"शुभम - कहीं दीप जले कहीं दिल"( पार्ट -४५)
रूपा कहती हैं कि दिव्या हम दोनों की बेटी है।
डॉक्टर शुभम आफिस में सोचता है कि यह कैसे हो सकता है?
आखिर में शुभम को याद आ जाती है
वह बरसात वाली रात
..वह उस बरसात की रात के बारे में बात कर रही थी..
उस समय, युक्ति को एक समस्या आ गई थी, इसलिए वह कार लेकर रूपा के घर निकला था लेकिन कार में पंचर हो गया था और भारी बारिश हो रही थी।
आखिर में कार वहां रखकर रिक्शा का इंतजार करता रहा ।
भारी बारिश के कारण मैं भीग गया था।
और आख़िरकार एक रिक्शा मिल गया और रूपा के घर पहुँच गया।
मैं भीग गया था
और
मेरे कपड़े भी गीले हो गए थे।
रूपा ने मुझे देखा तुरंत मुझसे कहा कि मैं तौलिए से शरीर को पोंछ लूं, मेरे पापा के कपड़े थोड़े बड़े होते हैं लेकिन क्या तुम पापा के कपड़े पहनोगे?
रूपा ने तौलिया दिया
और शरीर पोंछा
अंततः रूपा के पिताजी के कपड़े पहनने पड़े।
भीगने के कारण मुझे शरदी हो गई थी।
और छींक आ रही थी।
धीरे-धीरे शरीर भी गर्म हो गया था और शरदी के कारण मैं कांपने लगा था।
यह देख रूपा ने दवाइयां दीं लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ा.
तो मुझे याद आया कि रूपा के पापा ब्रांडी पीते थे।
इसलिए मैंने ब्रांडी माँगी।
इससे पहले भी जब युक्ति की डिलीवरी के दौरान वह एक दिन के लिए रूपा के घर रुका था तो उसने शराब पी थी।
मुझे मालूम था कि रुपा के घर में ब्रांडी होती है।
रूपा ने मेरी हालत देखी लेकिन उसने कहा कि ब्रांडी तो नहीं है लेकिन पापा के परमिट की शराब है। मैं आपको नहीं दूंगी। इससे पहले भी रूपा ने कहा था कि आप शराब कभी नहीं पियेंगे। लेकिन उसे क्या पता था कि मैंने दोस्तों के साथ शराब पी थी ।
मैंने शराब पीने की जिद की।
यदि मुझे शराब नहीं मिलेगी तो मुझे ज्यादा शरदी हो जायेगी।
जिस कारण मैं आया था वह पूरा नहीं कर पाऊंगा।
मेरी जिद के सामने रुपा झूक गई।
अंततः रूपा ने मुझे शराब दे दी।
शराब अपना जलवा दिखाता है।
और जो न होना चाहिए वह हो गया।
ऐसा कहते हैं कि शराब पीने के बाद शैतान सवार हो जाता है।
शराबी इन्सान को कुछ पता नहीं चलता।
शराब पीने के बाद मैं नियंत्रण खो बैठा...
और...और...
जब मुझे होश आया..तब..मैं बिस्तर पर था..रूपा मेरे बगल में सोई हुई थी..मुझे नहीं पता था कि क्या हो गया था ? और शायद शायद...
रूपा उसी समय की बात कर रही होगी।
रूपा उस वक्त बहुत खुश लग रही थी..
उसने कुछ ऐसा कहा जैसे शुभम तुमने मुझे स्वर्गिक खुशी दे दी है।
मुझे एहसास हुआ कि मुझसे जरूर गलती हुई है।
उस वक्त मैंने रूपा से माफी मांगी और घटना को भूल जाने को कहा..
लेकिन मुझसे प्यार करने वाली रूपा भूल सकती है?
फिर तीन महीने बाद रूपा से संपर्क नहीं हुआ।
मैंने बहुत कोशिश की थी लेकिन नाकामी मिली।
मैं निराश हो गया था।
समय जाते मैं भूल गया था कि मैंने गलती की थी।
करीब एक साल बाद जब रूपा वापस आईं तो उनका शरीर कमजोर लग रहा था। फोन किया और पूछा कि वह एक साल से कहां थी, उसने कहा कि पापा मम्मी के साथ बाहर गए थे लेकिन यह नहीं बताया कि वह कहां थी।
मैं पूछ नहीं सकता।
फिर एक दिन उसने गलती से कहा कि वह कुछ दिनों के लिए पुणे में अपने चचेरे भाई के घर पर थी...
ओह...मुझे यह याद नहीं था...
क्षमा करें... रूपा...
तभी तो आप कह रहे थे कि दिव्या हमारी बेटी है..
शायद रूपा इसी कारण अपने चचेरे भाई के घर चली गई थी।
और दिव्या का जन्म हुआ होगा।
बदनामी के कारण अपने भाई को दिव्या सौंप दी होगी।
मेरी ग़लती और मेरे कारण रूपा को यह सब झेलना पड़ा।
वह कितने सालों से मेरा इंतजार करती रही
लेकिन मैं उसकी भावनाओं को समझ नहीं पाया।
अब मुझे रूपा को बुलाना होगा और जल्दी उससे शादी करनी होगी।
डॉक्टर शुभम ने रूपा को फोन किया।
डॉक्टर शुभम:-'हैलो रूपा..कैसी हो? दिव्या और प्रांजल आ गए हैं। दिव्या मुझे पापा कहती है।'
रूपा:-'हां..दिव्या का फोन मेरे पास आया था। प्रांजल के पापा हो तो वह आपको पापा ही कहेंगी।प्रांजल से बात की तो आख़िरकार मैंने शादी के लिए हाँ कह दी। केवल तभी जब आप चाहें। कोई जबरदस्ती नहीं है.।'
डॉक्टर शुभम:- 'सॉरी... रूपा..मेरी गलती के लिए...आई लव यू रूपा। मेरी गलतियों की सज़ा तुम्हें मिली।मेरे मन में अभी भी तुम्हारे लिए भावनाएँ हैं। मैं तुमसे शादी करना चाहता हूँ। जितनी जल्दी हो सके.. शायद दिव्या को पता चल गया है कि तुम उसकी माँ हो और मैं उसका पिता हूँ। मैं शर्मिन्दा हूं। अपनी बेटी के सामने मेरी इज्जत नहीं रहेगी यदि जल्दी शादी नहीं करेंगे तो।यह मुझे उसकी बातचीत से महसूस हुआ कि उनको सब मालूम हो चुका होगा इसलिए शादी करने के लिए दोनों ने मुझे मना लिया है।मेरी पिछली गलतियों के लिए क्षमा करें। मुझे वह समय थोड़ा-थोड़ा याद है। क्या आप मुझसे शादी करोगी?'
( आगे की कहानी जानने के लिए पढ़िए मेरी धारावाहिक कहानी)
- कौशिक दवे