Anokha Vivah - 17 in Hindi Love Stories by Gauri books and stories PDF | अनोखा विवाह - 17

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अनोखा विवाह - 17

अनिकेत- सुहानी क्या हुआ , समीर टीवी बन्द कर           समीर - अरे भाई आप भी ना थोड़ी सी तो बची है मूवी और आप हो कि बन्द करवा रहे हो , ये डरी नहीं है ड्रामा कर रही है और कुछ नहीं
अनिकेत तेज से समीर पर चिल्लाता है," समीर "            समीर अनिकेत की इतनी तेज आवाज सुनकर डर जाता है और बिना किसी बहेस के टीवी बन्द कर देता है अनिकेत समझ जाता है कि उसने समीर पर कुछ ज्यादा ही तेज चिल्ला दिया है जिससे मानसी ,मिली और शिवम भी डर गये हैं लेकिन अभी उसके लिए सुहानी को देखना जरूरी था वो बेड की किनारे के साइड पर बैठा था

और सुहानी अचानक से आई तो वो अपनी जगह से उठकर सुहानी को अपने हाथ पर ही टिका लिया और अपने दूसरे हाथ से सुहानी का गाल थपथपाने लगा जब थोड़ी देर तक सुहानी नहीं उठी तब उसने पास रखें स्टूल से पानी के जग से ग्लास में पानी डाला और हल्की हल्की छींटे डालने लगा जिससे सुहानी को होश आने लगा सुहानी नए जैसे ही आंखें खोली अनिकेत को सामने देखकर डर गई और उठ कर बैठ गई तभी अनिकेत ने सुहानी से सवाल करते हुए कहा

," क्या हुआ था तुम्हें तुम ठीक तो हो , सुहानी धीरे से हां में सिर हिला देती है जिससे अनिकेत के चेहरे पर थोडा सुकून आता है और वो उसे थोड़ी देर आराम करने को कहता है तभी उसे अहसास होता है कि उसके भाई बहन उसे ही घूर रहे हैं, वो उनकी तरफ बढ़कर समीर से सॉरी कहता है ," सॉरी यार वो मैंने तुझ पर ज्यादा तेज चिल्ला दिया 

समीर - ," नहीं भाई , कोई बात नहीं अब हमें तो आदत डाल लेनी चाहिए इन सबकी की " समीर ने जिस लहजे में ये कहा था अनिकेत समझ गया था कि वो कुछ ज्यादा ही नाराज़ है 

अनिकेत- ," अरे यार सॉरी ना अब हो गया अपने भाई से इतना नाराज़ कौन होता है " अनिकेत ने इतना कहा ही था कि मानसी ने उन दोनों के बीच में इतनी नाराजगी देख सिचुएशन को समहालने की कोशिश की और अनिकेत से शिकायती लहजे में कहा," भाई आपसे नाराज़ इसलिए नहीं है समीर कि आपने इस पर चिल्लाया बल्कि इसलिए है कि जब से भाभी आई है आपने उनका इन्ट्रो तो हम लोगों से करवाया ही नहीं " इसी बीच समीर , मानसी की बात को कन्फ्यूजन के साथ समझने की कोशिश कर रहा था तभी उसे अहसास हुआ कि किसी ने अपने पैर से उसके पैर को दबाया , दरसअल मानसी, समीर के पास बैठी थी और अपनी बात को समझाने के लिए उसने अपने पैर से समीर के पैर पर पैर रखा जिससे समीर सारी बात समझ गया अनिकेत से झूठी नाराजगी जताते हुए कहा

, " भाई मानसी सही तो कह रही है मैं इसलिए नहीं नाराज़ हूं कि आपने मुझ पर चिल्लाया बल्कि इसलिए नाराज़ हूं कि आपने भाभी से अब तक नहीं मिलवाया " तभी अनिकेत उन सब से कहता है," बस इतनी सी बात चलो ठीक है मैं मिलवाया हूं " इतना कह अनिकेत उठकर सुहानी के पास जाकर उसका हाथ पकड़ उससे पहले तो उसकी तबियत पूछी फिर सोफे पर बैठे अपने भाई बहनों के पास ले गया और सुहानी का नाम बताते हुए कहा

," देखो ये है सुहानी और तुम सबकी भाभी " तभी समीर और शिवम उठकर सुहानी के पैर छूते हैं जिससे सुहानी डर जाती है जिस बीच वो सुहानी के पैर छू रहे थे उसी बीच अनिकेत के फोन‌ पर उसके किसी दोस्त की कॉल आती है इसीलिए वो बाहर चला गया था , सुहानी को इस तरह डरता हुआ देख समीर उसे एक बार फिर डराने और उसका मजाक बनाने के लिए  पैर छूने के लिए आगे झुकता है जिससे सुहानी इस बार पीछे हो जाती है जिससे अनिकेत को लगता है कि सुहानी ने ये जानबूझ कर किया है जिससे अनिकेत के चेहरे के एक्सप्रेशन सख्त हो जाते हैं और वो आते ही सुहानी के ऊपर चिल्लाता हुआ पूछता है

," ये क्या कर रही हो तुम,, ये दोनों तुम्हारे देवर हैं और तुम उनसे पैर छुआने के बजाए पीछे हो रही हो चलो आगे बढ़कर उनके पास जाओ और उन्हें आशीर्वाद दो " सुहानी पहले से डरी हूई थी पर अनिकेत की बात सुन वो रोने जैसा चेहरा बना लेती है पर अनिकेत को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता अभी अनिकेत को बस समीर और शिवम का उतरा हुआ चेहरा दिख रहा था , तभी अनिकेत एक बार फिर से सुहानी का नाम थोड़ा तेज आवाज में लेता है जिससे सुहानी तुरन्त ही उन दोनों के पास जाकर बारी बारी से आशीर्वाद लेती है ये देख अनिकेत का चेहरा थोड़ा नॉरमल होता है 

समीर - भाई भाभी से कहो ना कि कॉफी बनाकर लाएं 

अनिकेत - हां क्यों नहीं, सुहानी जाओ हम सबके लिए कॉफी बना लें आओ,

सुहानी ," पर हमें काफी बनाना नहीं आता है "  सभी ये सुनकर शॉक्ड हो जाते हैं एक बार फिर अनिकेत की इंसल्ट हो चुकी थी वो भी अपने छोटे भाई बहनों के सामने वो सभी इस बात पर भरोसा नहीं कर पा रहे थे कि सुहानी को कॉफी बनाना तक नहीं आता 

रात 9बजे 

अनिकेत के कमरे में अनिकेत बेड के किनारे पर थोडा सा लेटा हुआ अपनी आंखों पर हाथ रखे कुछ सोच रहा था तभी सुहानी कमरे के अन्दर आती है और उसके हाथ में खाना था क्यों कि आज अनिकेत ने सुहानी से ही खाना लाने को कहा था ,थोड़ी देर बाद दोनों खाना खा लेते हैं और अपनी अपनी जगह बेड पर लेट जाते हैं थोड़ी देर बाद अनिकेत को याद आता है कि आज से उसे सुहानी को पढ़ाना था 

अनिकेत - ," सुहानी आज से तो पढ़ना था ना तुमको पढ़ें थोडी देर " 

सुहानी अपनी सिर हां में हिला देती है , तभी अनिकेत उसे सबसे पहले एक मंत्र याद करने को कहता है ," सुहानी आज मैं तुम्हें एक मंत्र बताऊंगा और उसे कल सुबह ही मुझे सुनाना ,सुनाओगी ना" सुहानी अपना सिर हां में हिला देती है और अनिकेत उसे गायत्री मंत्र को सिखाता है , मंत्र सीखते सीखते दोनों सो जाते हैं

सुबह 6बजे 

अनिकेत - ये बताओ मंत्र याद हो गया ? सुहानी बस शांत सी अनिकेत को देखती रहती है‌