Shubham - Kahi Deep Jale Kahi Dil - 44 in Hindi Moral Stories by Kaushik Dave books and stories PDF | शुभम - कहीं दीप जले कहीं दिल - पार्ट 44

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शुभम - कहीं दीप जले कहीं दिल - पार्ट 44

शुभम - कहीं दीप जले कहीं दिल ( पार्ट-४४)

बेटी प्रांजल अपनी सहेली दिव्या के साथ अपने पापा डॉक्टर शुभम के घर आती है।
दिव्या डाक्टर शुभम को पापा कह कर बोलती है।
डॉक्टर शुभम के अस्पताल जाने के बाद दोनों सहेलियां बातचीत करती है।
अब आगे 

प्रांजल:- 'दिव्या, अब तुम मेरे पापा को अपना पापा समझने लगी हो।  तो रूपा आंटी को बुआ कहोगी या मम्मी.!'

दिव्या:-' वो तो मेरी मम्मी तो है।वह मुझे अपनी बेटी मानते हैं, इसलिए मैं तुम्हारे पिता को पिता मानती हूं, इसलिए रूपा बुआ को भी अपनी मां कहूंगी।'

प्रांजल:-' तुम्हारे फ़ोन पर हर्ष का मैसेज आया है?'

दिव्या:-' नहीं, लेकिन उसने कहा था कि वह कोल करेगा। क्या तुमको हर्ष पसंद है?'

प्रांजल हंसते हंसते बोली:-' मुझे तुम भी पसंद हो। क्या तुम मेरे साथ मेरे घर में मेरी मम्मी और मेरे पापा के साथ रहना पसंद करोगी?'

दिव्या ने स्माइल किया और बोली:-' मैं तो मेरी मम्मी रूपा के साथ ही रहना पसंद करूंगी। पापा और तुम, हमारे घर रहने आ जाना। हम बहुत मजा करेंगे। जिंदगी का आनंद लेंगे। वैसे मेरे पापा मम्मी पूना रहते हैं लेकिन मैं तो शुभम पापा के साथ रहना चाहती हूं।'

प्रांजल:-' हर्ष हम दोनों का फ्रेंड है। छुट्टियां है इसलिए वह भी आने वाला है। मैं मैसेज करके बताती हूं कि हम पापा के घर पहुंच गए हैं।

दिव्या:-' जैसी तुम्हारी मर्जी। मैं जानती हूं कि तुम हर्ष को पसंद करती हो लेकिन उसके मन में क्या चल रहा है,वह बताता नहीं है। क्या वह हमारे साथ खेल तो नहीं खेल रहा?'

प्रांजल:-' ऐसा सोचना भी नहीं। हम लोग फ्रेंड है और फ्रेंड की तरह अपना व्यवहार करेंगे।

ऐसा बोलकर प्रांजल ने मित्र हर्ष को मैसेज कर दिया।

ऐसे दोनों सहेलियां बातचीत करती रही।

----------------
डॉक्टर शुभम अस्पताल में अपने केबिन में पहुंचे।

सोच का क्या है?

सोच सोच कर आदमी थक जाता है।

डॉक्टर शुभम के मन में बहुत सारे विचार आने लगे।

इस उम्र में रूपा से शादी करना योग्य है?



उसी वक्त डॉक्टर तनेजा ऑफिस आये.
बोला:-'सर, आप आराम करें।  सुबह से आप थक गये है आपको आराम करना चाहिए। आप सुबह से अचानक बाहर निकल गए थे, केस के सिलसिले में।थोड़ा आराम करें।  मैं स्टाफ के साथ अस्पताल संभाल लूंगा।  वैसे मैंने एक राउंड लगा लिया था,सब कुछ ठीक है, कोई दिक्कत नहीं है। आपके घर में आपकी बेटी और मेहमान भी आये हैं।  अगर आप घर जाना चाहते हो तो जाओ।  मैं अस्पताल का कार्यभार संभालूंगा।'

डॉक्टर शुभम:- 'ठीक है.. आपका धन्यवाद।मैं केबिन में बैठा हूं। अभी मैं यहां ही बैठा हूं।कोई दिक्कत हो या जरूरत हो तो कॉल करें।'

डॉक्टर तनेजा केबिन से बाहर चले गए।

डॉक्टर शुभम को ज्योति की याद आ गई।

ज्योति का प्रस्ताव याद आ गया।

ज्योति जी ने हर बार मुझे मदद की है।

दुनिया में कैसे कैसे लोग जीते हैं? ऐसी अच्छी महिला के साथ कुदरत ने अच्छा नहीं किया। वैसे मेरी पहली पसंद रूपा ही थी। यदि रूपा शादी के लिए तैयार नहीं होती तो मैं ज्योति जी के प्रस्ताव पर सोचूंगा। अच्छी औरत है। लगता है कि वह मुझे पसंद करती हैं। उसका लूक और व्यवहार ही इतना अच्छा है कि कोई भी व्यक्ति उसकी और आकर्षित हो सकता है।
फिलहाल मुझे ज्योति जी के बारे में ऐसा नहीं सोचना चाहिए।
मन में विचारों का बवंडर चल रहा है।
क्या मेरी आने वाली लाइफ आसान होगी?
क्या मैं मनस्वी के केस में फंस सकता हूं? मेनेजमेंट और सरकार को क्या जवाब दूंगा।


डॉक्टर शुभम ने ज्योति को कोल किया 

:-'नमस्कार ज्योति जी।  मैं डॉ. शुभम हूं।'

ज्योति:-'हैलो.. बोलो.. मुझे मनस्वी के बारे में पता चला।  मैं अस्पताल आई थी लेकिन आप चले गए थे । मीडिया की चिंता मत करो, आप की जोब पर कोई खतरा नहीं आने दूंगी। मैं आपनी तरीके से संभाल लूंगी।मैं कार्यभार संभालूंगी।आशा करते हैं कि जो हुआ अच्छा होगा, मुझे भी आपको कॉल करने का समय नहीं मिला।मेरा बेटा हर्षल आया है। हां,हर्षल के बारे में मैंने बताया नहीं था।उसका आखिरी साल है।  अभी छुट्टियाँ चल रही हैं इसलिए घर पर आया है । क्या आप मेरे बेटे से मिलना चाहोगे?कोई काम हो तो बताओ।  मुझे अब सामाजिक कार्य के लिए बाहर जाना होगा। लेकिन मेरे प्रस्ताव पर सोच कर बताना। यदि ना कहोगे फिर भी मुझे ग़लत नहीं लगेगा। हम एक दोस्त की तरह रहेंगे।ठीक है...अलविदा डॉक्टर शुभम।'

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डॉक्टर शुभम ने आराम करने का फैसला किया क्योंकि अस्पताल में काम कम था, मैं एक-दो घंटे बाद घर चला जाऊंगा।

डॉक्टर शुभम को रूपा की बात याद आ गयी.
हम्म...वह दिव्या के बारे में बात कर रही थी...दिव्या हमारी बेटी है।  मुझे क्यों याद नहीं आ रहा कि मैंने रूपा के साथ ऐसा कुछ किया था...मुझे याद नहीं आ रहा...
हाँ..वो उस बरसात की रात की बात कर रही थी..

उस समय, युक्ति को एक समस्या थी, इसलिए वह कार लेकर रूपा के घर जा रहा था।लेकिन कार में पंचर हो गई और भारी बारिश हो रही थी। रिक्शा का इंतजार करते समय मैं बारिश में भीग गया था।
और आख़िरकार एक रिक्शा मिल गया और रूपा के घर पहुँच गई।
( डॉक्टर शुभम कौन सी परिस्थितियां से गुज़रा था? क्या दिव्या रूपा और शुभम की बेटी है? क्या यह राज़ जान कर ही युक्ति का मिजाज बिगड़ गया था? जानने के लिए पढ़िए मेरी धारावाहिक कहानी)
- कौशिक दवे