह कॉफ़ी शॉप पहुँची, तो उसने देखा कि योगेश पहले से ही वहाँ उसका इंतज़ार कर रहा था।
"कैसी हो?" योगेश ने पूछा।
"अब पहले से बेहतर," समीरा ने हल्की मुस्कान के साथ कहा। "तुम्हें मुझसे क्या बात करनी थी?"
योगेश ने एक गहरी सांस ली और कहा, "समीरा, मुझे तुम्हें एक सच्चाई बतानी है। राहुल और सलोनी के पीछे कोई और भी था। यह साजिश सिर्फ इन दोनों ने नहीं की थी।"
समीरा की आँखें चौड़ी हो गईं। "क्या? तुम कहना क्या चाहते हो?"
योगेश ने एक फाइल उसकी ओर बढ़ाई। "इसमें सबूत हैं कि विजय भी इस साजिश में शामिल था।"
### **एक और विश्वासघात**
समीरा को यह सुनकर झटका लगा। विजय, जो उसका सबसे अच्छा दोस्त था, जिसने हमेशा उसका साथ दिया था, वह भी इस षड्यंत्र का हिस्सा था? उसने फाइल खोली और उसमें बैंक ट्रांसफर, कॉल रिकॉर्ड्स और कुछ अन्य प्रमाण थे जो यह साबित कर रहे थे कि विजय ने सलोनी और राहुल को पैसे दिए थे।
"लेकिन उसने ऐसा क्यों किया?" समीरा ने कांपती हुई आवाज़ में पूछा।
"क्योंकि वह तुमसे प्यार करता था, लेकिन उसे यकीन था कि तुम कभी उसे नहीं अपनाओगी। वह चाहता था कि तुम्हारी जिंदगी बर्बाद हो जाए ताकि तुम्हें सहारे के लिए उसी की जरूरत पड़े," योगेश ने समझाया।
समीरा को ऐसा महसूस हो रहा था जैसे उसकी दुनिया फिर से बिखर रही हो। उसे विजय पर भरोसा था, लेकिन वह भी विश्वासघाती निकला।
### **समीरा का फैसला**
अब समीरा के पास दो ही रास्ते थे – या तो वह फिर से कमजोर बनकर बैठ जाए, या फिर उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई करे जिन्होंने उसकी जिंदगी को खिलौना समझ रखा था।
उसने ठान लिया कि वह विजय को सबक सिखाकर रहेगी। उसने योगेश से कहा, "मुझे हर सबूत चाहिए, हर वह चीज़ जो विजय को बेनकाब कर सके।"
योगेश ने हामी भरी, "मैं तुम्हारे साथ हूँ, समीरा। इस बार वे लोग बच नहीं पाएंगे।"
समीरा के भीतर अब एक नई ऊर्जा जाग चुकी थी। उसने अपने दर्द को अपनी ताकत बना लिया था। इस बार वह अपने हक के लिए लड़ेगी और किसी को भी अपने साथ खेलने का मौका
नहीं देगी।
(जारी...)
**[अगला भाग जल्द ही]**