Anokha Vivah - 18 in Hindi Love Stories by Gauri books and stories PDF | अनोखा विवाह - 18

The Author
Featured Books
  • THIEF BECOME A PRESEDENT - PART 5

    भाग 5 (मजेदार मोड़): एक सनकी हसीना का आगमन टिमडेबिट ने सब सच...

  • बेवफा - 44

    ### एपिसोड 44: नई सुबह की ओरसमीरा की ज़िन्दगी में सबकुछ बदल...

  • सर्वथा मौलिक चिंतन

    भूमिका मित्रों उपनिषद कहता है सर्व खल्विदं बृम्ह,सबकुछ परमात...

  • Zom-Bai - 1

    EPISODE #1Episode#1 First Blood"लेफ्ट राईट, लेफ्ट राईट लेफ्ट...

  • शोहरत का घमंड - 155

    सोमवार का दिन........अरुण वकील को जेल ले कर आ जाता है और सार...

Categories
Share

अनोखा विवाह - 18

अनिकेत- ये बताओ मंत्र याद हो गया ?                       सुहानी , अनिकेत का सवाल सुनकर बिल्कुल स्थिर हो गई क्यों कि उसे अभी मंत्र याद नहीं हुआ था अनिकेत फिर से अपना सवाल दोहराता है ," क्या हुआ नहीं याद हुआ क्या " सुहानी बिना कुछ बोले बेड से उठने लगती है लेकिन अनिकेत को ये बात अच्छी नहीं लगती कि सुहानी उसके सवाल का जवाब दिए बिना उठ रही है अनिकेत झट से सुहानी का हाथ पकड़ लेता है ," क्या हुआ ? नहीं याद हुआ है तो बताओ कि नहीं याद हुआ इस तरह बिना कुछ बोले चली जाओगी तो मुझे कैसे पता चलेगा कि तुम्हें याद हुआ है या नहीं 

सुहानी मन में कुछ सोच रही थी वो धीरे से हाथ छुड़ाते हुए अनिकेत से कहती है ," क्या हम आपसे कुछ पूछ सकते हैं" अनिकेत -," हां पूछो " सुहानी डरते हुए अनिकेत से एक सवाल करती है ," आपने हमें मंत्र याद करने को क्यों कहा हमें तो वो याद ही नहीं होता बहुत कठिन है ना " 

अनिकेत ," देखो सुहानी मैं तुम्हें पढ़ा रहा हूं और मैं चाहता हूं कि तुम अपने पढाई शुरू करने से पहले रोज ये मंत्र बोलो क्यों कि ये अच्छी शुरुआत है  ," जी " 

अनिकेत अच्छा चलो अभी उठो और आज से सब वैसे ही करना जैसे जैसे मैं कहूं जिससे कि तुम रोज मुझसे बात बात पर डांट ना खाओ ," जी" सुहानी के जाने के बाद अनिकेत फिर से लेट जाता है " और मन में ही सोचता है , तुम सच में इतनी ही भोली हो इतनी ही मासूम या फिर ये सब दिखावा है और मुझसे तुम्हारा शादी करना ये सब आखिर है क्या मैं तो तुम्हें समझ ही नहीं पा रहा हूं मुझे पता तो लगाना ही होगा कि तुम्हारे हाथ पर मेरा नाम तुमने खुद लिखा था या फिर किसी और ने ये काम किया है , अनिकेत यही सब सोचते सोचते एक बार फिर से सो जाता है 

सुबह 10 बजे 

डाइनिंग टेबल पर सभी अपनी अपनी जगह बैठे थे और आज अखण्ड प्रताप का आर्डर था कि उनकी पोता बहू रानी अनिकेत की पत्नी भी सब के साथ बैठ कर ही खाना खाएगी इसीलिए आज सभी के साथ सुहानी भी बैठ कर नाश्ता कर रही थी 

अखण्ड प्रताप - अनिकेत आपको याद है कि हमने आपको तेजवान के बारे में बताया था , अनिकेत अपने दिमाग पर थोडा सा जोर डालता है और उसे याद आ जाता है, " हां दादू याद है हमें " अनिकेत आपको और हमारी पोता बहू को आज उनके यहां डिनर पर जाना है उन्होंने हमें कल ही आपके लिए इन्विटेशन दिया था लेकिन हम भूल गए आपको बताना,,,, तो आप जाएंगे ना उनके यहां डिनर पर ," जी जादू जरूर जाएंगे" 

अनिकेत का मन तो बिल्कुल नहीं था वहां जाने का पर ये तेजवान वहीं इन्सान थे जिसकी वजह से शायद आज उसने अपनी आजादी को दी थी और में बात ये थी कि वो दादू को मना नहीं कर सकता था वरना दादू की इंसल्ट होती

थोड़ी देर बाद अनिकेत अपने कमरे में बैठा पढ़ रहा था क्यों कि उसके इक्जाम आने वाले थे इसीलिए आज वो बाहर कहीं नहीं गया था और बस अपना पूरा ध्यान पढ़ाई पर लगा लिया और सुहानी अपने मंत्र को याद कर रही थी लेकिन उसे वो मंत्र बहुत ही कठिन लग रहा था उसे बिल्कुल भी याद नहीं हो रहा था वो बार बार मंत्र सुन रही थी जिस फोन से वो मंत्र सुन रही थी अचानक उसकी बैटरी चली गई और अब वो एक बार फिर मंत्र याद करने से यह गई 

ऐसे ही पूरा दिन निकल गया और अब रात हो चुकी थी सुहानी को मानसी तैयार कर रही थी क्यों कि अनिकेत को अच्छे से पता था कि सुहानी खुद तो तैयार नहीं हो सकती इसलिए अनिकेत ने मानसी को आज फिर से सुहानी को तैयार करने के लिए बुलाया था थोड़ी देर में सुहानी और अनिकेत दोनों तैयार हो गए थे और घर से निकलने वाले थे तभी अनिकेत ने ध्यान दिया कि जो फुटवियर सुहानी ने पहन रखी है उसमें वो ठीक से चल ही नहीं पा रही है बल्कि बार बार गिर रही है , अविरल को अच्छे से समझ आ गया था कि ये जरूर ही मानसी ने किया है क्योंकि सुहानी तो ये फुटवियर खुद से कभी पहन ही नहीं सकती , अनिकेत अपनी तेज आवाज में मानसी को बुलाता है ," मानसीऽऽऽ मानसीऽऽऽ 

," हां भाई" ये क्या हैं मानसी तुम्हें पता है ना कि ये इन फुटवियर में नहीं चल पाएगी फिर भी तुमने सुहानी को ये पहनने को दी हैं ऐसा क्यों किया तुमने 

मानसी -," भाई आपको पता है ना कि भाभी को कुछ भी नहीं आता है और ऊपर से उनकी हाइट भी आपसे कम है तो मैंने सोचा कि ये फुटवियर में भाभी आपके बराबर तो होगी , कम से कम एक ही चीज में आपकी और भाभी की बराबरी हो जाएगी " 

अनिकेत - मानसी तुम्हें क्या लगता है कि आज जो तुमने किया है वो सही है , देखो मानसी दो लोगों की जब शादी हो जाती है ना तब ये मैटर नहीं करता कि वो आपके कद के बराबर है या नहीं बल्कि मैटर ये करता है कि आपके दुख और परेशानी, खुशियां इन सब में बराबरी है या नहीं तो आज से ये बात दिमाग से निकाल दो कि कद का कोई रोल होता है शादी जैसे बन्धन में, समझ गई, ये सारी बात अखण्ड प्रताप सुन रहे थे उन्हे अपने पोते की सोच पर फक्र है रहा था और  मानसी भी अपने किए पर पछता रही थी वो अनिकेत को सॉरी कहती है 

थोड़ी देर बाद सुहानी और अनिकेत तेजवान जी के घर के अन्दर एंटर करते हैं उनका घर बहुत ही बड़ा और खूबसूरत था पर सिंह हवेली से ज्यादा खूबसूरत नहीं था अनिकेत और सुहानी जैसे ही घर के अन्दर आते हैं तेजवान जी खुद उन दोनों का वेलकम करते हैं और अपने लिविंग एरिया में ले जाकर बैठाते हैं सुहानी से वो पहली बार मिल रहे थे इसीलिए उससे उसका इन्ट्रो लेने लगते हैं," और बेटा आप मिसेज अनिकेत प्रताप सिंह तो बन गई हैं पर आपके बारे में कुछ बताएं .......

क्या बताएगी सुहानी मिस्टर तेजवान को या एक बार फिर अनिकेत की इंसल्ट होगी देखते हैं नेक्स्ट पार्ट में................