Anokha Vivah - 16 in Hindi Love Stories by Gauri books and stories PDF | अनोखा विवाह - 16

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अनोखा विवाह - 16

सुहानी -अपना मुंह खोल अनिकेत के हाथ से एक कौर खा लेती है ,,,, अनिकेत, सुहानी से - अब तुम खुद खाओ इसी थाली में और हां ये बताओ आज बाहर चलोगी मेरे साथ ? सुहानी अपना सिर ना में हिलाते हुए ," नहीं हमें नहीं जाना " 

अनिकेत - क्यों, क्यों नहीं जाना कोई प्राब्लम है ?                             
  सुहानी - नहीं पर हमें बाहर अच्छा नहीं लगता , बहुत भीड़ होती है हमें डर लगता है भीड़ में                                       अनिकेत - अरे ! डरने वाली क्या बात है मैं चलूंगा ना तुम्हारे साथ और बाहर तुम्हें कोई खा नहीं जाएगा , चलो आज मेरे साथ चलकर देखो , ठीक है 

सुहानी - ठीक है , सुहानी का मन नहीं था पर वो अनिकेत के डर की वजह से कुछ कह भी नहीं सकती थी                      अनिकेत अपने फोन में टाइम देखते हुए - अभी तो 3 ही बजा है तो हम लोग शाम को 7 बजे चलेंगे तैयार रहना , और ये क्या तुम अब खा क्यों नहीं रही हो,,,,, दरसअल सुहानी का खाना खाने का मन बाहर जाने वाली बात से थोड़ा परेशान था तो उसने खाना बंद कर दिया था                                  सुहानी - बस ! अब हमारा मन नहीं है आप खा लीजिए।        

थोड़ी देर बाद अनिकेत खाना खाकर अपने कमरे की तरफ चल देता है तभी पीछे से उसे आवाज आती है , भाईऽऽऽऽ    अनिकेत पीछे मुड़कर देखता है तो समीर , शिवम ,मानसी , मिली अपने अपने हाथ में मोबाइल फोन लिए उसकी तरफ ही बढ रहे थे मिली और शिवम अभी छोटे थे इसलिए उनके पास अपना फोन नहीं था वो सब अनिकेत से नाराज़ थे क्यों कि शादी के पहले से ही अनिकेत ने शादी के टेंशन की वजह से  उन पांचों में ठीक से कोई बात तक नहीं हूई थी , वरना हर दूसरे या तीसरे दिन सुहानी के कमरे में सभी एक दूसरे से अपनी छोटी से छोटी बातें भी शेयर करते थे ,

अनिकेत - हां बताओ क्या हुआ सब ठीक है ना                    मानसी - नहीं भाई कुछ भी ठीक नहीं है आपको याद भी है कि हम लोग लास्ट टाइम कब साथ बैठे थे और आपने कब हम लोगों से बातें की थी                                                  मिली- मुझे तो लगता है भाई बदल गए हैं।                          शिवम - हां मुझे भी ऐसे ही लगता है                                  समीर - मुझे भी                                                            अनिकेत अपने हाथ के ऊपर हाथ रखे खड़ा खड़ा सुन रहा था जब सबने अपनी अपनी बात कह दी तब उसने बोलना शुरू किया , " हो गया तुम लोगों का या अभी कुछ बचा है "

मानसी - हो गया भाई , पर भाई हम सब सच में नाराज हैं जब से आपकी शादी हूई है आप तो भूल ही गए कि हम लोग भी हैं आप तो बस पूरा दिन किसी और की खिदमत में ही लगे रहते हैं

अनिकेत - अच्छा और वो कौन है ?                                     मानसी - वो है आपकी नासमझ वाइफ जिसे कुछ भी नहीं आता है पता नहीं क्या सोचकर उस लड़की को दादू ने आपकी वाइफ और इस घर की बहू बना दिया।                   अनिकेत - मानसी मैंने तुम्हें पहले भी मना किया था कि वो तुम्हारी भाभी है उसके लिए तुम ऐसे शब्दों का यूज कैसे कर सकती हो आज से मैं तुमहारे मुंह से ऐसा वैसा कुछ ना सुनूं वरना अब अगर मैंने तुम्हारे मुंह से सुना तो सोच लेना, सभी अनिकेत के गुस्से से बहुत अच्छी तरह परिचित थे इसीलिए समीर ने बात बदलते हुए कहा - अरे भाई मानसी तो मजाक कर रही थी वो बस आपका टेस्ट कर रही थी कि आप बदले हो या वैसे ही हो                                                             अनिकेत - तेरा भाई कभी किसी के लिए नहीं बदलेगा लेकिन जो सही है वो सही है , ओके                                            समीर - भाई चलो ना आपके कमरे में चलते हैं पहले की तरह बातें करते हैं या फिर एक काम क्यों ना करें एक अच्छी सी हॉरर मूवी देखते हैं।                                                   अनिकेत - हां चलो ,

मानसी के मन में कुछ चल रहा था वो कुछ सोचते हुए कहती हैं,"  भाई क्यों ना भाभी को भी बुला ले देखो ना वो अकेली नीचे क्या करेंगी हम लोगों के साथ मूवी देखेंगी तो अच्छा लगेगा इतना कह कर मानसी सुहानी को आवाज देती है , भाभीऽऽऽऽ , आम्या एक बार में समझ नहीं पाती कि उसे ही बुलाया जा रहा है वो मानसी की बात को नजरंदाज कर देती है, मानसी चेहरे पर उदासी के झूठे एक्सप्रेशन लाते हुए कहती हैं,"  लगता है भाभी को मेरा बुलाना अच्छा नहीं लगा , अनिकेत जब मानसी का उदास चेहरा देखता है तो उसे बिल्कुल अच्छा नहीं लगता इसीलिए अनिकेत , सुहानी को तेज से बुलाता है," सुहानी ऽऽऽऽ यहां आओ" 

सुहानी, अनिकेत की बात सुनकर जल्दी से उसके पास आती है  अनिकेत, सुहानी से - क्या हुआ मानसी ने बुलाया था तुम्हें तुम बोली क्यों नहीं, सुहानी , अनिकेत के सख्त एक्सप्रेशन देखकर पहले से ही डरी थी इसीलिए सुहानी ने डरते हुए कहा- ," वो हमें लगा ये किसी और को बुला रही हैं" अनिकेत , सुहानी की बात को नजरंदाज कर - ये बताओ कि मूवी देखोगी हम बाहर किसी और दिन चलेंगे आज इन सबका मन है तो मूवी देखते हैं, चलो मेरे साथ ऊपर , चलो तुम लोग भी चलो 

थोड़ी देर बाद सभी ऊपर अनिकेत के कमरे में आते हैं और थोड़ी देर इधर उधर की ढेर सारी बातें करते हैं तब तक सुहानी बिल्कुल शांत सी बैठी रहती है ऐसे ही बातें करते करते शाम का छ: बज जाता है और एक हॉरर मूवी को अनिकेत के कमरे में स्क्रीन पर लगाया गया थोड़ी देर तक मूवी चलने के बाद बहुत ही भयानक सीन आने लगते हैं और सुहानी के डर की वजह से रोने लगती है , डर तो सभी को लग रहा था पर सुहानी बिल्कुल अकेली बैठी थी अनिकेत अपने भाई बहनों के साथ बैठा था तभी सुहानी अपनी जगह से उठकर सीधा अनिकेत के पास आती है और उसका हाथ पकड़ कर डर से बेहोश हो जाती है , असल में आज से पहले सुहानी ने कभी भी ऐसा कुछ भी नहीं देखा था इसीलिए उसने जब आज पहली बार ऐसा कुछ देखा तो डर के बेहोश हो गई 

अनिकेत - सुहानी से क्या हुआ , समीर टीवी बन्द कर                 समीर - अरे भाई आप भी ना थोड़ी सी तो बची है मूवी और आप हो कि बन्द करवा रहे हो , ये डरी नहीं है ड्रामा कर रही है और कुछ नहीं

अनिकेत तेज से समीर पर चिल्लाता है," समीर " प्लीज कमेंट फ़ॉलो एंड शेयर 


क्या सुहानी सच में बहोश हूई है या फिर सच में ड्रामा है देखते हैं नेक्स्ट पार्ट में..... ‌‌।।।।।।।।